US Airstrikes in Nigeria – नाइजीरिया में आतंकवाद की जड़ें: ISIS की घुसपैठ कैसे हुई?
नाइजीरिया अफ्रीका का सबसे बड़ा देश है आबादी के लिहाज से, लेकिन पिछले कई सालों से वहां आतंकवाद की समस्या गहराती जा रही है। ISIS, यानी इस्लामिक स्टेट, ने 2015 के आसपास नाइजीरिया में अपनी शाखा बनाई, जिसे ISWAP (इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविंस) कहते हैं। पहले यह बोको हराम नाम के ग्रुप का हिस्सा था, जो शिक्षा के खिलाफ था और पश्चिमी सभ्यता को निशाना बनाता था। लेकिन बाद में यह ISIS से जुड़ गया।
उत्तर-पूर्वी नाइजीरिया, जैसे बोर्नो और सोकोटो राज्य, इन आतंकवादियों के गढ़ बने हुए हैं। वे गांवों पर हमले करते हैं, लोगों का अपहरण करते हैं, और हिंसा फैलाते हैं। हजारों लोग मारे जा चुके हैं, लाखों बेघर हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट्स बताती हैं कि वहां मानवीय संकट बहुत गंभीर है – भुखमरी, गरीबी और जलवायु परिवर्तन इन समस्याओं को और बढ़ाते हैं।
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ट्रंप ने इन हमलों को मुख्य रूप से ईसाइयों के खिलाफ बताया है। उनके अनुसार, सदियों से ऐसा स्तर का उत्पीड़न नहीं देखा गया। लेकिन नाइजीरियाई सरकार कहती है कि हिंसा सभी समुदायों – मुस्लिम और ईसाई दोनों – को प्रभावित करती है। यह सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक समस्या है। विदेशी लड़ाके सीमाओं से घुसपैठ कर रहे हैं, और अपहरण जैसे अपराध भी बढ़ गए हैं।
भारत में यह विषय इसलिए ट्रेंड कर रहा है क्योंकि हमारा देश भी आतंकवाद से जूझ रहा है। ISIS की भारत में भी कोशिशें हुई हैं, और हमारे ईसाई समुदाय को वैश्विक स्तर पर हो रही हिंसा की खबरें चिंता पैदा करती हैं। सोशल मीडिया पर लोग चर्चा कर रहे हैं कि आतंकवाद के खिलाफ ऐसी सख्त कार्रवाई जरूरी है।

हमलों का पूरा विवरण: क्रिसमस की रात क्या हुआ?
25 दिसंबर 2025 की रात, अमेरिकी सेना ने नाइजीरिया के सोकोटो राज्य में ISIS के कैंपों पर सटीक हवाई हमले किए। ट्रंप ने खुद घोषणा की कि उनके निर्देश पर यह ऑपरेशन हुआ। उन्होंने कहा कि ये आतंकवादी मुख्य रूप से निर्दोष ईसाइयों को निशाना बना रहे थे। अमेरिकी अफ्रीका कमांड ने पुष्टि की कि कई आतंकवादी मारे गए, और यह हमला नाइजीरियाई सरकार के अनुरोध पर किया गया।
हमलों में टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ, जो समुद्र से दागी गईं। कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ, क्योंकि ये बहुत सटीक थे। अमेरिकी रक्षा सचिव ने कहा कि और हमले हो सकते हैं अगर हिंसा नहीं रुकी। नाइजीरियाई विदेश मंत्रालय ने भी इसे सहयोग का हिस्सा बताया।
दुनिया की बड़ी राजनीतिक घटनाएँ
यह पहली बार नहीं जब अमेरिका ने अफ्रीका में ऐसे ऑपरेशन किए, लेकिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में यह उनकी मजबूत विदेश नीति का संकेत है। क्रिसमस के दिन यह कार्रवाई इसलिए खास है क्योंकि यह ईसाइयों की सुरक्षा का संदेश देती है।
भारत में यह खबर तेजी से फैली क्योंकि क्रिसमस का समय था, और ईसाई त्योहारों के दौरान सुरक्षा की चिंता बढ़ जाती है। हमारे यहां 2.8 करोड़ से ज्यादा ईसाई हैं, और वैश्विक घटनाएं हमें प्रभावित करती हैं। नाइजीरिया में भारतीय समुदाय भी बड़ा है – तेल और व्यापार से जुड़े हजारों लोग वहां काम करते हैं।
ट्रंप की भूमिका: क्यों उठाया यह कदम?
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद उनकी नीति आक्रामक हो गई है। अक्टूबर-नवंबर 2025 में उन्होंने नाइजीरिया को चेतावनी दी थी कि ईसाइयों पर हमले रुकें नहीं तो बड़ा एक्शन होगा। उन्होंने इसे ‘नरसंहार’ कहा और रक्षा विभाग को तैयारी के आदेश दिए।
क्रिसमस पर घोषणा में उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि आतंकवादियों को भी ‘मेरी क्रिसमस’। यह उनके समर्थकों, खासकर इवेंजेलिकल ईसाइयों, को खुश करने का तरीका है। लेकिन आलोचक कहते हैं कि समस्या सिर्फ धार्मिक नहीं है – गरीबी, बेरोजगारी और जलवायु संकट मुख्य कारण हैं।
वैश्विक राजनीतिक अपडेट
ट्रंप की यह कार्रवाई अफ्रीका में अमेरिकी प्रभाव बढ़ाएगी। नाइजीरिया ने सहयोग का स्वागत किया, लेकिन धार्मिक कोण से असहमत है।
नाइजीरिया की प्रतिक्रिया: सरकार क्या कह रही है?
नाइजीरियाई सरकार ने हमलों की पुष्टि की और कहा कि यह उनके अनुरोध पर हुआ। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर स्पष्ट किया कि यह संप्रभुता का उल्लंघन नहीं, बल्कि सहयोग है। वे कहते हैं कि हिंसा सभी को प्रभावित करती है, न कि सिर्फ एक समुदाय को।
सोकोटो जैसे इलाकों में विदेशी आतंकवादी घुस आए हैं, और सरकार अंतरराष्ट्रीय मदद ले रही है। लेकिन कुछ लोग इसे अपनी सेना की कमजोरी मानते हैं। वर्षों से बोको हराम से लड़ाई चल रही है, लेकिन पूरी सफलता नहीं मिली।



















