अफगानिस्तान में संकट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। भीषण भूकंप के बाद आए दो शक्तिशाली आफ्टरशॉक्स ने तबाही को और गहरा कर दिया। शुरुआती झटकों में हजारों घर जमींदोज़ हो गए और अब तक 2,200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जैसा कि हमारे पिछले अपडेट “अफगानिस्तान भूकंप 2025: 800 मौतें, ढहे घर और बड़े अपडेट” में बताया गया था, वहीं से इस मानवीय आपदा की शुरुआत हुई थी। अब लगातार आफ्टरशॉक्स ने लोगों को और भी भयभीत कर दिया है।
आफ्टरशॉक्स का विवरण — कब और कहाँ महसूस हुए
पूर्वी अफगानिस्तान में दो प्रमुख आफ्टरशॉक्स महसूस किए गए। पहला आफ्टरशॉक मंगलवार को आया जिसकी तीव्रता 5.5 मैग्नीट्यूड दर्ज की गई, जबकि दूसरा शुक्रवार को 5.4 मैग्नीट्यूड का झटका था। दोनों ही झटकों ने नंगरहार और कुनार प्रांतों में भारी तबाही मचाई। लोग घरों से बाहर भागने लगे, कई स्कूल और अस्पताल की इमारतें दरक गईं। पड़ोसी देशों में भी हल्के झटके महसूस किए गए, जिससे दहशत का माहौल फैल गया।
मौतों और तबाही का आंकड़ा
भूकंप और आफ्टरशॉक्स से मरने वालों की संख्या 2,200 से अधिक हो चुकी है, जबकि हजारों लोग घायल हैं। कुनार प्रांत में 90 प्रतिशत से अधिक घर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। मिट्टी और पत्थर से बने मकान आसानी से ध्वस्त हो गए, जिससे पूरा इलाका खंडहर में बदल गया। नंगरहार और आसपास के क्षेत्रों में हजारों लोग बेघर हो गए हैं और खुले आसमान के नीचे रातें बिता रहे हैं।
राहत और बचाव कार्य
राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी है लेकिन पहाड़ी इलाकों तक पहुँचना बेहद कठिन साबित हो रहा है। भारी बारिश और भूस्खलन ने कई रास्तों को बंद कर दिया है। सेना और स्थानीय प्रशासन हेलीकॉप्टर की मदद से राहत सामग्री पहुँचा रहे हैं, लेकिन दवाइयों और खाने-पीने की चीज़ों की कमी बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी मदद शुरू की है, लेकिन संसाधनों की भारी कमी के कारण सभी तक सहायता नहीं पहुँच पा रही है।
6.2 earthquake HITS Afghanistan as DEATH toll from first quake reaches a SHOCKING 2,200 https://t.co/Vi0g9VENb8 pic.twitter.com/CEHNCClgIq
— RT (@RT_com) September 4, 2025
भूगर्भीय कारण और वैज्ञानिकों की राय
अफगानिस्तान भूकंप-प्रवण क्षेत्र में आता है, जहाँ भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों का आपसी टकराव होता है। यही वजह है कि यहाँ अक्सर भूकंप आते रहते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार झटके उथले होने के कारण तबाही और ज़्यादा हुई। मिट्टी और ईंट-पत्थर के घर कमजोर थे, जिनके ढहने से जनहानि बढ़ गई। बारिश और भूस्खलन ने हालात को और खराब कर दिया है।
आम लोगों की पीड़ा और जीवन पर असर
गाँवों में बेघर हुए लोग अस्थायी टेंटों में रह रहे हैं। बच्चों और महिलाओं के लिए यह स्थिति बेहद कठिन हो चुकी है। भोजन, पानी और दवाइयों की कमी लोगों की परेशानी बढ़ा रही है। कई परिवारों ने अपने परिजनों को खो दिया है और अब भविष्य की चिंता से घिरे हैं। लोग खुले आसमान के नीचे भी झटकों के डर से काँपते रहते हैं।
वैश्विक प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय मदद
मानवीय संकट को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मदद के हाथ बढ़ाए हैं। विभिन्न संगठनों और पड़ोसी देशों ने राहत सामग्री भेजनी शुरू कर दी है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियाँ आपातकालीन सहायता जुटा रही हैं। हालाँकि, राजनीतिक अस्थिरता और फंडिंग की कमी के कारण राहत प्रयास उतने प्रभावी नहीं हो पा रहे, जितने होने चाहिए थे।
भविष्य की चुनौतियाँ और पुनर्निर्माण
भूकंप के बाद पुनर्निर्माण सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। आर्थिक संसाधनों की कमी और ढह चुकी संरचनाओं को दोबारा बनाने में लंबा समय लगेगा। हजारों लोग अब भी शिविरों में हैं और उनके जीवन को पटरी पर लाना आसान नहीं होगा। सरकार और एनजीओ मिलकर प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कार्य इतना बड़ा है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग बेहद ज़रूरी होगा।
पाठकों से जुड़ाव
अफगानिस्तान में आई इस त्रासदी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि प्राकृतिक आपदाएँ इंसानी जीवन को कितनी गहराई से प्रभावित कर सकती हैं। यह सिर्फ एक देश का संकट नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है कि हमें आपदा प्रबंधन और मानवीय सहयोग को प्राथमिकता देनी होगी।
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