सुप्रीम कोर्ट आज (17 अप्रैल 2025) को दोपहर 2 बजे से वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू करने जा रहा है। यह कानून हाल ही में संसद से पारित हुआ है और इसके कई प्रावधानों को लेकर देशभर में विरोध और बहस जारी है। खास तौर पर ‘Waqf by user’ और गैर-मुस्लिम सदस्यों की वक्फ बोर्डों में नियुक्ति जैसे मुद्दों पर कोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं।
🔶 क्या है वक्फ संशोधन अधिनियम 2025?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025, पहले के वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव कर लाया गया है। इसका उद्देश्य सरकार के अनुसार वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है। 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद यह कानून लागू हो चुका है।
- लोकसभा में यह बिल 288 वोटों से पास हुआ, जबकि 232 सांसदों ने विरोध किया।
- राज्यसभा में 128 समर्थन में और 95 विपक्ष में वोट पड़े।
सरकार का दावा है कि यह बदलाव लंबे समय से चली आ रही गड़बड़ियों को रोकने और गरीब मुस्लिम समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए है। लेकिन विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह धार्मिक अधिकारों पर हस्तक्षेप है।
🔶 सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या हुआ?
16 अप्रैल को इस मामले की पहली सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कानून के तीन प्रमुख प्रावधानों पर आपत्ति जताई:
- “Waqf by user” को अस्वीकार करना — यानि बिना दस्तावेज़ी साक्ष्य के ऐतिहासिक रूप से धार्मिक उपयोग में रही संपत्तियों को वक्फ संपत्ति न मानना।
- वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति — कोर्ट ने सवाल किया कि क्या फिर हिन्दू ट्रस्टों में मुसलमानों को भी सदस्य बनाया जाएगा?
- सरकारी जमीन के मामले में वक्फ संपत्ति को नकारना — यदि कोई जमीन सरकारी होने का दावा करती है तो उसे वक्फ नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून को स्टे करने की बात कही है, क्योंकि इसमें कुछ चीज़ें गलत हैं: सुप्रीम कोर्ट के वकील ने कहा.#WaqfAct #SupremeCourt #BJP #India pic.twitter.com/ZS8QdN9PKV
— Journo Mirror (@JournoMirror) April 16, 2025
🔶 कोर्ट की टिप्पणियाँ: निष्पक्षता बनाम धार्मिक पहचान
मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा —
“जब हम बेंच पर बैठते हैं तो अपना धर्म पीछे छोड़ देते हैं, हम बिल्कुल सेक्युलर हैं।”
यह टिप्पणी तब आई जब केंद्र ने कहा कि अगर गैर-मुस्लिम वक्फ बोर्ड में नहीं हो सकते तो हिन्दू न्यायाधीश इस मामले की सुनवाई कैसे कर सकते हैं?
🔶 राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: मुद्दा गर्माया
इस मुद्दे पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं:
- महुआ मोइत्रा (टीएमसी सांसद) ने कोर्ट के प्रस्ताव का स्वागत किया और इसे “खतरनाक प्रावधानों पर रोक” बताया।
- कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा — “हमने संसद में भी इन प्रावधानों का विरोध किया था, कोर्ट ने भी वही बातें उठाईं।”
- सीएम ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों से एकजुट रहने की अपील की और बीजेपी पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
- केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने कहा — “बदलाव की सिफारिश कांग्रेस शासनकाल में बनी समितियों ने ही की थी।”
- गिरीराज सिंह ने वेस्ट बंगाल में वक्फ विरोधी प्रदर्शनों को लेकर राष्ट्रपति शासन की मांग की।
Power of your one vote !!!!!!
Section 40 of the Waqf Act is dead and buried!
The outrageous clause that lets any property be arbitrarily labelled as Waqf is finally gone.pic.twitter.com/3OMqKn60lW
— विकास प्रताप सिंह राठौर🚩🇮🇳 (@V_P_S_Rathore) April 11, 2025
🔶 याचिकाकर्ता और उनकी आपत्तियाँ
अब तक 70 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं। प्रमुख याचिकाकर्ता:
- AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
- जमीअत उलेमा-ए-हिंद
- DMK, RJD, कांग्रेस के सांसद
- नागरिक अधिकार संगठनों के प्रतिनिधि
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, मनु सिंघवी, हुजेफा अहमदी जैसे दिग्गज अधिवक्ताओं ने कोर्ट में वकालत करते हुए कानून को संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन बताया।
🔶 वक्फ और “Waqf by user” की पृष्ठभूमि
इस्लाम में वक्फ एक पवित्र संपत्ति मानी जाती है जो धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए दान की जाती है।
“Waqf by user” का मतलब होता है — अगर किसी संपत्ति का लंबे समय से धार्मिक उपयोग हो रहा है, तो उसे वक्फ संपत्ति माना जा सकता है, भले ही लिखित घोषणा न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
“ऐसी संपत्तियों को फिर से जांच के लिए नहीं खोला जा सकता। ये सौ-सौ साल पुरानी विरासतें हैं।”
🔶 संपत्ति विवाद और विवादित दावे
देश के कई राज्यों में वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद चल रहे हैं:
- तमिलनाडु: एक गाँव की पूरी जमीन पर वक्फ बोर्ड का दावा
- बिहार: पटना हाई कोर्ट में मामला लंबित
- केरल: 600 ईसाई परिवारों ने विरोध जताया
- कर्नाटक: 15,000 एकड़ भूमि पर विवाद
- उत्तर प्रदेश: भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच
सरकार के अनुसार, भारत में सबसे ज़्यादा वक्फ संपत्तियाँ हैं, लेकिन उनका सही उपयोग नहीं हो रहा।
🔶 आगे क्या? कोर्ट का अगला कदम और संभावित असर
आज की सुनवाई में कोर्ट कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा सकता है। इससे वक्फ बोर्डों की संरचना, संपत्ति विवाद और धार्मिक स्वायत्तता पर व्यापक असर पड़ेगा।
सरकार ने अभी तक कोई अंतिम जवाब दाखिल नहीं किया है। कोर्ट ने सभी पक्षों से स्पष्ट दलीलें देने को कहा है।
📢 निष्कर्ष
वक्फ संशोधन एक्ट 2025 सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं बल्कि धार्मिक अधिकारों, संपत्ति के हक और धर्मनिरपेक्षता से जुड़ा मुद्दा बन चुका है।
📣 आपकी क्या राय है?
क्या सुप्रीम कोर्ट को वक्फ एक्ट में बदलावों पर रोक लगानी चाहिए?
क्या सरकार वाकई पारदर्शिता चाहती है या यह समुदाय विशेष को लक्षित करने की कोशिश है?
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