उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र में हाल ही में एक जबरदस्त हलचल मच गई, जब एक गुप्त नेटवर्क द्वारा पोस्टमॉर्टम रिपोर्टों में हेरफेर कर निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसाने और असली अपराधियों को बचाने का बड़ा घोटाला सामने आया। पुलिस की छापेमारी और प्रशासनिक सतर्कता के बाद इस काले कारोबार की परतें खुल गईं, जिससे राज्य भर में न सिर्फ हेल्थ सेक्टर बल्कि समाज का भरोसा भी हिल गया।
ऑटोप्सी माफिया: गुप्त गिरोह का पर्दाफाश
पोस्टमॉर्टम यानी शव परीक्षण, किसी भी आपराधिक केेस की सच्चाई सामने लाने में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है। लेकिन जब सत्य को झूठ में बदला जाए, तो न्याय पूरी तरह से डगमगा जाता है। ठीक यही यूपी के हेल्थ सेक्टर में हुआ – एक संगठित माफिया गिरोह ने रुपयों के दम पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलने का ‘बाजार’ खड़ा कर दिया।
खुफिया रिपोर्ट और कई महीनों की सतर्क निगरानी के बाद, सामने आया कि कई जिलों के सरकारी अस्पतालों और हेल्थ सेंटर्स में कार्यरत कुछ कर्मचारी और चिकित्सक, संगठनों से मिले हुए थे। उनके संपर्क में स्थानीय अपराधी, दलाल और कुछ पुलिसकर्मी भी थे। किसी की हत्या कर अपराधी खुद फंसने से बचने के लिए इनसे संपर्क करते और 50,000 रुपये जैसी बड़ी रकम के बदले, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को इस तरह घुमा देते कि अपराध की दिशा ही बदल जाती। इसी तरह, किसी निर्दोष को सांठगांठ कर ऐसी रिपोर्ट थमा दी जाती जिससे वह झूठे केस में उलझ जाता।
राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए सीधी कार्रवाई का आदेश दिया, जिससे कई जिलों में भय की लहर दौड़ गई।
How autopsy mafia freed killers, framed innocent for Rs 50k in #UttarPradesh; 4 held, 31 health centers sealedhttps://t.co/FtOOeJ0Yg8
— The Times Of India (@timesofindia) September 29, 2025
₹ 50,000 में बिकती थी सच्चाई
इंसाफ के मंदिर कहे जाने वाले अस्पतालों में किस तरह एक निर्दोष के जीवन की कीमत और गुनहगार को बचाने का सौदा मात्र 50,000 रुपये में तय हो रहा था, यह जानकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो गए। कन्फिडेंशियल रिकॉर्ड में सामने आया कि रिपोर्ट बदलने और केस को उल्टा करने के लिए दलाल और डॉक्टर सीधे संपर्क में रहते थे। यह रकम कभी नगद, तो कभी खाते में ट्रांसफर के ज़रिए दी जाती थी।
सारा नेटवर्क इतना मजबूत था कि स्थानीय प्रशासन की पकड़ में आते-आते महीनों लग गए। पुलिस के हाथ लगे रिकॉर्ड्स और क्लू ने खुलासा किया कि कई बार केवल एक कॉल या रेफरेंस से ही रिपोर्ट ऐसी बनाई जाती, जिससे कानून की धारा ही बदल जाती।
बड़ा खुलासा: चार मुख्य आरोपी गिरफ्तार
जैसे ही पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने संयुक्त टीम बनाकर छापेमारी शुरू की, एक-एक कर घोटाले की परतें खुलने लगीं। शुरुआत में शक की सुई कुछ कर्मचारियों व डॉक्टरों पर गई, लेकिन जांच का दायरा बढ़ते ही चार मुख्य साजिशकर्ता गिरफ्तार कर लिए गए। पूछताछ के दौरान इन सभी ने माना कि रुपये लेकर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बदलना एक आम बात थी।
