पंजाब के मोहाली जिले की छप्पड़ चिरी सड़क, जो ऐतिहासिक दृष्टिकोण से एक अहम स्थान रखती है, इन दिनों जर्जर हालत में पहुंच चुकी है। इस सड़क का नाम सुनते ही लोगों को याद आता है महान सिख योद्धा बंदा सिंह बहादुर की ऐतिहासिक जीत, लेकिन दुर्भाग्यवश अब यह स्थान सरकार की उपेक्षा का शिकार बनता जा रहा है। सड़क की हालत इतनी बदतर हो गई है कि राहगीरों के लिए वहां चलना जोखिम भरा हो चुका है। इसी मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी दी है और कहा है कि यदि सड़क मरम्मत कार्य तुरंत नहीं शुरू हुआ, तो SAD सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेगा।
❖ छप्पड़ चिरी का ऐतिहासिक महत्व
छप्पड़ चिरी सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि सिख इतिहास का गौरव है। यहीं पर सन् 1710 में बंदा सिंह बहादुर ने मुग़ल सेनापति वज़ीर खान को हराकर खालसा राज की नींव रखी थी। यह वही भूमि है जहां ‘फतेह बुर्ज’ स्थित है – भारत का सबसे ऊंचा विजय स्तंभ। इस ऐतिहासिक धरोहर तक पहुँचने वाली सड़क का आज टूटी हालत में होना केवल बुनियादी विकास की नाकामी नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत के प्रति लापरवाही भी दर्शाता है।
❖ सड़क की मौजूदा स्थिति: खतरे में लोगों की जान
स्थानीय निवासियों और नियमित यात्रियों का कहना है कि बारिश के मौसम में यह सड़क खतरनाक रूप धारण कर लेती है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिनमें पानी भर जाने से दुर्घटनाओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। कुछ जगहों पर सड़क की सतह ही धंस चुकी है। नज़दीकी गांवों के लोग, स्कूल जाने वाले बच्चे, बुज़ुर्ग और कामकाजी लोग सभी इस स्थिति से बेहद परेशान हैं।
एक स्थानीय दुकानदार हरमीत सिंह कहते हैं,
“यह सड़क ना सिर्फ़ हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरत है, बल्कि हमारी पहचान भी है। आज हालत ये है कि एंबुलेंस भी समय पर नहीं पहुंच पाती।”
Historic Punjab’s Chappar Chiri road crumbles, SAD leader warns govt of protest https://t.co/sd7umRRPGF
— The Indian Express (@IndianExpress) May 3, 2025
❖ SAD नेता दलजीत सिंह चीमा की तीखी प्रतिक्रिया
दलजीत सिंह चीमा ने इस विषय पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा:
“ये सड़क पंजाब के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। इसकी यह हालत राज्य सरकार की नाकामी और उदासीनता को दर्शाती है। यदि इसे तत्काल मरम्मत नहीं किया गया तो शिरोमणि अकाली दल जनआंदोलन छेड़ेगा।”
चीमा ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आने वाले दिनों में सड़क पर काम नहीं शुरू हुआ तो SAD चरणबद्ध तरीके से विरोध प्रदर्शन शुरू करेगा। उनका कहना है कि यह केवल एक सड़क नहीं, बल्कि हमारी विरासत और पहचान से जुड़ा प्रश्न है।
❖ क्या कहता है लोक निर्माण विभाग (PWD)?
रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल PWD की तरफ से कोई ठोस बयान सामने नहीं आया है। कुछ सूत्रों का दावा है कि मरम्मत के लिए टेंडर प्रक्रिया लंबित है, जबकि अन्य का कहना है कि बजट की मंजूरी नहीं मिल पाई है। ऐसे में लोगों का विश्वास सरकारी तंत्र से उठता जा रहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी पंजाब सरकार ने अमृतपाल सिंह की NSA के तहत हिरासत एक साल और बढ़ाई जैसी सख्त प्रशासनिक कार्रवाइयां की हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं को लेकर उदासीनता सवाल खड़े करती है।
❖ जनता की नाराजगी और सोशल मीडिया पर हलचल
छप्पड़ चिरी सड़क की हालत को लेकर सोशल मीडिया पर भी खासा गुस्सा देखा जा रहा है। ट्विटर और फेसबुक पर हैशटैग #SaveChapparChiri ट्रेंड करने लगे हैं। स्थानीय युवाओं ने वीडियो बनाकर सड़क की स्थिति को दिखाया है और मुख्यमंत्री भगवंत मान से सीधा सवाल पूछा है।
एक ट्विटर यूज़र ने लिखा:
“इतिहास को मिट्टी में मिलाया जा रहा है। छप्पड़ चिरी सड़क की हालत देखिए, शर्म आती है!”
❖ सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों की प्रतिक्रिया
छप्पड़ चिरी की गिरती हालत से केवल राजनैतिक दल ही नहीं, बल्कि कई सामाजिक संगठन भी चिंतित हैं। ‘पंजाब विरासती संगराह’ नामक संस्था ने कहा है कि यदि सड़क की मरम्मत तत्काल नहीं हुई, तो वह RTI और जन याचिका के माध्यम से सरकार से जवाब तलब करेगी। उनका मानना है कि “विकास” केवल इमारतें खड़ी करने का नाम नहीं, बल्कि विरासतों को संरक्षित करने का दायित्व भी है।
❖ विशेषज्ञों की राय: सड़क निर्माण में गुणवत्ता पर सवाल
सड़क निर्माण विशेषज्ञ इंजीनियर गुरविंदर सिंह का कहना है:
“सड़कों की यह हालत तभी होती है जब निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल होती है या समय पर निगरानी नहीं होती। इस मार्ग की मरम्मत एक साल पहले हुई थी, लेकिन आज की हालत इसका प्रमाण है कि कार्य में गुणवत्ता की भारी कमी थी।”
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि राज्य को ऐसी ऐतिहासिक सड़कों के लिए विशेष निधि और निगरानी दल नियुक्त करने चाहिए।
❖ समाधान और आगे की राह
यह आवश्यक हो गया है कि सरकार और संबंधित विभाग तत्काल इस पर कार्रवाई करें:
- सड़क की मरम्मत कार्य तत्काल शुरू हो
- PWD अधिकारियों की जवाबदेही तय हो
- हर 6 महीने में सड़क सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य हो
- ऐतिहासिक स्थलों तक की सड़कों को “heritage corridor” मानकर विशेष निगरानी दी जाए
यदि ये कदम नहीं उठाए गए, तो यह केवल एक सड़क नहीं, बल्कि हमारी विरासत को खोने जैसा होगा।
❖ निष्कर्ष
छप्पड़ चिरी की सड़क अब केवल एक विकास का मुद्दा नहीं, बल्कि राज्य की ऐतिहासिक अस्मिता और नागरिक सुविधा का सवाल बन चुकी है। SAD नेता दलजीत चीमा की चेतावनी हो या जनता की आवाज़ — सब एक ही दिशा में इशारा कर रहे हैं: “कार्यवाही हो, अब नहीं तो कब?”
❖ आपके विचार?
आप इस सड़क की स्थिति पर क्या सोचते हैं?
क्या आपने भी अपने क्षेत्र में ऐसी किसी ऐतिहासिक धरोहर को उपेक्षा का शिकार होते देखा है?
कृपया नीचे कमेंट करके अपनी राय ज़रूर साझा करें।