🔷 पीएम मोदी का जम्मू-कश्मीर दौरा और राजनीतिक माहौल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया जम्मू-कश्मीर दौरा राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से कई मायनों में अहम माना जा रहा है। यह दौरा उस समय हुआ है जब केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के विकास और स्थायित्व की दिशा में गंभीर कदम उठा रही है। एक तरफ केंद्र सरकार की योजनाओं और नई परियोजनाओं की घोषणा चर्चा में है, तो दूसरी ओर विपक्ष, खासकर कांग्रेस पार्टी, ने इस दौरे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक बहाली की संभावनाएं जताई जा रही हैं और इसी दौरान कांग्रेस द्वारा पुरानी लेकिन unresolved घटनाओं को फिर से चर्चा में लाना यह दर्शाता है कि विपक्ष जनता की अपेक्षाओं और सरकार की जवाबदेही के मुद्दों को नजरअंदाज नहीं करना चाहता।
Engineering a Naya Kashmir! 🇮🇳
PM @NarendraModi ji will flag off a new era on June 6th, inaugurating the Chenab Bridge in J&K – the world’s highest railway bridge!
This engineering marvel embodies #NewIndia‘s commitment to connectivity and regional development. pic.twitter.com/B1PcJodTMm
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 4, 2025
🔷 कांग्रेस का सीधा बयान: “क्या प्रधानमंत्री को नहीं पता?”
प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर कांग्रेस पार्टी ने एक तीखा बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने 2021 में हुए पहलगाम आतंकी हमले की जांच और उसके दोषियों की गिरफ्तारी को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री को ये ज़रूर जानकारी होगी कि उस हमले के ज़िम्मेदार अब तक न तो गिरफ्तार किए गए हैं और न ही उन्हें सज़ा मिली है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने साफ शब्दों में कहा कि यह बात चौंकाने वाली है कि इतने गंभीर हमले के बाद भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी और दौरे के दौरान इसका कोई उल्लेख न होना पीड़ित परिवारों और सुरक्षाकर्मियों के बलिदान का अपमान है।
🔷 पहलगाम हमला: एक नजर पीछे
यह आतंकी हमला 2021 में पहलगाम क्षेत्र में हुआ था, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों को निशाना बनाया गया था। हमले में कई जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे और कुछ की जान भी चली गई थी। घटना के तुरंत बाद सुरक्षा बलों द्वारा क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया गया था, लेकिन कोई बड़ी गिरफ्तारी या ठोस सबूत अब तक सामने नहीं आए हैं।
हमले की गंभीरता को देखते हुए इसे आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी चुनौती माना गया था। उस समय सुरक्षा एजेंसियों ने कहा था कि वे जल्द ही हमलावरों को गिरफ्तार कर लेंगे, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस परिणाम नहीं आया है।
🔷 अब तक क्यों नहीं हुआ न्याय?
कांग्रेस ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से यह सवाल उठाया है कि आखिर इतने वर्षों बाद भी दोषियों को सजा क्यों नहीं मिली? इस पर विचार करना जरूरी है कि क्या जांच एजेंसियों के पास पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे या फिर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी रही?
इसके अलावा यह भी चिंताजनक बात है कि इस घटना की फाइल को लगभग बंद ही समझा जा रहा है। ना तो कोई सार्वजनिक रिपोर्ट जारी हुई है और ना ही कोई अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराई गई है। ऐसे में पीड़ित परिवार और सुरक्षा बलों की शहादत एक सवालिया निशान बन गई है।
🔷 प्रधानमंत्री की चुप्पी पर उठे सवाल
कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर चुप हैं। दौरे के दौरान उन्होंने कश्मीर के विकास, पर्यटन और स्थानीय लोगों के जीवन स्तर पर बात की, लेकिन आतंकवाद की इस बड़ी घटना पर कोई भी जिक्र नहीं किया गया। यह चुप्पी खुद में कई सवाल खड़े करती है।
प्रधानमंत्री की हर यात्रा में सुरक्षा और आतंकवाद का मुद्दा हमेशा प्रमुख रहा है। ऐसे में पहलगाम जैसे संवेदनशील मामले पर चुप्पी साधना एक रणनीतिक चूक मानी जा रही है। कांग्रेस का यह भी कहना है कि इस मामले को जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया गया, ताकि दौरे का माहौल सकारात्मक बना रहे।
🔷 क्या जनता के सवाल अनुत्तरित रह जाएंगे?
आज के समय में जनता को सिर्फ योजनाओं और वादों से संतोष नहीं है। लोग अपने सवालों के जवाब चाहते हैं। खासकर जब बात सुरक्षा बलों की शहादत की हो, तो किसी भी तरह की चुप्पी या टाल-मटोल को समाज स्वीकार नहीं करता।
कांग्रेस के इस बयान के बाद जम्मू-कश्मीर की आम जनता के बीच भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। लोग जानना चाहते हैं कि क्या सरकार के पास इस हमले से जुड़ी कोई ठोस जानकारी है? क्या कोई कार्रवाई की गई है? और अगर नहीं, तो क्यों?
प्रधानमंत्री के दौरे से पहले ही राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गई थीं, और कई मुद्दे एक बार फिर से चर्चा में आ गए। इसी क्रम में हाल ही में ऑल पार्टी डेलीगेशन की पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर भी कूटनीतिक पहलुओं पर चर्चा तेज़ हो गई है, जो सरकार की विदेश नीति से लेकर आंतरिक सुरक्षा तक कई मोर्चों पर नए संकेत देती है।
🔷 राजनैतिक समीकरण और आगामी रणनीति
इस बयान को राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी माना जा सकता है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के दौरे से पहले यह मुद्दा उठाकर विपक्ष की सक्रियता और जवाबदेही की भूमिका को पुनः स्पष्ट किया है। चुनावी मौसम में ऐसे संवेदनशील मुद्दे आम जनता को प्रभावित कर सकते हैं।
हालांकि, कांग्रेस ने अपने बयान में किसी भी तरह का राजनीतिक आरोप नहीं लगाया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि वह सुरक्षा, न्याय और जवाबदेही के मुद्दों पर सरकार को बख्शने के मूड में नहीं है। इस रणनीति से विपक्ष न केवल सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रहा है, बल्कि जनता के बीच अपनी मौजूदगी को भी मजबूत कर रहा है।
🔷 राजनीति से परे न्याय की मांग
किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत उसका न्याय तंत्र होता है। जब सुरक्षाकर्मी देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हैं, तो यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि उनके बलिदान को व्यर्थ न जाने दे। कांग्रेस का यह सवाल इसी जिम्मेदारी की याद दिलाता है।
यह जरूरी है कि सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट स्थिति रखे और जनता को विश्वास में ले। सिर्फ दौरे और घोषणाओं से विश्वास नहीं बनता, न्याय और पारदर्शिता से बनता है। पहलगाम हमले के पीड़ित परिवारों और देश की जनता को अभी भी जवाब चाहिए—और वो जवाब सिर्फ राजनीतिक भाषणों से नहीं, न्यायिक कार्रवाई से ही मिल सकता है।