अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अक्सर अपने बयानों से चर्चा में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “अमेरिका और भारत आपस में बहुत अच्छे से मिलते हैं, लेकिन व्यापारिक रिश्ते एकतरफा रहे हैं।” इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस छेड़ दी है।
भारत और अमेरिका दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं। दोनों देशों के बीच दोस्ताना संबंध लगातार मज़बूत हुए हैं, लेकिन व्यापार को लेकर हमेशा से खींचतान बनी रही है। ट्रंप के इस बयान ने फिर से इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है।
ट्रंप का बयान और उसका संदर्भ
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भारत को कई अवसर देता रहा है, लेकिन व्यापार का संतुलन हमेशा भारत के पक्ष में रहा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “हम भारत से बहुत अच्छे से मिलते हैं, लेकिन यह रिश्ता ट्रेड की दृष्टि से न्यायपूर्ण नहीं है।”
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है और ट्रंप अपनी नीतियों को फिर से सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। उनके मुताबिक, अमेरिका लंबे समय तक “एकतरफा व्यापार” का शिकार रहा है।
भारत-अमेरिका रिश्तों की पृष्ठभूमि
भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते दशकों पुराने हैं। 1990 के बाद से आर्थिक उदारीकरण ने दोनों देशों को और नज़दीक ला दिया।
- रक्षा सहयोग: अमेरिका भारत को आधुनिक हथियार और तकनीक उपलब्ध कराता है।
- ऊर्जा क्षेत्र: परमाणु समझौते और क्लीन एनर्जी साझेदारी दोनों देशों के बीच मज़बूत कड़ी बने।
- टेक्नोलॉजी: आईटी और स्टार्टअप सेक्टर में भारत-अमेरिका सहयोग ने वैश्विक स्तर पर नई मिसाल कायम की।
लेकिन इन सबके बीच ट्रेड डेफिसिट हमेशा विवाद का कारण रहा है। अमेरिका का मानना है कि भारत कई वस्तुओं पर ऊँचे टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाज़ार में बराबरी का मौका नहीं मिलता।
For many years, it was a one-sided relationship. India was charging us tremendous tariffs. They were about the highest in the world.
Therefore, we were not doing business with them, but they were doing business with us because we weren’t charging them foolishly.
—Donald Trump pic.twitter.com/ugEL19IccP
— Mohit Chauhan (@mohitlaws) September 2, 2025
व्यापारिक रिश्तों की सच्चाई
भारत और अमेरिका का कुल व्यापार पिछले वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका को ट्रेड डेफिसिट झेलना पड़ा है।
- भारत अमेरिका को वस्त्र, दवाइयाँ, आईटी सेवाएँ और स्टील का निर्यात करता है।
- अमेरिका भारत को एयरक्राफ्ट, हाई-टेक उपकरण और कृषि उत्पादों का निर्यात करता है।
ट्रंप के अनुसार, यह असंतुलन अमेरिकी उद्योगों के लिए नुकसानदायक है। उन्होंने Harley Davidson मोटरसाइकिल का उदाहरण दिया, जिसे भारत में ऊँचे टैरिफ के कारण मुश्किलें झेलनी पड़ीं।
यह तथ्य स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ रहा है, लेकिन उसका संतुलन आज भी भारत के पक्ष में झुका हुआ है।
ट्रंप की टैरिफ नीति और भारत
ट्रंप प्रशासन (2017–2021) के दौरान “America First” नीति पर जोर दिया गया। उन्होंने आयात पर भारी टैरिफ लगाए और भारत से भी “फेयर ट्रेड” की मांग की।
- ट्रंप ने कई बार कहा कि अगर भारत अमेरिका से व्यापार करना चाहता है तो उसे टैरिफ कम करने होंगे।
- उन्होंने 50% तक आयात शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी।
- अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय बाज़ार में प्रवेश आसान बनाने पर दबाव डाला।
हालाँकि इस नीति का असर दोनों देशों के व्यापार पर मिला-जुला रहा। अमेरिकी कंपनियों को राहत मिली, लेकिन भारतीय एक्सपोर्टर्स को चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
भारत का पक्ष और प्रतिक्रिया
भारत का तर्क है कि स्थानीय उद्योगों और किसानों की सुरक्षा के लिए कुछ वस्तुओं पर टैरिफ ज़रूरी हैं। भारत ने लगातार कहा कि उसका उद्देश्य अमेरिका के साथ संबंध बिगाड़ना नहीं, बल्कि संतुलित और न्यायपूर्ण व्यापार करना है।
भारतीय विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप के बयानों में राजनीति का पुट भी शामिल होता है। चुनावी माहौल में ऐसे बयान घरेलू मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए दिए जाते हैं।
वैश्विक संदर्भ: रूस, चीन और अन्य देश
ट्रंप ने भारत के रूस से कच्चा तेल खरीदने के फैसले पर भी टिप्पणी की। उनका कहना था कि अमेरिका दुनिया का नेतृत्व करता है और बिना अमेरिका दुनिया “ठप” पड़ जाएगी।
- रूस-भारत तेल व्यापार पर अमेरिका की चिंता।
- चीन का बढ़ता प्रभाव और उसका भारत-अमेरिका रिश्तों पर असर।
- बदलते वैश्विक समीकरणों में भारत की भूमिका अहम।
यह साफ है कि ट्रंप के बयान सिर्फ भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित करते हैं।भारत की वैश्विक भूमिका हाल के वर्षों में और मज़बूत हुई है। खासकर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई चर्चा को जन्म दिया। इस विषय पर विस्तार से पढ़ने के लिए आप हमारा विशेष लेख एससीओ समिट 2025: मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की बॉनहोमी देख सकते हैं।
हालिया SCO और G20 संदर्भ
भारत आज वैश्विक मंच पर मज़बूती से खड़ा है। SCO और G20 जैसे मंचों पर भारत की भूमिका लगातार बढ़ रही है।
हाल ही में SCO शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को नया आयाम दिया।
👉 यहाँ पढ़ें पूरी रिपोर्ट
अमेरिका के लिए यह संदेश है कि भारत अब वैश्विक ताकतों के साथ बराबरी से खड़ा है।
भारतीय जनता और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
भारतीय कारोबारी मानते हैं कि ट्रंप का बयान राजनीतिक है, लेकिन व्यापारिक रिश्तों में सुधार की ज़रूरत भी है।
- आम लोग इसे अमेरिका की “चुनावी राजनीति” से जोड़कर देख रहे हैं।
- उद्योग जगत चाहता है कि दोनों देशों के बीच व्यापार और आसान हो।
आगे का रास्ता
भारत और अमेरिका के रिश्ते केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं। दोनों देश रणनीतिक साझेदार हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों के कारण स्वाभाविक सहयोगी भी।
लेकिन यह भी सच है कि ट्रेड बैलेंस का मुद्दा हमेशा से विवादित रहा है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि क्या दोनों देश अपने मतभेद भुलाकर व्यापार को संतुलित और पारदर्शी बना पाते हैं।
👉 क्या आपको लगता है कि अमेरिका-भारत व्यापार में जल्द संतुलन आएगा? अपनी राय नीचे कमेंट करके ज़रूर बताएं।