भारत में शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित करते हुए 2009 में “शिक्षा का अधिकार अधिनियम” (Right of Children to Free and Compulsory Education Act) लागू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि 6 से 14 वर्ष की उम्र के हर बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा मिले।
अब पंजाब सरकार इस अधिनियम के प्रावधानों को मजबूती से लागू करने की दिशा में एक अहम कदम उठाने जा रही है। राज्य के शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि वह RTE के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25% सीटें गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करने के लिए एक विस्तृत SOP (Standard Operating Procedure) जारी करेगा।
यह निर्णय इसलिए अहम है क्योंकि अभी तक कई निजी स्कूल इस नियम का पालन नहीं कर रहे थे, जिससे हजारों बच्चों को उनके अधिकार से वंचित रहना पड़ा।
📘 प्राइवेट स्कूलों में 25% सीटें आरक्षित करने का कानूनी प्रावधान
RTE अधिनियम की धारा 12(1)(c) के अनुसार, सभी मान्यता प्राप्त निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कक्षा 1 में अपनी कुल सीटों का कम से कम 25% हिस्सा आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) और वंचित वर्गों के बच्चों के लिए आरक्षित करना होता है।
इस प्रावधान का उद्देश्य सामाजिक समानता और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना है। इसके तहत चयनित बच्चों की शिक्षा पूरी तरह निशुल्क होती है, जिसका खर्च सरकार उठाती है।
CBSE समेत अन्य शिक्षा बोर्डों ने भी स्पष्ट किया है कि उनके अंतर्गत आने वाले सभी निजी स्कूलों को RTE कानून का पालन करना अनिवार्य है। इसके बावजूद, पंजाब में कई स्कूल इस कानून की अनदेखी कर रहे थे।
❓ पंजाब में SOP की ज़रूरत क्यों पड़ी?
पिछले कुछ वर्षों से पंजाब में RTE के तहत सीटों का आरक्षण केवल कागज़ों तक ही सीमित रह गया था। हजारों स्कूलों ने या तो RTE के तहत बच्चों को दाखिला ही नहीं दिया या फिर दाखिले में देरी की, जिससे बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया।
पूर्व IAS अधिकारी जगमोहन सिंह राजू, ओंकार नाथ और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पंजाब सरकार से इस विषय पर पारदर्शी और सख्त कार्यविधि (SOP) बनाने की मांग की।
इन संगठनों का कहना है कि अगर सरकार समय रहते स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं करती, तो RTE अधिनियम केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा।
📝 SOP में क्या-क्या शामिल किया जाएगा?
पंजाब स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किया गया ड्राफ्ट SOP अभी चर्चा में है, जिसे जल्द ही अंतिम रूप देकर सभी जिलों में भेजा जाएगा। इस SOP में निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु शामिल होंगे:
- आरक्षित सीटों की अधिसूचना: स्कूलों को हर साल यह स्पष्ट करना होगा कि RTE के तहत कितनी सीटें आरक्षित हैं।
- पात्रता मापदंड: EWS और वंचित वर्गों के निर्धारण के स्पष्ट मानदंड होंगे।
- प्रवेश प्रक्रिया: ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन, दस्तावेज़ सत्यापन, और चयन के लिए ड्रॉ ऑफ लॉट्स की प्रक्रिया तय होगी।
- नोडल अधिकारी की नियुक्ति: हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो प्रवेश प्रक्रिया की निगरानी करेगा।
- केंद्रित मॉनिटरिंग: एक केंद्रीकृत मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया जाएगा जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
⚖️ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
फरवरी 2025 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि पंजाब सरकार द्वारा बनाए गए 2011 के नियम, जो RTE एक्ट की भावना के विरुद्ध थे, अवैध हैं।
अदालत ने RTE की धारा 12(1)(c) को सर्वोपरि मानते हुए आदेश दिया कि सभी प्राइवेट स्कूलों को 25% सीटें EWS वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होंगी।
इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि 2025-26 शैक्षणिक सत्र से पहले सभी स्कूलों में इसका पालन सुनिश्चित किया जाए।
👥 समाजिक संगठनों और याचिकाकर्ताओं की प्रतिक्रिया
सामाजिक संगठन जैसे क्रांतिकारी लोक चेतना मंच और अन्य संस्थाओं ने इस विषय पर कई बार प्रदर्शन किए और शिक्षा विभाग को अवगत कराया कि निजी स्कूल कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कई स्कूलों ने अभिभावकों को मना कर दिया या बार-बार टालमटोल करते रहे, जिससे बच्चों की शिक्षा अधर में रह गई।
याचिकाकर्ता ओंकार नाथ ने विभाग से आग्रह किया कि SOP को जल्द जारी किया जाए और उसका पालन अनिवार्य रूप से कराया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ज़रूरत पड़ी तो दोषी स्कूलों की मान्यता रद्द की जानी चाहिए।
💬 ट्वीट्स और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा विभाग के अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और NGO प्रतिनिधियों ने सोशल मीडिया पर भी SOP के जल्द जारी होने की उम्मीद जताई।
ट्वीट्स में शिक्षा में समानता की मांग, पारदर्शी प्रक्रिया और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने की बात प्रमुखता से सामने आई।
जनता के बीच भी इस मुद्दे पर गहरी चिंता देखी जा रही है, खासकर उन परिवारों में जो निजी स्कूल में अपने बच्चों को दाखिल कराने की उम्मीद कर रहे थे।
🔮 आगे की राह और संभावित प्रभाव
SOP लागू होने के बाद पंजाब में हज़ारों बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने का अवसर मिलेगा। इससे न केवल बच्चों का भविष्य सुधरेगा, बल्कि शिक्षा में सामाजिक संतुलन भी आएगा।
सरकार और स्कूलों के लिए यह एक ज़िम्मेदारी का विषय होगा कि वे SOP का पालन पूरी ईमानदारी से करें।
वहीं, अगर कोई स्कूल इसका पालन नहीं करता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि नियमों की अवहेलना न हो।
🧾 निष्कर्ष
पंजाब सरकार का यह कदम शिक्षा के अधिकार को मजबूत करने की दिशा में सराहनीय है। SOP लागू होने के बाद अगर इसे ईमानदारी से लागू किया गया तो यह हज़ारों बच्चों के भविष्य को नई दिशा देगा।
आपकी राय क्या है?
क्या प्राइवेट स्कूलों को RTE का पालन न करने पर सख्त सज़ा मिलनी चाहिए?
क्या SOP से वाकई EWS बच्चों को न्याय मिल पाएगा?
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