Infant Protection Day 2025 क्या है?
हर साल 7 नवंबर को पूरी दुनिया में Infant Protection Day मनाया जाता है। यह दिन नवजात शिशुओं की सुरक्षा, उनके अधिकारों और उनके स्वस्थ विकास के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। समाज में अक्सर यह देखा गया है कि जन्म के बाद के शुरुआती कुछ महीने बच्चे के जीवन के लिए सबसे संवेदनशील होते हैं। ऐसे में, यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर नवजात को जीवन, पोषण और देखभाल का पूरा अधिकार है।
Infant Protection Day 2025 का उद्देश्य सिर्फ एक दिन मनाना नहीं है, बल्कि समाज में यह सोच विकसित करना है कि शिशु सुरक्षा सिर्फ माता-पिता नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है।
इतिहास: इस दिन की शुरुआत कैसे हुई?
Infant Protection Day की शुरुआत 1990 के दशक में यूरोपीय देशों में हुई थी, जब नवजात शिशुओं की मृत्यु दर तेजी से बढ़ रही थी। कई देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, गर्भावस्था के दौरान पोषण की अनदेखी और टीकाकरण की कमी जैसी समस्याओं के कारण हज़ारों बच्चे जन्म के तुरंत बाद दम तोड़ देते थे।
इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने यह पहल की कि एक ऐसा दिन मनाया जाए जो शिशु सुरक्षा के महत्व को जन-जन तक पहुंचाए। धीरे-धीरे यह दिन वैश्विक स्तर पर फैल गया और अब भारत समेत कई देशों में इसे हर साल 7 नवंबर को मनाया जाता है।
भारत में भी सरकार और कई सामाजिक संस्थाएं इस दिन नवजात देखभाल, टीकाकरण अभियान, और मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से जनजागरूकता फैलाती हैं।
भारत में शिशु सुरक्षा की स्थिति
भारत में शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate) पिछले कुछ वर्षों में घटकर काफी बेहतर हुई है, लेकिन अभी भी ग्रामीण इलाकों और पिछड़े क्षेत्रों में यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, शिशु मृत्यु दर में सुधार जरूर हुआ है, लेकिन अब भी कई बच्चे पोषण की कमी, संक्रमण और समय पर चिकित्सा न मिलने के कारण अपनी जान गंवाते हैं।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, पहले 28 दिन बच्चे के जीवन के लिए सबसे नाज़ुक होते हैं। इस दौरान सही देखभाल और पोषण ही बच्चे की जिंदगी बचा सकता है।
- शिशु सुरक्षा केवल स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें माँ की मानसिक और शारीरिक सेहत, सुरक्षित प्रसव, स्तनपान और साफ-सफाई भी शामिल है।
Infant Protection Day 2025 की थीम और महत्व
हर साल इस दिन की एक विशेष थीम (Theme) तय की जाती है जो लोगों को जागरूक करती है कि शिशुओं की सुरक्षा किन कारणों से प्रभावित हो रही है।
Infant Protection Day 2025 की संभावित थीम है – “Safe Start for Every Life” यानी “हर जीवन की सुरक्षित शुरुआत।”
यह थीम हमें यह याद दिलाती है कि हर बच्चे को जन्म से ही समान अधिकार मिलें — सुरक्षा, स्वास्थ्य, प्यार और अवसर।
इस वर्ष का उद्देश्य है कि समाज के सभी वर्ग मिलकर यह सुनिश्चित करें कि किसी भी बच्चे को बुनियादी सुविधाओं से वंचित न रहना पड़े।
शिशु सुरक्षा से जुड़ी मुख्य चुनौतियाँ
भारत में शिशु सुरक्षा को लेकर कई तरह की चुनौतियाँ हैं जो अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं —
- गरीबी और कुपोषण: गरीब परिवारों में उचित पोषण न मिलने से बच्चे कमजोर पैदा होते हैं।
- स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी: ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर, नर्स और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की अनुपलब्धता बड़ी समस्या है।
- शिक्षा और जागरूकता की कमी: कई परिवार अब भी प्रसव पूर्व जांच, टीकाकरण और स्तनपान जैसे मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेते।
- लिंग भेदभाव: कई जगहों पर आज भी बेटियों के जन्म को बोझ समझा जाता है। यह सोच समाज की सबसे बड़ी समस्या है।
