शिक्षक समाज की नींव होते हैं। यदि वही शिक्षक अपने हक के लिए भूख हड़ताल पर बैठ जाएं, तो हालात की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पंजाब के डीएवी कॉलेजों के शिक्षक वर्षों से वेतन, पेंशन और स्थायी नियुक्तियों को लेकर परेशान हैं। अब वे न्याय की आस में सड़कों पर उतर आए हैं।
भूख हड़ताल जारी है, और अब उनकी नजर 29 अप्रैल को दिल्ली में होने वाले विशाल प्रदर्शन पर टिकी है।
डीएवी कॉलेज शिक्षकों का संघर्ष: एक लंबा सफर
यह आंदोलन अचानक नहीं हुआ। पिछले कई वर्षों से शिक्षक लगातार संघर्ष कर रहे हैं:
- समय पर वेतन नहीं मिलना
- पुरानी पेंशन योजना का बंद होना
- स्थायी नियुक्तियों की अनदेखी
हर बार शिक्षकों को सिर्फ आश्वासन मिला, ठोस कार्रवाई नहीं। अब आंदोलन का स्वरूप बड़ा और निर्णायक हो गया है।
वर्तमान स्थिति: भूख हड़ताल और धरना
25 अप्रैल 2025 से पंजाब के विभिन्न शहरों में शिक्षक भूख हड़ताल पर बैठे हैं —
लुधियाना, जालंधर, पटियाला, अमृतसर जैसे शहरों में धरना स्थल सजीव हो उठे हैं।
धरनों के बैनर बता रहे हैं कि यह सिर्फ वेतन की नहीं, सम्मान और आत्मसम्मान की लड़ाई है।
ट्विटर पर भी #DAVTeachersProtest ट्रेंड कर रहा है।
कुछ शिक्षकों का कहना है:
“हम भूखे रह सकते हैं, पर चुप नहीं बैठ सकते।”
शिक्षकों की मुख्य मांगे
शिक्षकों की प्रमुख मांगें हैं:
✅ सभी शिक्षकों को समय पर वेतन मिले।
✅ वर्षों से लंबित स्थायी नियुक्तियां पूरी हों।
✅ पुरानी पेंशन योजना बहाल हो।
✅ शिक्षकों का सम्मान सुनिश्चित किया जाए।
उनका सीधा संदेश है — “सम्मान चाहिए, भीख नहीं।”
छात्रों और अभिभावकों का समर्थन
छात्र और अभिभावक भी शिक्षकों के समर्थन में सामने आए हैं।
कई कॉलेजों में पढ़ाई ठप हो चुकी है। छात्र मोमबत्ती मार्च निकाल रहे हैं और सोशल मीडिया पर आवाज़ उठा रहे हैं।
छात्रों का कहना है:
“अगर आज हमारे शिक्षक न्याय नहीं पाएंगे, तो कल हमारा भविष्य भी सुरक्षित नहीं रहेगा।”
दिल्ली प्रदर्शन का प्लान: “दिल्ली चलो”
अब पूरा ध्यान 29 अप्रैल 2025 को दिल्ली में होने वाले विशाल प्रदर्शन पर है।
हजारों शिक्षक मानव संसाधन मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन करेंगे।
इसके लिए पंजाब से बसें बुक कर ली गई हैं और सोशल मीडिया के ज़रिए भी समर्थन जुटाया जा रहा है।
एक शिक्षक नेता ने कहा:
“अब या कभी नहीं। हमें अपनी आवाज़ दिल्ली तक पहुंचानी होगी।”
सरकार और प्रबंधन की प्रतिक्रिया
सरकार ने अब तक सिर्फ बातचीत का प्रस्ताव दिया है, लेकिन शिक्षक ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
प्रबंधन वित्तीय संकट का हवाला दे रहा है, जबकि शिक्षक फंड्स के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं।
यह स्थिति पंजाब की शिक्षा प्रणाली को गहरे संकट में डाल सकती है।
पंजाब सरकार ने हाल ही में शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए कदम उठाए हैं, जैसे कि RTE एडमिशन के लिए SOP जारी करने की तैयारी और आरंभ योजना जैसी पहलें शुरू की गई हैं।
लेकिन जब शिक्षक ही अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हों, तो इन योजनाओं की सफलता पर सवाल खड़े हो जाते हैं।
शिक्षा व्यवस्था पर असर
अगर शिक्षकों की मांगे जल्द नहीं मानी गईं:
- छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी
- योग्य शिक्षक निजी सेक्टर या विदेश पलायन कर सकते हैं
- पंजाब की उच्च शिक्षा प्रणाली संकट में आ सकती है
विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो शिक्षा व्यवस्था को अपूरणीय क्षति होगी।
निष्कर्ष
डीएवी कॉलेजों के शिक्षकों का संघर्ष एक चेतावनी है — जब शिक्षक न्याय मांगने सड़क पर आते हैं, तो यह पूरे समाज के मूल्यों का सवाल बन जाता है।
अब देखना यह है कि सरकार शिक्षकों की आवाज सुनेगी या आंदोलन और तेज होगा।
29 अप्रैल का प्रदर्शन इस संघर्ष का टर्निंग पॉइंट बन सकता है।
शिक्षकों का संदेश साफ है:
“न्याय नहीं तो चैन नहीं।”
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