गुजरात टाइटंस के कप्तान शुबमन गिल ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ खेले गए मैच में शानदार बल्लेबाज़ी का नमूना पेश किया। उन्होंने मैदान के चारों ओर स्ट्रोक लगाए और दर्शकों को बांधे रखा। गिल पूरी लय में नजर आ रहे थे और एक और शतक की ओर बढ़ रहे थे।
97 रन पर विवादास्पद रन आउट
मैच का टर्निंग पॉइंट तब आया जब गिल 97 रन पर रन आउट करार दिए गए। एक तेज रन दौड़ते हुए वह क्रीज़ की ओर भागे लेकिन फील्डिंग साइड ने शानदार थ्रो कर उन्हें रन आउट की अपील में फंसा दिया। मामला थर्ड अंपायर को भेजा गया।
टीवी रिप्ले में स्थिति स्पष्ट नहीं थी — कुछ एंगल में लगता था कि गिल का बल्ला समय पर क्रीज़ में पहुंच गया, वहीं कुछ में नहीं। लेकिन अंत में थर्ड अंपायर ने उन्हें आउट करार दिया, जिससे गिल गुस्से में उबल पड़े।
मैच अधिकारी पर गिल की तीखी प्रतिक्रिया
जैसे ही आउट का निर्णय स्क्रीन पर आया, शुबमन गिल ने मैदान पर मौजूद अंपायर से बहस शुरू कर दी। वह visibly नाराज़ थे, और उनकी यह प्रतिक्रिया कैमरे में कैद हो गई। गिल ने अंपायर की ओर इशारा करते हुए कुछ कहा, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
इससे पहले भी MS धोनी भी एक मैच में अंपायर से नाराज़ नजर आए थे, जिसका वीडियो खूब वायरल हुआ था। ऐसे मामले अब IPL में आम होते जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर फैंस के बंटे मत
गिल के इस व्यवहार पर सोशल मीडिया दो भागों में बंट गया।
- कुछ ने कहा कि उनकी प्रतिक्रिया भावनात्मक और जायज़ थी।
- अन्य ने इसे कप्तान के लिए अनुचित और खेल भावना के खिलाफ बताया।
एक यूज़र ने लिखा: “गिल 97 पर थे, वह रन आउट नहीं थे! अंपायरिंग स्तर गिर चुका है!”
Shubman Gill robbed of a century here due to a terrible decision by the Umpire 💔
The bails are clearly dislodged by the gloves !#ShubmanGill #IPL2025 #GTvSRH pic.twitter.com/aTXAA7Gr4Q
— Prateek (@prateek_295) May 2, 2025
क्रिकेट दिग्गजों की प्रतिक्रियाएं
- वीवीएस लक्ष्मण ने NDTV से बातचीत में कहा,
“गिल जैसा युवा खिलाड़ी अगर मैदान पर संयम नहीं रखेगा, तो गलत संदेश जाएगा।” - वहीं युवराज सिंह ने ट्विटर पर लिखा,
“अगर रिप्ले स्पष्ट नहीं है, तो बल्लेबाज़ को ही लाभ मिलना चाहिए।”
क्या थर्ड अंपायरिंग प्रणाली पर फिर से उठने लगे हैं सवाल?
यह कोई पहला मामला नहीं है जब थर्ड अंपायर के फैसले पर सवाल उठे हों। IPL जैसे हाई-टेक्नोलॉजी टूर्नामेंट में भी फैसलों की पारदर्शिता पर सवाल उठना चिंता का विषय है।
यदि तकनीक के बावजूद खिलाड़ी और दर्शक असंतुष्ट रहते हैं, तो क्रिकेट की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।
शतक से चूकने का दर्द और कप्तानी का दबाव
शुबमन गिल का यह शतक उनके लिए महज आंकड़ा नहीं, बल्कि टीम की जीत और नेतृत्व का प्रतीक भी होता। ऐसे में रन आउट होना और वो भी विवादास्पद तरीके से, निश्चित रूप से भावनात्मक दबाव बढ़ाने वाला रहा।
मैच के बाद गिल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“मैं फैसले से निराश था। मैदान पर मेरी प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी, लेकिन मुझे अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखना चाहिए था।”
क्या तकनीक भरोसे के लायक है?
- क्या हम अभी भी थर्ड अंपायरिंग में तकनीकी सुधार की ज़रूरत से दूर हैं?
- क्या AI, UltraEdge, Hawk-Eye जैसे सिस्टमों को और अधिक पारदर्शी बनाना जरूरी नहीं है?
फैंस और क्रिकेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब समय आ गया है कि IPL में तकनीकी फैसलों की समीक्षा के लिए एक स्वतंत्र पैनल बनाया जाए।
BCCI की चुप्पी, लेकिन अंदरूनी चर्चा तेज
BCCI ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार,
“अंपायरिंग स्टैंडर्ड की समीक्षा को लेकर जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी।”
फैसले के बाद मैच का परिणाम
गिल के आउट होते ही GT की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी, लेकिन फिर भी टीम ने प्रतिस्पर्धात्मक स्कोर खड़ा किया। हालांकि SRH ने बेहतर रणनीति के दम पर मुकाबले को आखिरी ओवर में अपने नाम कर लिया।
वहीं दूसरी ओर, IPL में रिकार्ड्स का सिलसिला भी जारी है — RCB के कप्तान राजत पाटीदार ने हाल ही में सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ कर सुर्खियां बटोरी हैं।
क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, भावनाओं की बुनियाद भी
शुबमन गिल जैसे खिलाड़ी का इस तरह भावनात्मक होना दिखाता है कि क्रिकेट केवल स्कोर और रिकॉर्ड से परे भी एक खेल है — वह जुनून, सम्मान और न्याय की भी मांग करता है।
आपकी राय क्या है?
- क्या आपको लगता है कि थर्ड अंपायर का फैसला सही था?
- क्या शुबमन गिल की प्रतिक्रिया जायज़ थी या अनुचित?
- क्या IPL में तकनीकी समीक्षा और पारदर्शिता और बेहतर होनी चाहिए?
कमेंट सेक्शन में अपनी राय जरूर दर्ज करें। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
समापन विचार
क्रिकेट एक जज़्बातों का खेल है, और हर फैसले का असर खिलाड़ी के आत्मविश्वास, प्रदर्शन और प्रशंसकों की भावना पर पड़ता है। शुबमन गिल का यह विवाद आने वाले दिनों में आईपीएल की नीति-निर्माण प्रक्रिया में अहम बदलाव की नींव बन सकता है।