प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के हंसलपुर में मारुति सुज़ुकी के पहले इलेक्ट्रिक कार और बैटरी निर्माण संयंत्र का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने ऐलान किया कि आने वाले समय में “दुनिया वे इलेक्ट्रिक गाड़ियां चलाएगी जिन पर लिखा होगा – Made in India।” यह बयान न केवल भारत की तकनीकी क्षमता का परिचायक है बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और बड़ा कदम भी है।
भारत की EV क्रांति की दिशा
दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। यूरोप, अमेरिका और एशियाई देशों ने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए EV को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। ऐसे समय में भारत भी पीछे नहीं रहना चाहता। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक बड़ी संख्या में गाड़ियां EV मॉडल में बदलें और भारत ग्रीन मोबिलिटी का केंद्र बने।
मोदी सरकार का “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” नारा अब EV सेक्टर में भी साकार होता दिखाई दे रहा है।
उद्घाटन समारोह और पीएम मोदी का संबोधन
गुजरात के हंसलपुर में हुए इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अब केवल गाड़ियों का उपभोक्ता नहीं रहेगा, बल्कि दुनिया को सप्लाई करने वाला एक बड़ा केंद्र बनेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि मारुति प्लांट का उद्घाटन भारत के औद्योगिक विकास की नई कहानी लिखेगा। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर युवाओं से भी अपील की कि वे EV तकनीक को अपनाएं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें।
मारुति का पहला EV मॉडल – e-Vitara
इस प्लांट से निकली पहली कार e-Vitara है, जिसे मारुति सुज़ुकी ने खासतौर पर ग्लोबल मार्केट को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है।
- इसमें दो बैटरी विकल्प (49 kWh और 61 kWh) मिलेंगे।
- यह FWD और AWD दोनों वर्ज़न में आएगी।
- भारत से इसे 100 से अधिक देशों में एक्सपोर्ट किया जाएगा।
मारुति का मानना है कि e-Vitara भारत की EV क्रांति का प्रतीक बनेगी और देश की ऑटो इंडस्ट्री को नई पहचान दिलाएगी।Made in India electric vehicles are now driving onto the global stage. It reflects our nation’s growing strength in green mobility. Addressing a programme in Hansalpur, Gujarat. https://t.co/sZZ7ZCSys1
— Narendra Modi (@narendramodi) August 26, 2025
बैटरी निर्माण और आत्मनिर्भर भारत
मारुति के नए संयंत्र में बैटरी और इलेक्ट्रोड निर्माण की भी सुविधा है। जापान की कंपनियों Toshiba, Denso और Suzuki के सहयोग से TDS Lithium-Ion बैटरी प्लांट तैयार हुआ है।
- इस प्लांट से भारत की EV उत्पादन क्षमता कई गुना बढ़ेगी।
- स्थानीय स्तर पर बैटरी उत्पादन से भारत की आयात पर निर्भरता घटेगी।
- हज़ारों युवाओं को नई नौकरियों का अवसर मिलेगा।
पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर असर
EVs को बढ़ावा देने से भारत को दोहरा फायदा होगा।
- पर्यावरणीय लाभ: कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, प्रदूषण घटेगा और स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ेगा।
- आर्थिक लाभ: भारत में निवेश बढ़ेगा, ऑटोमोबाइल सेक्टर में नई कंपनियां आएंगी और देश निर्यात से बड़ी आय अर्जित करेगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि EV केवल वाहन नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए स्वच्छ भविष्य की गारंटी है।
वैश्विक बाज़ार में भारत की EV रणनीति
भारत का लक्ष्य केवल घरेलू मांग पूरी करना नहीं है। मारुति सुज़ुकी और अन्य कंपनियां मिलकर “Made in India” इलेक्ट्रिक कारों को विश्व बाज़ार में उतारेंगी।
- यूरोप, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में इन गाड़ियों का निर्यात होगा।
- भारत अपनी लागत और तकनीक के दम पर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती से उतरेगा।
- आने वाले वर्षों में भारत EV सेक्टर में चीन और यूरोप को चुनौती दे सकता है।
सरकार की नीतियां और निजी कंपनियों की भूमिका
सरकार ने EV को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जैसे:
- FAME योजना के तहत सब्सिडी।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार।
- EV निर्माण पर टैक्स में छूट।
वहीं मारुति सुज़ुकी जैसी कंपनियां बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। अनुमान है कि आने वाले 5–6 सालों में ₹70,000 करोड़ का निवेश EV और बैटरी निर्माण में किया जाएगा।
🇮🇳⚡ Hon’ble PM @narendramodi flags off Maruti Suzuki’s first global EV — eVITARA — from Hansalpur, Gujarat, for exports to 100+ countries.
He also inaugurates the Suzuki-Toshiba-Denso lithium-ion battery plant, boosting hybrid & EV battery production. #MakeInIndia #EV pic.twitter.com/06LNfUtzQM
— RushLane (@rushlane) August 26, 2025
संविधान संशोधन से जुड़ा नजरिया
जब देश EV जैसे नए सेक्टर में मजबूत हो रहा है, उसी समय शासन-प्रशासन से जुड़ी कई अहम नीतियों पर भी चर्चा हो रही है। हाल ही में संविधान संशोधन से जुड़ी बहस ने संसद का माहौल गर्माया था।
भारत की औद्योगिक और तकनीकी प्रगति के साथ-साथ लोकतांत्रिक संस्थाओं में सुधार भी देश की विकास यात्रा को मजबूत करता है।
भविष्य की राह – भारत का EV विज़न 2030
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास EV सेक्टर में दुनिया का नेतृत्व करने का पूरा अवसर है।
- 2030 तक भारत का लक्ष्य है कि नई कार बिक्री में EV का हिस्सा 30% तक पहुँचे।
- इसके लिए चार्जिंग स्टेशन, बैटरी रीसाइक्लिंग और लोकल सप्लाई चेन पर ध्यान देना होगा।
- सरकार और कंपनियां मिलकर भारत को “ग्रीन मोबिलिटी हब” बना सकती हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्द – “World will drive EVs that say Made in India” – भारत की नई औद्योगिक पहचान का प्रतीक हैं। मारुति सुज़ुकी का यह नया EV और बैटरी प्लांट न सिर्फ भारतीय ऑटो सेक्टर की ताकत दिखाता है बल्कि आने वाले दशकों में भारत को विश्व स्तर पर एक नया दर्जा भी दिला सकता है।
अब सवाल आपसे – क्या आप मानते हैं कि भारत आने वाले दशक में EV उद्योग में दुनिया का नेतृत्व कर पाएगा? अपने विचार नीचे कमेंट में ज़रूर साझा करें।