पंजाब की राजनीति एक बार फिर विवादों में घिर गई है, और इस बार मामला जुड़ा है शिक्षा विभाग की करोड़ों रुपये की ज़मीन से। विजिलेंस ब्यूरो (VB) ने कांग्रेस नेता भारत भूषण आशु को ₹2,400 करोड़ के स्कूल जमीन घोटाले में पूछताछ के लिए समन जारी किया है। यह मामला सिर्फ एक नेता या राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की गंभीर चुनौती भी है।
इस केस की शुरुआत उस समय हुई जब सरकारी स्कूलों की ज़मीन को कथित रूप से प्राइवेट बिल्डर्स के हाथों कौड़ियों के दाम बेचे जाने की खबर सामने आई। आरोप है कि अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से इस जमीन की हेराफेरी हुई है। विजिलेंस ब्यूरो ने अब इस मामले में तेजी से कार्रवाई शुरू कर दी है।
📩 भारत भूषण आशु को समन: प्रमुख जानकारी
कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु को विजिलेंस ब्यूरो ने समन भेजते हुए पूछताछ के लिए पेश होने को कहा है। उन्हें 10 जून 2025 को ब्यूरो के सामने उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं। समन के साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि उनसे इस जमीन घोटाले से संबंधित कई तकनीकी और प्रशासनिक सवाल पूछे जाएंगे।
विजिलेंस की प्राथमिक जांच में कुछ दस्तावेज सामने आए हैं जिनमें तत्कालीन शिक्षा अधिकारियों और नेताओं के हस्ताक्षर पाए गए हैं। इन दस्तावेजों को आधार बनाते हुए पूछताछ की जाएगी और यदि आवश्यक हुआ तो आगे की कानूनी कार्रवाई भी संभव है।
🏫 स्कूल की ज़मीन घोटाले की असली कहानी
इस पूरे मामले की जड़ साल 2021 में दर्ज एक शिकायत से जुड़ी है। शिकायत में आरोप लगाया गया कि पंजाब में सरकारी स्कूलों की बेशकीमती ज़मीन को जानबूझकर कम कीमत पर प्राइवेट पार्टियों को लीज पर दिया गया। स्कूल शिक्षा विभाग, नगर निगम और अन्य शहरी विकास विभागों की मिलीभगत से यह बड़ा घोटाला हुआ।
कई मामलों में सरकारी स्कूलों की ज़मीन, जिनकी बाजार कीमत करोड़ों में थी, उन्हें औने-पौने दामों पर दी गईं। ऐसा अनुमान है कि कुल 500 से अधिक स्कूल परिसरों की जमीनों पर यह खेल खेला गया। इससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ और शिक्षा प्रणाली की नींव पर सवाल खड़े हो गए।
Congress leader Bharat Bhushan Ashu slams Vigilance Summon as political drama by AAP. He alleges AAP is misusing police & agencies to influence polls: “They searched for issues against me for 3 days. Can an SSP issue summons without higher-ups? This is a backfired stunt.” Ashu… https://t.co/r3V3Qpl13B pic.twitter.com/YYp7A7GuNI
— Gagandeep Singh (@Gagan4344) June 6, 2025
👥 केस से जुड़े अन्य प्रमुख चेहरे व राजनीतिक माहौल
भारत भूषण आशु के अलावा कुछ अन्य राजनेताओं और अफसरों के नाम भी जांच के दायरे में हैं। हालांकि विजिलेंस ब्यूरो ने अब तक किसी और नेता का नाम औपचारिक रूप से नहीं लिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पूर्व सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री इस मामले में शामिल हो सकते हैं।
इस घोटाले पर राजनीतिक माहौल गरम हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा है कि जब सत्ता में थे तो इन्होंने बच्चों की शिक्षा और सरकारी संपत्ति को बेच दिया। वहीं कांग्रेस का कहना है कि यह सब बदले की राजनीति का हिस्सा है।
📰 जनता और मीडिया की प्रतिक्रिया
इस मामले ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई है, बल्कि आम जनता में भी नाराजगी देखी जा रही है। लोग सोशल मीडिया पर लगातार सवाल पूछ रहे हैं कि बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों पर कब सख्त कार्रवाई होगी।
यह मामला केवल स्कूल की ज़मीन के दुरुपयोग तक सीमित नहीं है। बीते कुछ वर्षों में ऐसे कई घोटाले सामने आए हैं जिनमें सरकारी संस्थाओं और नेताओं की मिलीभगत उजागर हुई है। हाल ही में सामने आए एक अन्य मामले में सीबीआई ने ‘नौकरी के बदले ज़मीन’ घोटाले में रेलवे मंत्रालय पर दबाव डालने की बात कही है, जिसकी पूरी रिपोर्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं। ऐसे केस यह सवाल उठाते हैं कि आखिर कब तक सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग यूँ ही चलता रहेगा?
🕵️♂️ विजिलेंस ब्यूरो का अगला कदम
विजिलेंस ब्यूरो की कार्रवाई सिर्फ समन तक सीमित नहीं रहेगी। आगे की जांच में एफआईआर दर्ज करने, संपत्ति जब्त करने और अभियुक्तों की गिरफ्तारी जैसे क़दम भी उठाए जा सकते हैं। यदि भारत भूषण आशु की भूमिका घोटाले में सिद्ध होती है, तो उन्हें कानूनी रूप से कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार, विजिलेंस ने दस्तावेजी साक्ष्य इकट्ठा कर लिए हैं और उन पर विधिक राय भी ली जा रही है। यह जांच अब न्यायिक जांच में तब्दील हो सकती है यदि केस का दायरा और बढ़ता है।
🧾मामले का असर और आगे की राह
यह मामला केवल एक राजनेता या पार्टी से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है जो जनता के संसाधनों की रक्षा करने में विफल रही है। स्कूलों की ज़मीन का दुरुपयोग न सिर्फ नैतिक गिरावट को दर्शाता है, बल्कि यह दिखाता है कि राजनीतिक लाभ के लिए बच्चों के भविष्य से भी समझौता किया जा सकता है।
इस प्रकरण से उम्मीद है कि सरकार और न्यायिक संस्थाएं इस तरह के मामलों में पारदर्शिता, जवाबदेही और सख्त कानून व्यवस्था की दिशा में काम करेंगी।