पुलिस व्यवस्था किसी भी समाज की रीढ़ होती है, लेकिन जब सुरक्षा के नाम पर तैनात लोग ही सवालों में आ जाएं, तो जनमानस के भरोसे को झटका लगता है। साहिबाबाद में हालिया मामला, जिसमें अपराधी के जन्मदिन समारोह में चार पुलिसकर्मियों के शामिल होने की पुष्टि हुई, इसी अविश्वास की बानगी पेश करता है। यह वाकया न केवल कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, बल्कि खुद पुलिस वर्दी की गरिमा पर भी चोट करता है।
घटना का पूरा विवरण
साहिबाबाद के सीमापुरी इलाके में एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी द्वारा आयोजित शानदार जन्मदिन पार्टी में शहर के एक चौकी प्रभारी समेत तीन सिपाहियों की मौजूदगी से हड़कंप मच गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में इन्हें अपराधी के साथ डांस, जश्न और ड्रिंक करते देखा गया। पार्टी में पुलिसकर्मियों ने जिस खुलेपन से भाग लिया, उसने पुलिस विभाग की गंभीरता और छवि दोनों पर गहरे सवाल खड़े कर दिए।
शामिल पुलिसकर्मी और उनकी जिम्मेदारी
जांच में सामने आया कि चौकी प्रभारी और तीन पुलिसकर्मी—जो क्षेत्र में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे थे—वायरल वीडियो में साफ तौर पर पहचाने जा सकते हैं। इनका काम नागरिकों की सुरक्षा एवं अपराध नियंत्रण था, लेकिन व्यक्तिगत हितों व संबंधों को प्राथमिकता देने से उनकी शालीनता संदेह के घेरे में आ गई। विभाग ने तुरंत कार्रवाई कर सभी को निलंबित कर दिया।
अपराधी का इतिहास और उसका प्रभाव
जिस व्यक्ति का जन्मदिन मनाया जा रहा था, उस पर पहले से ही कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं। इलाके में उसकी धमक व अवैध गतिविधियों से लोग पहले से परेशान थे। पुलिसकर्मियों की कथित मित्रता से आम जनता में अविश्वास और बढ़ गया कि कहीं अपराधी और पुलिस के बीच सांठ-गांठ तो नहीं? यह सवाल पुलिस के प्रति आम नागरिक के नजरिए को पूरी तरह बदल देता है।
यूपी- गाजियाबाद में हिस्ट्रीशीटर इरशाद मलिक की बर्थडे पार्टी थी। UP पुलिस के दरोगा आशीष जादौन, सिपाही योगेश और ज्ञानेंद्र पहुंच गए। हाथ में बियर लेकर डांस गर्ल संग खूब ठुमके लगाए। अब तीनों सस्पेंड हो गए हैं। pic.twitter.com/31cN1Su41V
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) September 30, 2025
प्रशासन और सरकार की कड़ी कार्रवाई
जैसे ही वीडियो सामने आया, प्रशासन ने मीडिया ब्रीफिंग कर त्वरित जांच के आदेश दिए। ACP और DCP, दोनों ने सार्वजनिक तौर पर आश्वासन दिया कि अनुशासनहीनता सहन नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त छवि और हाल में दिए निर्देश भी प्रासंगिक हैं—जैसा कि इस रिपोर्ट में देखा गया है, वे राज्य में कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वाले या सांठगांठ करने वालों के खिलाफ ‘बिल्कुल भी रहम नहीं’ नीति पर जोर दे चुके हैं। इसी सख्ती के चलते मामले में फौरन कार्रवाई की गई।
सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया की बाढ़ आ गई। कोई पुलिस के गिरते मापदंड पर कटाक्ष कर रहा था तो कई ने अल्पसंख्यक समुदाय का मामला बनाकर राजनीति को हवा देने की कोशिश की। वहीं जिले के आम नागरिकों ने खुलकर नाराजगी दर्ज कराई। बहुतों ने विभाग की त्वरित प्रतिक्रिया की भी सराहना की। कुल मिलाकर, बहस इस ओर मुड़ गई कि पुलिस समाज की सेवा में है या निजी स्वार्थ में।
पुलिस नियम और सामाजिक सरोकार
भारतीय पुलिस सेवा नियमों के मुताबिक, किसी भी पुलिस अधिकारी को अपराधियों के साथ व्यक्तिगत संबंध या छोटे-बड़े आयोजनों में भागीदारी करने का सख्त निषेध है। ऐसे मामलों में विभाग की साख, अनुशासन, और कानून व्यवस्था पर भारी आघात पहुँचता है। इस तरह की घटनाएं पुलिस डिपार्टमेंट के आत्ममंथन और जवाबदेही की मांग को जरूरी बना देती हैं।
सिस्टम में सुधार की आवश्यकता
ऐसी घटनाओं के दोहराव को रोकने के लिए पुलिस विभाग को प्रशिक्षकों, अधिकारियों और सिपाहियों की नैतिक शिक्षा, सतर्कता व तकनीकी निगरानी को और मजबूत करना होगा। अभ्यर्थियों की फीडबैक प्रणाली, बायोमेट्रिक हाजिरी, और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग को भी अगले स्तर तक ले जाना चाहिए। पुलिस महकमे को चाहिए कि वह नैतिक और जनहितकारी सेवाभाव को संरक्षित रखे।
जनसमाज को संदेश
यह घटना क्षेत्रीय पुलिस के संचालन के लिए एक बड़ा सबक है। इससे यह भी साफ होता है कि तुरंत और पारदर्शी कार्रवाई ही अवस्था में सुधार ला सकती है। साथ ही, सरकार की ‘कोई रहम नहीं’ नीति से आमजन में भरोसा जगा कि कानून व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नागरिकों को चाहिए कि ऐसी घटनाओं पर सजग रहें, और पुलिस महकमे की जिम्मेदारी का समर्थन करें।