पंजाब की राजनीति एक बार फिर गर्माने वाली है। राज्य की भूमि पुलिंग नीति को लेकर विवाद चरम पर है और इसी के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। 17 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलने वाली ‘भूमि बचाओ, किसान बचाओ यात्रा’ अब राज्यभर में चर्चा का विषय बन गई है। बीजेपी का दावा है कि यह नीति किसानों के हितों के खिलाफ है, जबकि सरकार इसे विकास का हिस्सा बता रही है।
🔹 आंदोलन की घोषणा और तारीख
17 अगस्त से शुरू हो रही यह यात्रा, पंजाब के अलग-अलग जिलों से होकर गुजरेगी और 5 सितंबर को इसका समापन होगा। इस यात्रा की अगुवाई पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा कर रहे हैं। पार्टी का कहना है कि यह आंदोलन “जनजागरण” के रूप में होगा, जिसमें राज्य की आम जनता और विशेष रूप से किसान समुदाय को भूमि पुलिंग की सच्चाई से अवगत कराया जाएगा।
बीजेपी के मुताबिक, यह यात्रा पंजाब के सभी प्रमुख जिलों से होते हुए चंडीगढ़ तक पहुंचेगी, और इसका मकसद पंजाब सरकार की इस विवादित नीति को वापस लेने का दबाव बनाना है।
🔹 भूमि पुलिंग नीति क्या है?
भूमि पुलिंग स्कीम, दरअसल सरकार द्वारा विकसित की गई एक ऐसी नीति है जिसके तहत निजी भूमि को विकास कार्यों के लिए लिया जाता है और बदले में भूमि मालिकों को उसी क्षेत्र में विकसित भूखंड दिए जाते हैं।
इस स्कीम के अनुसार:
- भूमि मालिकों को ज़मीन का एक हिस्सा विकास कार्यों के लिए देना होता है।
- बदले में उन्हें विकसित प्लॉट, मुआवजा या अन्य सुविधाएं दी जाती हैं।
- सरकार इसे शहरी विकास और नियोजन का हिस्सा बता रही है।
हालांकि, इस नीति को लेकर किसानों और विपक्षी दलों में भारी असंतोष है। उनका मानना है कि यह नीति “भूमि हथियाने” की एक सोची-समझी योजना है।
दोगलापंथी देखिए तो जरा भगवंत मान की जो कि जबरदस्ती थोपने जा रहे #landpoolingpolicy के विरोध में पूरे पंजाब एकजुट खड़ा हुआ देखकर दिखावे के लिए ब्यान दे रहा है कि लोगों के साथ विचार विमर्श करेंगे और उनकी राय जानेगा, जबकि पर्दे के पीछे 99 प्रतिशत पंचायत मुखियाओं की अपील ना केवल… pic.twitter.com/Y64K1EGtCu
— Randeep Gill (@Randeep44009128) August 3, 2025
🔹 बीजेपी का विरोध क्यों?
बीजेपी ने इस नीति के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कई अहम बिंदुओं पर आपत्ति जताई है। पार्टी का कहना है कि:
- किसानों की सहमति के बिना उनकी ज़मीन ली जा रही है।
- नीति में पारदर्शिता की कमी है।
- छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह योजना विनाशकारी साबित होगी।
- सरकार इस योजना को थोप रही है, चर्चा या संवाद का कोई मंच नहीं दिया गया।
बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि यह योजना “किसानों को उनकी ज़मीन से बेदखल करने का तरीका” बन चुकी है। पार्टी के अनुसार, पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्य में ऐसी नीति लाना किसान विरोधी सोच को दर्शाता है।
🔹 ‘भूमि बचाओ, किसान बचाओ यात्रा’ की रूपरेखा
बीजेपी की इस यात्रा को “भूमि बचाओ, किसान बचाओ यात्रा” नाम दिया गया है। यह यात्रा:
- नवांशहर से शुरू होकर फाजिल्का तक जाएगी।
- इस दौरान लगभग हर जिले में नुक्कड़ सभा, जनसभा और प्रेस वार्ताएं आयोजित की जाएंगी।
- यात्रा की शुरुआत धार्मिक स्थलों से की जाएगी ताकि जनता से भावनात्मक जुड़ाव बन सके।
इसके साथ ही यात्रा में सोशल मीडिया के ज़रिए भी जनजागृति अभियान चलाया जाएगा। पार्टी कार्यकर्ता जगह-जगह नुक्कड़ नाटक, जागरूकता रथ और जनसंवाद कार्यक्रमों के ज़रिए आम जनता को इस नीति के खतरे से रूबरू कराएंगे।
🛑 संबंधित खबर: शिमला हाईवे बंद: उत्तराखंड के बाद हिमाचल में तबाही
🔹 विपक्ष की प्रतिक्रिया
भूमि पुलिंग नीति पर जहां बीजेपी सड़कों पर उतरने को तैयार है, वहीं विपक्षी दल भी पीछे नहीं हैं। शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने इस मुद्दे पर आपात बैठक बुलाकर सरकार को जमकर घेरा।
कांग्रेस ने इस योजना को पूरी तरह से किसान विरोधी बताया और कहा कि सरकार कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए गरीब किसानों की ज़मीन छीन रही है।
इसके अलावा, आम आदमी पार्टी और वामपंथी संगठनों ने भी इस नीति की कड़ी आलोचना की है और जनता से सरकार के खिलाफ खड़े होने की अपील की है।
🔹 किसानों और आम जनता की राय
जमीन से जुड़ा मुद्दा होने के कारण इस योजना पर किसानों की प्रतिक्रियाएं सबसे मुखर हैं। कई किसान संगठनों ने इस नीति को ‘साजिश’ बताते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
ग्रामीण इलाकों में नुक्कड़ सभाएं, धरना प्रदर्शन और फ्लैग मार्च जैसे कार्यक्रम हो रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि यदि सरकार ने यह नीति नहीं वापस ली तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
आम जनता का भी एक बड़ा वर्ग इस नीति को लेकर चिंतित है। उनका मानना है कि सरकार ने उनके हितों को ध्यान में नहीं रखा और उन्हें “विकास” के नाम पर भ्रमित किया जा रहा है।
🔹 सरकार का पक्ष और जवाब
सरकार का दावा है कि भूमि पुलिंग नीति से पूरे राज्य में सुनियोजित शहरीकरण को बढ़ावा मिलेगा और इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उनका यह भी कहना है कि नीति के तहत भूमि मालिकों को मुआवज़ा और बेहतर भूखंड मिलेंगे।
सरकार के अनुसार, यह नीति पूर्णतः विकासोन्मुख है और इसे जन हित में लागू किया जा रहा है। साथ ही सरकार का यह भी दावा है कि “कोई ज़मीन जबरदस्ती नहीं ली जाएगी।”
🔹 निष्कर्ष और संभावित असर
भूमि पुलिंग नीति पर उठे सवाल अब आंदोलन का रूप ले चुके हैं। बीजेपी की यात्रा से साफ है कि आगामी महीनों में पंजाब की राजनीति एक बार फिर किसान-केंद्रित होने वाली है। यह यात्रा केवल एक नीति के खिलाफ विरोध नहीं, बल्कि राजनीतिक जमीन तैयार करने की रणनीति भी मानी जा रही है।
आगामी चुनावों में यह मुद्दा महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। यदि सरकार इस योजना को जनता को समझाने में विफल रही, तो विपक्षी दल इसे भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे।