🔸भारत की विदेश नीति में आई स्पष्टता
जर्मनी के बर्लिन शहर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के लिए तीन सीधी और सटीक चेतावनियां दीं। ये सिर्फ बयान नहीं थे, बल्कि भारत की अब बदल चुकी विदेश नीति की झलक थी।
जहां एक समय भारत अपनी प्रतिक्रिया में देर करता था, वहीं अब भारत पहले से अधिक स्पष्ट, निर्णायक और निष्पक्ष स्वर में बात करता है। जयशंकर ने अपने बयान में भारत की रणनीतिक स्थिति को खुलकर बताया और यह जता दिया कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात से पीछे हटने वाला देश नहीं रहा।
👉 “अब भारत सिर्फ जवाब नहीं देता, सवाल भी खड़ा करता है।”
https://x.com/DrSJaishankar/status/1925903539366150565
🔸 पहला संदेश: भारत को परमाणु धमकियों से डर नहीं
जयशंकर ने सबसे पहले पाकिस्तान की पुरानी रणनीति — ‘परमाणु ब्लैकमेल’ — को पूरी तरह से खारिज किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“हम कभी भी परमाणु धमकी के आगे नहीं झुकेंगे।”
पाकिस्तान बीते वर्षों में कई बार परमाणु शक्ति का हवाला देकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर चुका है। हालिया घटनाओं ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव को उस स्तर तक पहुंचा दिया है, जहाँ परमाणु संघर्ष की आशंका भी सामने आई थी, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद के हालात में स्पष्ट हुआ था।
भारत ने करगिल, पठानकोट और बालाकोट जैसे उदाहरणों से साबित कर दिया है कि वह अपने संप्रभु अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम है और किसी भी प्रकार की धमकी से प्रभावित नहीं होता।
👉 भारत ने बार-बार साबित किया है कि धमकियों का जवाब नीतिगत मजबूती से दिया जाता है।
👉 पाकिस्तान की पुरानी रणनीतियों को अब भारत गंभीरता से नहीं लेता।
https://x.com/DrSJaishankar/status/1925912166814695532
🔸 दूसरा संदेश: आतंकवाद के प्रति भारत की शून्य सहनशीलता
भारत कई वर्षों से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से जूझता आ रहा है। चाहे मुंबई हमले की बात हो या पुलवामा की घटना — सबमें आतंकवाद की जड़ें पाकिस्तान में ही पाई गईं।
जयशंकर ने बर्लिन में कहा कि आतंकवाद के मामले में भारत की नीति स्पष्ट है — “Zero Tolerance”।
उन्होंने यह भी बताया कि आतंक अब सिर्फ भारत का मुद्दा नहीं, बल्कि वैश्विक समस्या बन चुका है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इसमें निर्णायक भूमिका निभानी चाहिए।
👉 भारत अब आतंकी हमलों को “घटना” नहीं, रणनीतिक चुनौती मानता है।
👉 जो देश आतंक को समर्थन देते हैं, उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।
भारत की यह नई नीति दुनिया को यह बताती है कि अब वह रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक विदेश नीति की ओर बढ़ रहा है।
🔸 तीसरा संदेश: भारत-पाक के रिश्तों में किसी तीसरे की जगह नहीं
जयशंकर ने पाकिस्तान को यह साफ कर दिया कि भारत किसी भी स्थिति में किसी तीसरे देश या संस्था की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा।
कश्मीर मुद्दे को पाकिस्तान लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है, लेकिन भारत की नीति हमेशा स्पष्ट रही है — यह एक द्विपक्षीय विषय है।
उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस विषय को बार-बार उठाना केवल राजनीतिक स्टंटबाजी है, इससे कोई वास्तविक हल नहीं निकल सकता।
👉 भारत और पाकिस्तान के मुद्दे, भारत और पाकिस्तान के बीच ही सुलझाए जाएंगे।
👉 किसी तीसरे पक्ष की भूमिका न भारत ने मानी है और न आगे मानेगा।
यह संदेश पाकिस्तान को स्पष्ट करता है कि अब भारत अपनी सीमाओं और नीतियों को लेकर पहले से कहीं अधिक सजग और आत्मनिर्भर है।
🔸 वैश्विक प्रतिक्रिया: भारत की छवि मजबूत होती हुई
जयशंकर के बयान के बाद न सिर्फ भारतीय मीडिया में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा तेज हो गई। न्यूयॉर्क टाइम्स, द गार्डियन, और DW जर्मनी जैसे संस्थानों ने इसे प्रमुखता से कवर किया।
यूरोप में भारत को एक शांतिप्रिय लेकिन आत्मरक्षित देश की तरह देखा जा रहा है — जो न सिर्फ अपने हितों की रक्षा करता है, बल्कि विश्व मंच पर निर्णायक भूमिका भी निभा रहा है।
👉 भारत की विदेश नीति अब परिपक्व और प्रभावशाली हो चुकी है।
👉 जयशंकर के शब्द भारत के लिए सशक्त रणनीतिक छवि प्रस्तुत करते हैं।
🔸आगे का रास्ता और असर
जयशंकर के तीन संदेश सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित नहीं हैं। यह भारत की पूरी रणनीतिक सोच को दर्शाते हैं। इससे यह भी संकेत मिलता है कि भारत अब नीतिगत मामलों में बहाव में नहीं, बल्कि स्पष्ट दिशा में चलता है।
आने वाले समय में पाकिस्तान को यह समझना होगा कि भारत की सहनशीलता की एक सीमा है। अगर आतंकवाद और परमाणु धमकियों की नीति जारी रही, तो भारत अब जवाब देने से नहीं चूकेगा।
👉 भारत की नई नीति साहस, स्पष्टता और कूटनीतिक कुशलता की मिसाल है।
👉 जयशंकर का बर्लिन बयान भारत की विदेश नीति का अगला अध्याय है।