- पर्यावरणीय खतरे: प्रदूषण, साफ पानी की कमी और अस्वस्थ वातावरण भी बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करते हैं।
सरकार और समाज की भूमिका
सरकार द्वारा शिशु सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं —
- जननी सुरक्षा योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी योजनाएँ गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहायता देती हैं।
- मिशन इंद्रधनुष के तहत बच्चों को आवश्यक टीकाकरण मुफ्त में कराया जाता है।
- आंगनवाड़ी केंद्र ग्रामीण स्तर पर पोषण और प्राथमिक शिक्षा का केंद्र बन चुके हैं।
साथ ही समाज का भी कर्तव्य है कि वह इन योजनाओं का समर्थन करे और हर बच्चे के लिए समान अवसर की व्यवस्था बनाए।
हम क्या कर सकते हैं? (Individual Responsibility)
हर नागरिक अपने स्तर पर शिशु सुरक्षा में योगदान दे सकता है —
- शिक्षा और जागरूकता फैलाएँ: गर्भवती महिलाओं और नए माता-पिता को सही जानकारी दें।
- टीकाकरण और पोषण पर ध्यान दें: यह सुनिश्चित करें कि आपके आसपास के बच्चों को सभी टीके समय पर लगें।
- बालिकाओं के जन्म को बढ़ावा दें: लिंग भेदभाव को खत्म करना समाज के विकास की पहली शर्त है।
- NGO और हेल्थ कैंप्स में सहयोग करें: स्वयंसेवक के रूप में समय या संसाधन देकर बच्चों की मदद करें।
विश्व स्तर पर Infant Protection Day का प्रभाव
यह दिन केवल भारत में नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और अफ्रीकी देशों में शिशु सुरक्षा को लेकर कई सरकारी और गैर-सरकारी अभियान चल रहे हैं।
कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने यह लक्ष्य रखा है कि 2030 तक दुनिया के हर बच्चे को सुरक्षित जन्म और स्वस्थ जीवन का अधिकार मिल सके। इस दिशा में भारत की पहल भी सराहनीय मानी जा रही है।
Infant Protection Day 2025 और हरियाणा डे का संबंध (Internal Linking)
जैसे भारत के अलग-अलग राज्यों में विकास के लिए विशेष दिन मनाए जाते हैं, उसी तरह हरियाणा दिवस 2025 भी राज्य की प्रगति और सामाजिक कल्याण को दर्शाता है।
दोनों अवसरों का उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव और जन-जागरूकता फैलाना है।
जहाँ एक ओर हरियाणा डे प्रदेश की उपलब्धियों का उत्सव है, वहीं Infant Protection Day हमें यह सिखाता है कि कोई भी विकास तभी सार्थक है जब हर बच्चे का जीवन सुरक्षित और स्वस्थ हो।
जनजागरूकता कैसे बढ़ाई जा सकती है?
- स्कूलों और कॉलेजों में शिशु देखभाल पर वर्कशॉप्स आयोजित की जा सकती हैं।
- सोशल मीडिया पर #InfantProtectionDay2025 जैसे हैशटैग से अभियान चलाए जा सकते हैं।
- डॉक्टर, नर्स और हेल्थ वर्कर्स को सम्मानित करके समाज को प्रेरित किया जा सकता है।
- मातृत्व केंद्रों और अस्पतालों में मुफ्त स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जा सकते हैं।
इन कदमों से न केवल शिशु मृत्यु दर घटेगी, बल्कि मातृत्व और बाल स्वास्थ्य में भी सुधार आएगा।
हर जीवन की सुरक्षित शुरुआत हमारी जिम्मेदारी
Infant Protection Day 2025 केवल एक तारीख नहीं है, बल्कि यह मानवता का प्रतीक है।
यह हमें याद दिलाता है कि एक बच्चे का जीवन कितना कीमती होता है और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना समाज के हर व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है।
यदि हम सब मिलकर यह ठान लें कि किसी भी बच्चे को बुनियादी सुविधाओं की कमी न झेलनी पड़े, तो भारत का भविष्य और अधिक उज्ज्वल होगा।
आइए इस Infant Protection Day पर संकल्प लें —
“हर बच्चे की सुरक्षित शुरुआत, हर परिवार की पहली प्राथमिकता।”
लेख पढ़ने के बाद आप क्या सोचते हैं?
क्या आपको लगता है कि भारत में शिशु सुरक्षा के प्रयास पर्याप्त हैं, या हमें और प्रयास करने की जरूरत है?
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