प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की धरती से आगामी विधानसभा चुनावों के लिए NDA की जीत का शंखनाद कर दिया है।
उनका कहना है कि “बिहार एक बार फिर विकास की राह पर NDA के साथ आगे बढ़ेगा”।
उनकी यह रैली न सिर्फ चुनावी प्रचार का हिस्सा थी, बल्कि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के लिए एकता का प्रतीक भी बनी।
NDA के लिए बिहार क्यों है निर्णायक राज्य
बिहार हमेशा से भारतीय राजनीति में एक निर्णायक राज्य माना जाता रहा है।
यहां के मतदाताओं की सोच और रुझान अक्सर राष्ट्रीय राजनीति को दिशा देते हैं।
मोदी के बयान — “बिहार NDA की जीत का शंख बजाएगा” — का मतलब केवल एक चुनावी नारा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत भी है कि
NDA अपने आधार को मजबूत करने और विपक्ष को घेरने की रणनीति में जुट चुका है।
मोदी का फोकस – विकास, युवाओं और रोजगार पर
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष रूप से विकास योजनाओं, युवाओं के रोजगार, और बुनियादी ढांचे पर फोकस किया।
उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में बिहार में सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आया है।
मोदी ने लोगों को भरोसा दिलाया कि “NDA का मकसद सिर्फ सत्ता नहीं, सेवा है।”
उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि नई पीढ़ी बिहार के विकास की रीढ़ बनेगी,
और केंद्र सरकार राज्य को नई औद्योगिक दिशा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
विपक्ष पर मोदी का प्रहार
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में विपक्षी महागठबंधन पर भी निशाना साधा।
उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि “जो लोग बिहार को पिछड़ेपन की ओर ले गए, अब वही विकास की बात कर रहे हैं।”
यह टिप्पणी सीधे तौर पर राजद और कांग्रेस पर इशारा करती मानी जा रही है।
मोदी ने यह भी कहा कि जनता अब “वादों नहीं, काम” देखकर वोट देगी।
इस बयान के जरिए उन्होंने NDA सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने रखा।
“NDA is poised to win Bihar Election with more than 2/3 rd Majority.”
“NDA will win under leadership of Modi Ji & Nitish Kumar Ji”
.@AmitShah Ji clears air on CM face of NDA.
Let CHINDIs note it & start preparing Rahul Ghandy to dance on Rudali Tunes.pic.twitter.com/vAKS6ug9Sd
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) October 29, 2025
बिहार के लोगों में दिखा जोश और विश्वास
रैली में उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि मोदी का करिश्मा बिहार में अब भी कायम है।
लोगों में उम्मीद है कि मोदी के नेतृत्व में राज्य में स्थिरता और विकास बना रहेगा।
महिलाओं और युवाओं की बड़ी उपस्थिति ने भी यह संकेत दिया कि बिहार में NDA की पकड़ मजबूत है।
कई विश्लेषक मानते हैं कि मोदी का भाषण राज्य में एनडीए के आत्मविश्वास को और बढ़ा गया।
NDA की रणनीति – जातीय समीकरणों के पार एकजुटता का संदेश
बिहार की राजनीति लंबे समय से जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है,
लेकिन इस बार मोदी और एनडीए नेतृत्व विकास और राष्ट्रीय एकता पर ज़ोर दे रहे हैं।
मोदी ने कहा कि “अब राजनीति जातियों की नहीं, जनता की होनी चाहिए।”
इस बयान को बिहार की राजनीति में एक बड़ा संदेश माना जा रहा है।
NDA की रणनीति साफ है —
विकास, सुशासन और केंद्र की योजनाओं के भरोसे जनता के बीच विश्वास कायम करना।
नीतीश कुमार और NDA का समीकरण
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का NDA में दोबारा लौटना
राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ रहा है।
मोदी के मंच से नीतीश की मौजूदगी ने यह संकेत दिया कि
दोनों नेताओं के बीच मतभेद अब अतीत की बात हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि नीतीश कुमार की प्रशासनिक छवि और मोदी का जनाधार
मिलकर NDA को एक मजबूत विकल्प बना सकते हैं।
रैली में मोदी ने भी कहा कि “हम साथ मिलकर बिहार को नई ऊँचाइयों पर ले जाएंगे।”
जनता के बीच मोदी का संदेश – आत्मविश्वास और प्रतिबद्धता
मोदी ने रैली में कहा कि बिहार ने देश को हमेशा दिशा दी है और आने वाले चुनावों में
बिहार एक बार फिर NDA की जीत का रास्ता खोलेगा।
उनका यह बयान केवल राजनीतिक नहीं बल्कि एक भावनात्मक अपील भी था।
उन्होंने यह भी कहा कि देश का विकास बिना बिहार के विकास के अधूरा है।
यह बात लोगों के दिलों में उतरी, और रैली में उपस्थित भीड़ ने ज़ोरदार समर्थन जताया।
NDA is set to break all its previous records.
