चंडीगढ़ स्थित पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सोमवार सुबह उस समय अफरातफरी मच गई जब महिला अधिवक्ताओं के लिए बने बार रूम में अचानक आग लग गई। इस हादसे में किसी के घायल होने की खबर तो नहीं है, लेकिन महत्वपूर्ण दस्तावेज, फर्नीचर, कंप्यूटर और रिकॉर्ड जलकर खाक हो गए।
घटना की पुष्टि मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं और करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। प्रशासन द्वारा 35 लाख रुपये से अधिक के नुकसान का आकलन किया गया है।
🕒 घटना का समय और शुरुआती जानकारी
यह घटना सुबह करीब 6:15 बजे की है जब हाईकोर्ट परिसर के ब्लॉक नंबर 6 में स्थित महिला बार रूम से धुआं निकलता देखा गया। हाईकोर्ट के सुरक्षाकर्मियों ने फौरन दमकल विभाग को सूचित किया और फायर यूनिट्स अलर्ट हो गईं।
शुरुआत में सभी को लगा कि यह मामूली शॉर्ट सर्किट हो सकता है, लेकिन जब तक टीम मौके पर पहुंचती, आग ने पूरे बार रूम को अपनी चपेट में ले लिया था।
🚒 फायर ब्रिगेड का रेस्क्यू ऑपरेशन
घटनास्थल पर फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियां पहुंचीं। अधिकारियों ने बताया कि आग इतनी भीषण थी कि उस पर काबू पाने में करीब 1 घंटा 15 मिनट का समय लगा।
धुआं फैलने से आस-पास के क्षेत्र में घबराहट का माहौल बन गया, लेकिन हाईकोर्ट स्टाफ और सुरक्षा टीम ने स्थिति को जल्द ही नियंत्रित किया।
Fire in Punjab & Haryana High Court…Room no.4 and lady bar room totally damaged pic.twitter.com/feVNkIuj2x
— Jagtar Singh Bhullar (@jagtarbhullar) June 23, 2025
📂 दस्तावेज़ और संपत्ति को हुआ भारी नुकसान
बार रूम में महिला अधिवक्ताओं की निजी फाइलें, कानूनी दस्तावेज, कंप्यूटर सिस्टम, फर्नीचर और पुस्तकें मौजूद थीं।
सभी सामग्री जलकर राख हो चुकी है, जिसकी अनुमानित कीमत ₹35 लाख से अधिक बताई जा रही है।
कई महत्वपूर्ण केस से जुड़े रिकॉर्ड भी इस आग में जल गए हैं, जिससे आने वाले दिनों में कुछ मामलों की कार्यवाही प्रभावित हो सकती है।
Ladies Bar Room and Bar Room No. 4 of Punjab and Haryana High Court were gutted down by fire.
Bar Association urged to donate money and in quick response, Attorney General, his team, solicitor general all donated money.
Such solidarity is so appreciable. pic.twitter.com/9wsu4UhfgJ
— Hayat (@HayArshii) June 24, 2025
⚡ आग लगने का कारण: शॉर्ट सर्किट की आशंका
प्रारंभिक जांच में इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट को इस हादसे का कारण बताया जा रहा है। बार रूम में लगे पुराने एयर कंडीशनर, वायरिंग और पावर प्लग की स्थिति खस्ता बताई जा रही है।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर कारण की पुष्टि जांच के बाद ही की जाएगी।
📢 बार एसोसिएशन और वकीलों की प्रतिक्रिया
महिला अधिवक्ताओं और बार एसोसिएशन ने इस घटना को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि कोर्ट परिसर में आग सुरक्षा प्रणाली पर्याप्त नहीं है और यह घटना उसकी पोल खोलती है।
एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा,
“यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोर्ट जैसे संवेदनशील स्थान पर इतनी बड़ी चूक हो सकती है। प्रशासन को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
🛡️ प्रशासन की कार्रवाई और आगे की जांच
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए एक आंतरिक जांच कमेटी गठित की है। साथ ही, पुलिस और दमकल विभाग को भी विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
जांच में CCTV फुटेज की मदद ली जा रही है और आग सुरक्षा व्यवस्था का ऑडिट भी किया जाएगा।
🏛️ कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
यह पहली बार नहीं है जब किसी कोर्ट परिसर में ऐसी घटना हुई हो। इससे पहले दिल्ली और लखनऊ के कोर्ट में भी आग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
यह दर्शाता है कि भारत की न्याय व्यवस्था को न सिर्फ तकनीकी रूप से मजबूत करना है, बल्कि सुरक्षा और डिजिटलीकरण जैसे बुनियादी पहलुओं पर भी ध्यान देना ज़रूरी है।
👉 इसी क्रम में, हाल ही में भारत की नई शिक्षा नीति 2025 में भी बदलावों के जरिए सुरक्षा और तकनीकी दक्षता को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
🔄 डिजिटल रिकॉर्डिंग की मांग फिर हुई प्रबल
इस आगजनी ने एक बार फिर कानूनी दस्तावेजों की डिजिटल रिकॉर्डिंग और क्लाउड स्टोरेज को लेकर बहस छेड़ दी है। वकीलों और संगठनों ने मांग की है कि—
- कोर्ट फाइल्स और वाद सूची को डिजिटल किया जाए
- कोर्ट परिसर में ऑटोमेटिक फायर डिटेक्शन सिस्टम लगे
- नियमित इंटरनल फायर सेफ्टी ऑडिट हो
📊 विशेषज्ञों की राय
फायर सेफ्टी एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसी जगहों पर जहां हजारों लोग प्रतिदिन आते-जाते हैं, वहां आधुनिक स्मोक डिटेक्टर, ऑटोमेटेड अलार्म सिस्टम और आपातकालीन निकासी योजना अनिवार्य होनी चाहिए।
इस घटना के बाद उम्मीद की जा रही है कि सरकार और प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम उठाएंगे।
📝सुरक्षा व्यवस्था पर पुनर्विचार की जरूरत
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में आग की इस घटना ने एक बार फिर कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था और दस्तावेज़ प्रबंधन प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है।
ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि सभी न्यायिक संस्थानों में डिजिटलाइजेशन, फायर सेफ्टी और इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन को प्राथमिकता दी जाए।
पाठकों से निवेदन है कि वे इस मुद्दे पर अपनी राय जरूर साझा करें—क्या डिजिटल सुरक्षा ही एकमात्र समाधान है?