हाल ही में दुनिया स्वास्थ्य संगठन ने भारत में तीन खांसी की सिरपों को लेकर कड़ी चेतावनी जारी की है। इन तीन सिरपों में कोल्डरिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ शामिल हैं। मध्यप्रदेश के कई जिलों में इन सिरपों के सेवन के बाद बच्चों की मौतें हुई हैं, जिससे यह मामला बहुत गंभीर हो गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस बात की पुष्टि की है कि ये सिरप जहरीले तत्व डाइएथिलीन ग्लाइकोल से संदूषित हैं, जो इस्तेमाल करने वाले बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है।
WHO की चेतावनी का मतलब और इसके बाद क्या हो रहा है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन सिरपों के उपयोग पर तत्काल रोक लगाने की सलाह दी है। WHO ने बताया है कि इन सिरपों में पाया जाने वाला रासायनिक पदार्थ डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) जहरीला होता है और बच्चों की मौतों का मुख्य कारण बन रहा है। WHO ने सभी देशों के स्वास्थ्य विभागों से अनुरोध किया है कि यदि उनके देश में ये सिरप मौजूद हैं तो वे इसकी सूचना WHO को दें और तुरंत प्रभाव से ऐसे सिरप का इस्तेमाल बंद करें।
भारत सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए फौरन जांच शुरू कर दी है और जिन कंपनियों ने इन सिरपों का निर्माण किया है उनके लाइसेंस को निलंबित कर दिया है। जांच एजेंसियां कंपनियों की कड़ाई से छानबीन कर रही हैं और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मध्यप्रदेश में बच्चों की हुई मौतें: क्या हुआ?
मध्यप्रदेश के चिंदवाड़ा जिले के पारसिया गांव में 22 से अधिक बच्चों की मौतें हुई हैं। सभी बच्चों की उम्र पांच साल से कम थी। जांच में पता चला कि इन बच्चों को खांसी और जुकाम के इलाज के लिए कोल्डरिफ नामक सिरप दिया गया था, जो कि संदूषित पाया गया। हालांकि, केंद्र सरकार ने तमिलनाडु में परीक्षण में कुछ सिरपों को संदूषित नहीं पाया है, लेकिन अन्य सिरपों में मिलावट और विषाक्तता की पुष्टि हुई है। अधिक जानकारी के लिए आप यहां पढ़ सकते हैं। स्थानीय अस्पतालों में कई बच्चे भर्ती भी किए गए, लेकिन विषाक्तता इतनी अधिक थी कि कई बच्चों की जान बचाई नहीं जा सकी।
#WATCH | Jaipur, Rajasthan: Dr T. Shubhamangala, Rajasthan Drug Commissioner, says, “The cause of the deaths in Chhindwara, Madhya Pradesh, was Diethylene Glycol, which was found in cough syrup. After speaking with the Drug Controller of Tamil Nadu, we learned that Coldrif has… pic.twitter.com/7f7PbQHBsb
— ANI (@ANI) October 8, 2025
डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) क्या है और यह क्यों खतरनाक है?
डाइएथिलीन ग्लाइकोल या DEG एक प्रकार का रासायनिक उत्प्रेरक है जो आमतौर पर एंटीफ्रीज और औद्योगिक उपयोग में आता है। यह पदार्थ मानव के लिए बेहद जहरीला होता है। यदि यह पेट में चला जाए तो यह गुर्दे, लीवर और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है और मृत्यु का कारण बन सकता है।
खांसी की दवाओं में DEG का मिलना गंभीर लापरवाही और जानबूझकर किया गया अपराध माना जा रहा है। इसे पॉशाक बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया और यह खतरनाक दवा उपयोग से संक्रमण फैलाने का काम किया।
भारत सरकार की कार्रवाई और स्वास्थ्य विभाग की सलाह
भारत सरकार ने तुरंत जांच एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है। जिन कंपनियों के सिरप खराब पाए गए हैं, उनके लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। कंपनी के मालिकों और संबंधित अधिकारियों को कड़ी सुरक्षा जांच के लिए पुलिस ने हिरासत में लिया है। इसके अलावा, सरकार ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी की दवाइयां न दें और डॉक्टरों को भी इस मामले में सजग रहने को कहा गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता को चेतावनी दी है कि वे केवल भरोसेमंद और प्रमाणित दवाइयों का ही सेवन करें और संदिग्ध सिरप का उपयोग न करें। खासकर छोटे बच्चों की दवा में सावधानी बरतें।
विशेषज्ञों की सलाह और जागरूकता
डॉक्टर और स्वास्थ्य पेशेवर इस बात को दोहराते हैं कि बच्चों को किसी भी खांसी की दवा देने से पहले चिकित्सकीय सलाह लेना बेहद जरुरी है। कई बार बाजार में मिल रही दवाएं नकली और घटिया गुणवत्ता की हो सकती हैं। इस कारण से बच्चों की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
सरकारी और गैर सरकारी संस्थान मिलकर जनता में दवाओं के संदूषण और इसके खतरे को लेकर जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं। साथ ही दवा निर्माण एजेंसियों और नियंत्रण विभागों की निगरानी करीनी की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
भविष्य में ऐसी घटनाएं कैसे रोकी जा सकती हैं?
दवा उद्योग की गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली को और कड़ा करना जरूरी है। दवाओं का निर्माण और परीक्षण उचित मानकों के तहत होना चाहिए। कड़े मानकों के पालन के बिना दवाएं बाजार में नहीं आनी चाहिए। इसके साथ ही सरकार को दवा बिक्री और वितरण पर मजबूत नियंत्रण लगाना होगा।
साथ ही आम जनता को भी अगर किसी दवा में कोई संदिग्धता दिखे तो उसे तुरंत संबंधित विभाग या हेल्थ अथॉरिटी को सूचित करना चाहिए। जागरूकता बढ़ाने के लिए परेशानी की सूचना तुरंत देना आवश्यक है ताकि जान बचायी जा सके।
सावधान रहें और जागरूक बनें
यह हादसा पूरे देश के लिए एक चेतावनी की घंटी है कि हमे अपनी सेहत के प्रति सजग रहना होगा। खासकर बच्चों के लिए किसी भी दवा के उपयोग में पूरी सतर्कता बरतनी होगी।
आप सभी से अपील है कि खांसी या जुकाम की दवाइयां बिना डॉक्टर की सलाह के न लें। संदिग्ध या अविश्वसनीय सिरप से दूरी बनाएं और घरेलू उपायों तथा सही समय पर चिकित्सा सहायता लें। आपके अनुयाय से ही हम ऐसी त्रासदियों को रोक सकते हैं।
यदि आपके अथवा आपके जान-पहचान में किसी के साथ ऐसा कुछ हुआ हो तो नीचे कमेंट में अपनी बात जरूर लिखें।