This time Bihar is going to give NDA its biggest ever mandate.
Narendra Modi’s campaign seems less about asking for votes and more about declaring victory.
Vote Chor for a reason. pic.twitter.com/WUdakFtevN
— Mohit Chauhan (@mohitlaws) October 24, 2025
भाजपा का अभियान: हर गाँव तक पहुंचने की तैयारी
बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने बिहार के हर जिले में ‘विजय यात्रा’ चलाने की योजना बनाई है।
इस अभियान का मकसद है मोदी सरकार की उपलब्धियों को सीधे जनता तक पहुंचाना।
स्थानीय कार्यकर्ताओं को यह जिम्मेदारी दी गई है कि
वे हर गाँव, हर पंचायत में जाकर लोगों से संवाद करें।
इससे एनडीए का चुनावी ताना-बाना और मजबूत होगा।
बिहार की राजनीति में नया मोड़ – NDA बनाम महागठबंधन
आगामी विधानसभा चुनावों में मुकाबला साफ तौर पर NDA बनाम महागठबंधन के बीच होने जा रहा है।
जहां एक ओर NDA मोदी के नेतृत्व में विकास के मुद्दे को उठा रहा है,
वहीं महागठबंधन बेरोजगारी, महंगाई और स्थानीय मुद्दों पर जनता को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है।
लेकिन मोदी के हालिया भाषण के बाद से
राजनीतिक समीकरण NDA के पक्ष में झुकते नज़र आ रहे हैं।
बिहार का नया राजनीतिक अध्याय
प्रधानमंत्री मोदी की रैली ने बिहार में एक नया राजनीतिक अध्याय खोल दिया है।
जहां पहले जनता संशय में थी, अब वहाँ आशा और आत्मविश्वास का माहौल बन रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर यही रुझान जारी रहा,
तो NDA बिहार में फिर से सत्ता में वापसी कर सकता है।
सांस्कृतिक एकता और नए भारत की झलक
मोदी ने अपने भाषण में बिहार की संस्कृति, आध्यात्मिकता और सामाजिक एकता का भी ज़िक्र किया।
उन्होंने कहा कि जैसे देश के अन्य हिस्सों में ऐतिहासिक परिवर्तन हो रहे हैं,
वैसे ही बिहार भी बदलाव की लहर में शामिल हो रहा है।
यही संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि
“हमारे समाज में बदलाव और एकता साथ-साथ चलें, यही असली विकास है।”
उत्तर प्रदेश के एक हालिया प्रस्ताव के तहत मुस्तफाबाद का नाम बदलकर ‘कबीरधाम’ करने की पहल भी इसी सांस्कृतिक एकता की मिसाल है।
बिहार से गूंजा जीत का शंख: NDA की वापसी की दिशा तय
प्रधानमंत्री मोदी का बयान — “बिहार NDA की जीत का शंख बजाएगा” —
केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं, बल्कि आने वाले महीनों में होने वाले चुनावों की दिशा तय करने वाला संकेत है।
NDA के लिए यह रैली जोश, एकता और आत्मविश्वास का प्रतीक रही।
बिहार की जनता ने मोदी की बातों में जो उत्साह दिखाया,
वह साफ संकेत है कि राज्य में चुनावी माहौल गरम हो चुका है
और NDA फिर से सत्ता में लौटने का पूरा प्रयास कर रहा है।




















