राजस्थान के झालावाड़ जिले में एक सरकारी स्कूल में हुआ दिल दहला देने वाला हादसा पूरे प्रदेश को झकझोर गया। स्कूल की जर्जर छत गिरने से सात बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। हैरानी की बात यह रही कि छात्र इस खतरे से पहले ही अवगत थे और उन्होंने शिक्षकों को कंकड़-पत्थरों के गिरने की बात बताई थी। बावजूद इसके, शिक्षकों ने इस चेतावनी को अनदेखा कर दिया और नाश्ता करते रहे। इसी लापरवाही ने मासूमों की जिंदगी छीन ली।
छात्रों की चेतावनी को किया गया नजरअंदाज
घटना के चश्मदीद छात्रों के अनुसार, सुबह की कक्षा में छत से रेत और कंकड़ गिरने लगे थे। बच्चों ने घबराते हुए यह बात शिक्षकों को बताई, लेकिन शिक्षकों ने उन्हें शांत रहने और बैठने को कहा। उस समय शिक्षक परिसर में नाश्ता कर रहे थे और उन्होंने बच्चों की बात को गंभीरता से नहीं लिया।
यह लापरवाही उस समय घातक सिद्ध हुई जब कुछ ही मिनटों बाद छत का बड़ा हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा और कई बच्चे उसके नीचे दब गए।
They went to school to learn, not to die under a collapsing roof. 💔
Why? Old, neglected structure + heavy rains = disaster.
Welcome to vikShit desh where basic safety isn’t a priority..#Jhalawar #Rajasthan #SchoolCollapse pic.twitter.com/XOCt0O63iM— Anunay (@anunay_24) July 25, 2025
छत गिरने से हुआ भयावह मंजर
छत गिरने की तेज आवाज सुनते ही आसपास अफरा-तफरी मच गई। कई छात्र मलबे में दबे रह गए। स्थानीय लोगों और स्कूल स्टाफ की मदद से राहत कार्य शुरू किया गया और बच्चों को बाहर निकाला गया। दुर्भाग्यवश, सात बच्चों की मौके पर ही मौत हो चुकी थी, जबकि बाकी गंभीर रूप से घायल थे।
मलबे से चीखें, धूल और टूटे बस्तों के बीच का दृश्य ऐसा था कि देखने वालों की रूह कांप उठी।
हादसे के बाद का माहौल और व्यवस्था की स्थिति
घटना के बाद स्कूल परिसर में मातम पसरा हुआ था। अभिभावक जब अपने बच्चों की खोज में स्कूल पहुंचे तो मंजर देखकर फूट-फूटकर रो पड़े। कई परिजनों ने बताया कि उन्होंने पहले भी स्कूल भवन की जर्जर स्थिति पर चिंता जताई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
इसी तरह, देश में जब हम करगिल विजय दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, तब ऐसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि देश के भविष्य यानी बच्चों की सुरक्षा में भी उतनी ही संजीदगी जरूरी है।
स्थानीय प्रशासन ने तत्काल राहत कार्य शुरू करवाया, लेकिन लोगों में गुस्सा साफ देखा गया।
🔥 THREAD: “Jhalawar Horror: 8 Kids Buried, ₹4.28 Cr Lost in Files, and a Government Looking Away” 🧱👦💔
📌 A deadly school collapse in Rajasthan has shaken India’s conscience. Bureaucratic delays, ignored warnings, and political coldness led to 8 young lives lost. Here’s the… pic.twitter.com/v9eQWGJU56
— Satyaagrah (@satyaagrahindia) July 25, 2025
प्रशासनिक कार्रवाई शुरू, शिक्षक निलंबित
घटना की गंभीरता को देखते हुए संबंधित शिक्षकों को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। साथ ही उच्चस्तरीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं। प्रशासन ने यह स्वीकारा है कि छत की मरम्मत लंबे समय से लंबित थी, लेकिन समय रहते कार्रवाई नहीं हुई।
इसके अलावा, स्कूल भवन की सुरक्षा जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है जो अन्य विद्यालयों की भी समीक्षा करेगी।
पीड़ित परिवारों की पीड़ा
हादसे में जिन बच्चों की मौत हुई, वे सभी प्राथमिक स्तर के छात्र थे। उनके परिजन पूरी तरह टूट चुके हैं। कुछ माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे सुबह घर से जाते वक्त उत्साहित थे, लेकिन अब कभी वापस नहीं लौटेंगे।
स्थानीय महिलाओं ने बताया कि कई बार स्कूल भवन में दरारें और गिरते पत्थर देखे गए थे, लेकिन हमेशा यही कहा गया कि “कुछ नहीं होगा।”
सिस्टम की खामियां आईं सामने
इस दर्दनाक घटना ने फिर एक बार सरकारी स्कूलों की जर्जर भवन स्थिति को उजागर कर दिया है। भवन की नियमित निगरानी और मरम्मत की प्रक्रिया में लापरवाही के चलते ऐसे हादसे अब जानलेवा बनते जा रहे हैं।
सवाल ये उठता है कि जब छात्रों ने चेतावनी दी थी, तो उसे क्यों अनसुना किया गया? क्या एक शिक्षक का कर्तव्य इतना कमजोर हो गया है कि नाश्ते को बच्चों की सुरक्षा से ऊपर रखा जाए?
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
यह कोई पहली घटना नहीं है जब स्कूल भवन की बदहाली के कारण जानें गई हों। इससे पहले भी कई राज्यों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां या तो छत गिरी या दीवारें ढहीं और बच्चों की जान पर बन आई।
हर हादसे के बाद कुछ दिन चर्चा होती है, फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।
#WATCH| Jhalawar School roof collapse | A student studying in the school and also an eyewitness, says, “I was outside, cleaning, and students were sitting inside the classroom. Suddenly, stones from the roof started falling, so the students alarmed the teacher. She asked everyone… pic.twitter.com/Ajk9dEn5OX
— ANI (@ANI) July 26, 2025
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा
घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का आक्रोश फूट पड़ा। कई लोगों ने शिक्षकों की लापरवाही की आलोचना की, वहीं कुछ ने सरकार की निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठाए।
लोगों ने मांग की है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और बाकी स्कूलों की इमारतों का जल्द से जल्द ऑडिट होना चाहिए।
सुधार की जरूरत और निष्कर्ष
बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। स्कूल भवन की हालत की अनदेखी न सिर्फ एक लापरवाही है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है।
ज़रूरत है एक ऐसी व्यवस्था की जहां समय-समय पर स्कूलों की जाँच हो, मरम्मत कार्य समय पर हो और ऐसी घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार लोगों को सिर्फ निलंबन तक ही सीमित न रखा जाए, बल्कि उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाए।
इस हादसे ने हर माता-पिता को झकझोर कर रख दिया है। यह सिर्फ एक खबर नहीं, एक चेतावनी है – कि अगर अब भी सुधारा नहीं गया, तो अगली बार कोई और मासूम इसकी चपेट में आ सकता है।