उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के तहसील परिसर में हाल ही में एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने सभी को हैरान कर दिया। तहसील परिसर की बदहाल सफाई व्यवस्था और कर्मचारियों की लापरवाही को लेकर वकीलों ने जमकर प्रदर्शन किया। इस विरोध के बीच, एक IAS अधिकारी रिंकू सिंह राही अचानक सामने आए और मामला शांत कराने के लिए एक ऐसा कदम उठाया जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी।
वकीलों का आरोप था कि तहसील परिसर में खुले में पेशाब जैसी घटनाएं आम हो गई हैं, जिससे कार्यक्षेत्र का माहौल बेहद गंदा और अस्वस्थ हो गया है। इस प्रदर्शन ने न केवल जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया, बल्कि राज्य स्तर पर भी इस घटना ने हलचल मचा दी।
वायरल वीडियो का विवरण
इस पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें ADM स्तर के अधिकारी रिंकू सिंह राही को वकीलों के सामने खुले मैदान में उठक-बैठक लगाते देखा गया। ये वीडियो सिर्फ एक व्यक्तिगत प्रतिक्रिया नहीं था, बल्कि उस वक्त के माहौल में एक गहरा संदेश लिए हुए था।
वकीलों की भीड़ के सामने अफसर का ऐसा कदम देख कर कुछ लोग हैरान थे, कुछ ने इसे साहसिक करार दिया। भीड़ में मौजूद वकील शांत हो गए, और प्रदर्शन की तीव्रता अचानक कम हो गई। यह पूरी घटना दर्शाती है कि कभी-कभी ‘ह्यूमन टच’ वाले कदम प्रशासनिक हलकों में बड़ा असर डाल सकते हैं।
In UP’s Shahjahanpur, an IAS officer Rinku Singh did sit-ups during protest by lawyers. This was after IAS Singh, posted as SDM, objected to filth and lack of cleanliness in the tehsil premises not going down well with the agitating lawyers. pic.twitter.com/pDKJfF2KqJ
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) July 29, 2025
प्रशासन की सफाई और बयान
घटना के बाद जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया कि अफसर ने खुद की मर्जी से यह कदम उठाया, ताकि वकीलों की पीड़ा को समझते हुए एक सकारात्मक संदेश दिया जा सके। ADM रिंकू सिंह राही ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद सिर्फ वकीलों का मन रखना नहीं था, बल्कि एक आंतरिक आत्ममंथन भी था।
उनका कहना था कि “अगर किसी अधिकारी की वजह से जनता को कष्ट होता है, तो प्रशासन को झुककर माफ़ी मांगनी चाहिए और सुधार का संकल्प लेना चाहिए।” इसी भावना के तहत उन्होंने उठक-बैठक की और तुरंत सफाई कर्मचारियों को सस्पेंड भी किया।
वकीलों की मांगें और पुरानी शिकायतें
यह कोई एक दिन की शिकायत नहीं थी। वकीलों के मुताबिक, तहसील परिसर में स्वच्छता को लेकर बार-बार शिकायतें की गई थीं, लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी। कुछ क्लर्कों द्वारा खुले में पेशाब करने जैसी घटनाएं आम थीं, जिससे अधिवक्ता वर्ग आक्रोशित था।
बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि “हम सम्मान करते हैं प्रशासन का, लेकिन जब लगातार अनदेखी हो तो प्रदर्शन जरूरी हो जाता है।” इस घटना ने प्रशासन और वकीलों के बीच संवाद की कमी को उजागर कर दिया।
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर आया, लाखों की संख्या में व्यूज़ और प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कुछ यूजर्स ने अफसर की विनम्रता की तारीफ की तो कुछ ने इसपर सवाल भी खड़े किए कि क्या “IAS को उठक-बैठक करनी चाहिए?”
एक यूजर ने लिखा – “अफसर ने दिल जीत लिया, ऐसा झुकना बहुत बड़ा संदेश देता है।” वहीं किसी ने टिप्पणी की – “प्रशासन की गरिमा को बनाए रखते हुए भी समाधान निकाला जा सकता था।”
यह घटना ठीक उसी तरह सुर्खियों में आई जैसे हाल ही में राजस्थान के स्कूल में लापरवाही से हुई बच्चों की मौत, जिसने सरकारी तंत्र की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए थे।
अफसर का व्यक्तिगत दृष्टिकोण
अफसर रिंकू सिंह राही, जो पहले भी ईमानदारी और साहसिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं, ने इस घटना के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि, “ये उठक-बैठक किसी शर्मिंदगी का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण का माध्यम थी।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर सरकारी तंत्र से जनता को तकलीफ हो रही है, तो वह एक अफसर के तौर पर जनता के सामने जवाबदेह हैं। यह वक्तव्य कई लोगों के लिए प्रेरणा बना।
व्यापक संदेश और प्रशासनिक छवि
घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया कि क्या प्रशासनिक गरिमा का अर्थ सिर्फ पद और रुतबा होता है, या सेवा और जनसमर्पण भी उतना ही महत्वपूर्ण है? जब कोई अधिकारी जनता की समस्याओं को खुद पर लेता है और जवाबदेही दिखाता है, तो उसका असर व्यापक और सकारात्मक हो सकता है।
इस तरह के कृत्य अधिकारियों को जनता के और करीब लाते हैं, लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि ऐसे कदम ‘नियम’ के रूप में न बदलें, वरना इसका दुरुपयोग भी संभव है।
प्रशासन और संवेदनशीलता का संगम
IAS रिंकू सिंह राही द्वारा उठाया गया यह कदम एक मिसाल बन गया है, जो यह दर्शाता है कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों का निर्वहन सिर्फ आदेश देने से नहीं, बल्कि आत्ममंथन और संवेदनशीलता से भी होता है।
इस घटना ने यह सोचने पर मजबूर किया है कि जनता और अफसर के बीच अगर संवाद और समझ बनी रहे, तो बड़े से बड़े विवाद शांति से हल किए जा सकते हैं।