पंजाब की राजनीति उस समय हिल गई जब आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक हरमीत पठानमाजरा पर बलात्कार का गंभीर आरोप दर्ज हुआ और पुलिस उनकी तलाश में जुट गई। मामला और भी सनसनीखेज तब बन गया जब वह करनाल में पुलिस घेराबंदी से नाटकीय तरीके से फरार हो गए। इस दौरान उन पर पुलिसकर्मी पर फायरिंग करने का भी आरोप लगा, जिसमें एक जवान घायल हो गया।
यह पूरी घटना न केवल पंजाब की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि इस बात पर भी कि एक विधायक होने के बावजूद वे गिरफ्तारी से बचने में कैसे सफल रहे। इस खबर ने पूरे राज्य में राजनीतिक और सामाजिक बहस को जन्म दिया है।
विधायक हरमीत पठानमाजरा पर केस का पृष्ठभूमि
हरमीत पठानमाजरा पंजाब विधानसभा के मौजूदा विधायक हैं। उन पर हाल ही में बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता ने उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
विधायक पहले भी विवादों में रहे हैं और पार्टी के भीतर भी उनकी छवि पर सवाल उठते रहे हैं। बलात्कार के इस मामले ने उनके राजनीतिक करियर को गहरी चोट पहुंचाई है। शिकायत दर्ज होने के बाद से ही उनके खिलाफ माहौल बनना शुरू हो गया था और गिरफ्तारी की तैयारी चल रही थी।
करनाल में गिरफ्तारी से बचने की कोशिश
पुलिस ने जब उनकी तलाश तेज की तो जानकारी मिली कि वह करनाल के आसपास देखे गए हैं। पुलिस ने घेराबंदी की, लेकिन इसी दौरान विधायक ने नाटकीय ढंग से फरार होने की कोशिश की।
सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि उन्होंने पुलिस पर गोली चला दी, जिसमें एक जवान घायल हो गया। इसके बावजूद वह पुलिस को चकमा देकर निकल गए। इस तरह की वारदात ने आम जनता को झकझोर दिया और सवाल उठाए कि आखिर कैसे एक विधायक हथियारों के साथ खुलेआम घूम रहा था और पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया।
VIDEO | Karnal: AAP MLA Harmeet Singh Pathanmajra escaped police custody after firing in Karnal, leaving a cop injured.
The Sanour legislator, who had earlier attacked his own party’s government over floods and questioned its central leadership, has been booked on charges of… pic.twitter.com/MHDfQd2De3
— Press Trust of India (@PTI_News) September 2, 2025
पंजाब पुलिस और हरियाणा पुलिस की कार्रवाई
घटना के बाद दोनों राज्यों की पुलिस ने तुरंत संयुक्त अभियान चलाया। हरियाणा पुलिस ने इलाके की नाकेबंदी की जबकि पंजाब पुलिस ने उनकी लोकेशन ट्रैक करने की कोशिश की।
फिलहाल, पुलिस का कहना है कि उनकी तलाश लगातार जारी है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। सुरक्षा एजेंसियां तकनीकी और स्थानीय इनपुट के आधार पर काम कर रही हैं।
आम आदमी पार्टी पर सवाल और विपक्ष का हमला
इस घटना के बाद विपक्ष ने सीधे AAP सरकार को घेरा। विपक्षी दलों का कहना है कि पार्टी के विधायक पर इस तरह के गंभीर आरोप होना सरकार की छवि को धूमिल करता है।
पार्टी के अंदर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसे नेताओं पर कार्रवाई करने में देरी की जा रही है। वहीं जनता और सोशल मीडिया पर इस पूरे मामले को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है।
कानून व्यवस्था और सुरक्षा पर बहस
एक विधायक का पुलिस पर फायरिंग कर फरार होना, कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। लोगों का कहना है कि जब जनता की सुरक्षा के जिम्मेदार लोग ही कानून तोड़ने लगें, तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित महसूस करेगा।
इस घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि राजनीति में बैठे लोगों पर कार्रवाई करना इतना मुश्किल क्यों होता है। न्याय व्यवस्था पर भरोसा बनाए रखने के लिए पुलिस को सख्ती दिखानी होगी।
इसी कड़ी में, हाल ही में एक और मामला सामने आया था, जहां पंजाब में पुलिस ने बीश्नोई नाम का इस्तेमाल करके ज्वैलर से फिरौती वसूलने की कोशिश करने वाले गिरोह को गिरफ्तार किया था, जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
पहले भी नेताओं के खिलाफ ऐसे मामले
यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी विधायक या बड़े नेता पर गंभीर आरोप लगे हों। देश के अलग-अलग हिस्सों में कई बार ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जब नेताओं ने कानून से बचने की कोशिश की।
लेकिन इस मामले में खास बात यह है कि आरोपित ने न केवल गिरफ्तारी से बचने की कोशिश की बल्कि पुलिस पर हमला करके फरार हुआ। इससे मामला और भी संवेदनशील हो गया है।
आगे की कार्रवाई और संभावित कानूनी परिणाम
पुलिस का कहना है कि विधायक पर लगे आरोप गंभीर हैं और उनकी गिरफ्तारी किसी भी समय हो सकती है। अगर वह पकड़े जाते हैं, तो उनके खिलाफ बलात्कार और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर धाराओं में मुकदमा चलेगा।
इसके अलावा, पुलिस पर हमला करने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप भी उन पर दर्ज हो सकते हैं। कोर्ट में दोषी साबित होने पर उन्हें लंबी सजा भुगतनी पड़ सकती है।
बड़ा संदेश
यह घटना सिर्फ एक विधायक या एक पार्टी का मुद्दा नहीं है। यह उस सोच पर चोट करती है जिसमें कुछ लोग मानते हैं कि सत्ता में आने के बाद वे कानून से ऊपर हो जाते हैं।
कानून का राज सबके लिए समान होना चाहिए। अगर बड़े नेता या विधायक भी गिरफ्तारी से बच निकलते हैं, तो आम नागरिक न्याय व्यवस्था पर भरोसा कैसे करेगा?
पाठकों, अब सवाल आपसे –
क्या आपको लगता है कि राजनीति में ऐसे लोगों पर जल्द और सख्त कार्रवाई होनी चाहिए?
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