इन मनमानी रिपोर्ट्स का फायदा उठाकर कई असली गुनहगार सालों तक खुले घूमते रहे तथा कई निर्दोष जेल में सड़ते रहे। पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों से जब गहराई से पूछताछ हुई तो और भी नाम सामने आए, जिसपर जल्द कार्रवाई संभव है।
31 स्वास्थ्य केंद्रों पर सील
राज्य प्रशासन ने जैसे ही कार्रवाई तेज की, जांच में धांधली करने वाले 31 स्वास्थ्य केंद्र चिन्हित किए गए। इन सभी को तत्काल प्रभाव से सील कर, वहां के पूरे स्टाफ और रिकॉर्ड की बारीकी से जांच शुरू कर दी गई है। सरकारी बयान के अनुसार, किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं पर पूर्ण रोक लगाने के लिए नई निगरानी योजना बनाई जा रही है।
सेल किये गए सेंटर की वजह से कई मरीजों को तुरंत दूसरी जगह भर्ती कराना पड़ा। जनता में थोड़ी असुविधा जरूर हुई, लेकिन जाँच में सरकार की कड़ी कार्रवाई का स्वागत हुआ। मीडिया व सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई को लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाया गया ऐतिहासिक कदम बताया।
जनता व प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस घोटाले ने महज़ अस्पतालों और डॉक्टरों पर नहीं, बल्कि पूरे सोशल सिस्टम पर सवाल उठाए। आम लोगों के साथ-साथ कई वरिष्ठ नागरिक समूहों ने इस जाँच की पारदर्शिता व सख्ती की सराहना की। स्वास्थ्य प्रणाली को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए, प्रदेश सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है और सतर्कता टीमों की संख्या बढ़ा दी है।
प्रशासन का कहना है कि दोषियों को हर हाल में सजा दी जाएगी, और भविष्य में किसी भी स्तर पर ऐसी घटनाओं के लिए ज़ीरो टॉलरेंस नीति रहेगी। जनता ने भी यह मांग रखी कि पोस्टमॉर्टम प्रणाली को पूरी तरह डिजिटल व कैमरा-रिकॉर्डिंग से जोड़ा जाए, ताकि हर केस में पारदर्शिता बनी रहे।
योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट निर्देश, ‘उपद्रवियों के प्रति रहम न बरता जाए’
इस घटना के सामने आते ही राज्य के मुखिया ने प्रशासन को स्पष्ट हिदायत दी––किसी भी प्रकार के उपद्रव या भ्रष्टाचार के मामले में कोई नरमी न बरती जाए। मुख्यमंत्री का कहना है कि समाज और राज्य के दुश्मनों के लिए कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए।
यह स्टैंड, हाल ही में दिए उनके निर्देशों के अनुरूप है जिन्हें विस्तार से यहाँ पढ़ा जा सकता है:
योगी आदित्यनाथ: उपद्रवियों के लिए कोई रहम नहीं, सख्त निर्देश – पढ़ें पूरी खबर
समाज की पारदर्शिता और न्याय का साथ
यूपी के इस पोस्टमॉर्टम घोटाले ने एक बार फिर स्वास्थ्य, प्रशासन और कानून व्यवस्था के सामूहिक जुड़ाव और जवाबदेही की जरूरत उजागर की है। यह केवल कुछ लोगों की गिरफ्तारी या सेंटर सील करने से ज्यादा, पूरे सिस्टम को दुरुस्त करने की चुनौती है। यही वक्त है जब हर नागरिक, प्रशासन और सरकार मिलकर ऐसी काली सच्चाइयों को उखाड़ फेंके।
आपकी राय जरूरी
क्या आपको लगता है कि ऐसी कार्रवाई स्वास्थ्य तंत्र को पूरी तरह ईमानदार बना सकेगी? क्या प्रशासन को और सख्त कदम उठाने चाहिए? अपनी राय जरूर लिखें और सुझाव दें—आपकी हर प्रतिक्रिया समाज में बदलाव ला सकती है!