पर्यावरण संरक्षण आज विश्व के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। बढ़ते वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और वनों की अंधाधुंध कटाई के दौर में वृक्षारोपण न केवल एक आवश्यकता है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए ज़रूरी विरासत भी है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है—एक ही दिन में 37.21 करोड़ पौधों का रोपण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया।
यह अभियान सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक संदेश है – प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने का।
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रिकॉर्ड-ब्रेकिंग उपलब्धि: 37.21 करोड़ पौधे एक ही दिन में
6 जुलाई 2025 को उत्तर प्रदेश में ‘मिशन ग्रीन यूपी’ के अंतर्गत एक दिन में 37.21 करोड़ पौधे लगाए गए। यह संख्या न केवल सरकार द्वारा निर्धारित 36 करोड़ के लक्ष्य से अधिक है, बल्कि विश्व स्तर पर भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चलाए गए इस मेगा ड्राइव में प्रदेश के सभी 75 जिलों ने भाग लिया। 83,000 से अधिक स्थलों पर पौधे लगाए गए। इसमें किसानों से लेकर छात्रों, ग्रामीणों से लेकर अधिकारियों तक ने सक्रिय भूमिका निभाई।
मात्र 11 घंटे में 37 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाकर यूपी ने बनाया रिकॉर्ड. सुबह 7 बजे शुरू हुआ था पौधरोपण अभियान. शाम 6 बजे तक यूपी के सभी 75 जनपद में 37,09,15,772 पौधे रोपे गए.. वन विभाग को बधाई..#Plantation #plantationdrive #green pic.twitter.com/9YKmgGqdbO
— Vivek K. Tripathi (@meevkt) July 9, 2025
‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’: भावनात्मक जुड़ाव और पर्यावरण संरक्षण का संगम
इस अभियान की सबसे खास बात रही इसका नाम—‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’। यह पहल ना केवल पर्यावरण के लिए समर्पित थी, बल्कि लोगों के भावनात्मक जुड़ाव को भी प्रकट करती है। इससे पहले वर्ष 2023 में जब इसका पहला संस्करण आया था, तब भी लाखों लोगों ने भागीदारी की थी। इस बार इसे और व्यापक स्तर पर ले जाया गया।
हर प्रतिभागी से कहा गया कि वे अपनी माँ या किसी प्रिय व्यक्ति के नाम पर पौधा लगाएं। इस पहल से लोगों को व्यक्तिगत रूप से जोड़ने की एक कोशिश की गई, जिससे अभियान में उत्साह भी दिखा।
आओ साथ में आओ, वन महोत्सव मनाओ#एक_पेड़_मां_के_नाम, हर हाल में लगाओ 🌱#UPCM श्री @myogiadityanath जी के कुशल मार्गदर्शन और 26 राजकीय विभागों एवं 25 करोड़ नागरिकों की सहभागिता से 9 जुलाई को एक ही दिन में 37 करोड़ पौधे रोपे जाएंगे।#EkPedMaaKeNaam I @UpforestUp pic.twitter.com/FUG1ixJW0L
— Information and Public Relations Department, UP (@InfoDeptUP) July 7, 2025
राज्यव्यापी भागीदारी: प्रशासन, आमजन और स्वयंसेवकों की साझा कोशिश
इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय सिर्फ सरकार को नहीं, बल्कि हर उस नागरिक को जाता है जिसने इस अभियान को अपने स्तर पर समर्थन दिया। जिला प्रशासन, ग्राम पंचायतें, स्कूलों के शिक्षक और विद्यार्थी, स्वयंसेवी संस्थाएं तथा स्थानीय लोग सभी इस अभियान में शामिल हुए।
कुछ जिलों में तो यह एक उत्सव जैसा नजारा था—लोग पारंपरिक वेशभूषा में पौधारोपण करते नजर आए। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनआंदोलन बन चुका था।
तकनीकी निगरानी: पौधारोपण की पारदर्शिता और सत्यापन
अक्सर वृक्षारोपण अभियानों पर सवाल उठते हैं कि आंकड़े तो दिखाए जाते हैं, लेकिन वास्तव में कितने पौधे लगते हैं और कितने बचते हैं? इस चुनौती से निपटने के लिए इस बार तकनीकी समाधानों का सहारा लिया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मिशन में Geo-tagging, mobile app-based monitoring, और drone surveillance जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया। हर पौधे की जानकारी को सिस्टम में दर्ज किया गया जिससे उसकी निगरानी आगे भी की जा सके।
पर्यावरणीय प्रभाव: क्या बदलाव आएंगे इतने बड़े पौधारोपण से?
पौधारोपण का वास्तविक उद्देश्य सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि स्थायी पर्यावरणीय प्रभाव है। यदि ये पौधे संरक्षित रहते हैं, तो इसका असर निम्नलिखित रूपों में देखने को मिलेगा:
- वायु गुणवत्ता में सुधार: वनों की वृद्धि से कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर घटेगा और ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ेगी।
- भू-क्षरण की रोकथाम: खासकर बुंदेलखंड और तराई क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोका जा सकेगा।
- जल संरक्षण में योगदान: पौधे वर्षा को आकर्षित करते हैं और जलस्तर को बनाए रखने में मददगार होते हैं।
- वन्यजीव संरक्षण: जंगलों के बनने से जानवरों के प्राकृतिक आवास भी सुरक्षित होंगे।
प्रशासनिक दृढ़ता और राजनीतिक प्रतिबद्धता का परिणाम
सरकार द्वारा यह रिकॉर्ड सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और मजबूत प्रशासनिक समन्वय का परिचायक है। जहां आमतौर पर बड़ी घोषणाएं धरातल पर नहीं उतरतीं, वहीं इस कार्यक्रम को जमीनी स्तर तक पहुंचाया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर ग्राम स्तर तक सभी अधिकारियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। इसकी एक झलक तब भी देखी गई जब खुद मुख्यमंत्री ने पौधारोपण कर अभियान का शुभारंभ किया।
जनता की सोच: सच्ची पहल या दिखावटी प्रयास?
ऐसे किसी भी बड़े सरकारी प्रयास को लेकर दो तरह की प्रतिक्रियाएं आती हैं—एक ओर लोग सरकार की तारीफ करते हैं, वहीं कुछ इसे प्रचार का माध्यम भी मानते हैं। लेकिन इस बार जिस तरह से लाखों लोगों ने स्वेच्छा से भागीदारी की, उससे यह अभियान केवल प्रचार तक सीमित नहीं रहा।
लोगों ने सोशल मीडिया पर भी अपने पौधे लगाते हुए फोटो साझा किए। यह स्पष्ट संकेत है कि यह केवल सरकारी अभियान नहीं, बल्कि जनजागरूकता और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक बन गया है।
हर पौधा, एक भविष्य की उम्मीद
उत्तर प्रदेश सरकार का यह वृक्षारोपण अभियान न केवल रिकॉर्ड तोड़ रहा है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को एक हरित विरासत सौंपने की कोशिश भी है। हालांकि, असली सफलता तब मानी जाएगी जब ये पौधे जिंदा रहें और फलें-फूलें।
आमजन से लेकर प्रशासन तक की भागीदारी, तकनीकी निगरानी और भावनात्मक जुड़ाव—इन सभी ने मिलकर इस अभियान को “पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ” के नारे से एक कदम आगे बढ़ाया है।