कोलकाता में चार दशकों की सबसे भीषण बारिश ने जनजीवन को लगभग ठप कर दिया है। पिछले दो दिनों में हुई मूसलाधार वर्षा ने कई इलाकों को पानी में डुबो दिया, जिससे कम से कम नौ लोगों की मौत और हजारों लोगों का रोज़मर्रा का जीवन प्रभावित हुआ। प्रशासन राहत कार्य में जुटा है, लेकिन शहर की रफ्तार मानो थम गई है।
मौसम विभाग की चेतावनी और रिकॉर्ड तोड़ वर्षा
भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 48 घंटों में कोलकाता में रिकॉर्ड स्तर की बारिश दर्ज की गई, जो पिछले 40 सालों में सबसे ज्यादा है।
- विभाग ने अगले 24 घंटों में और तेज़ बारिश की संभावना जताई है।
- तटीय इलाकों में तेज़ हवाओं और समुद्र में ऊँची लहरों की चेतावनी भी जारी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मौसमी असंतुलन सिर्फ मानसून की देन नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन का सीधा संकेत है।
#WestBengal: Death toll from overnight rains rises to 10, with capital Kolkata facing the severe effects.
Kolkata streets are waterlogged after heavy downpour. Train and Metro services disrupted. pic.twitter.com/DAzCLBoEWk
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 24, 2025
परिवहन और बिजली व्यवस्था पर भारी असर
सड़कें जलमग्न होने से बस और टैक्सी सेवाएं प्रभावित हैं। मेट्रो स्टेशनों पर पानी भरने के कारण कई मार्गों पर सेवाएं रोकी गई हैं।
- एयरपोर्ट पर उड़ानों में देरी और रद्दीकरण से यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है।
- कई इलाकों में बिजली आपूर्ति बाधित है, जिससे इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क पर भी असर पड़ा है।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अनावश्यक यात्रा से बचें और सुरक्षित स्थानों पर रुकें।
बाजार, स्कूल और अस्पतालों की स्थिति
लगातार बारिश के कारण स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। ज़रूरी सामान की आपूर्ति बाधित होने से बाजारों में भीड़ और अफरा-तफरी का माहौल है।
- अस्पतालों में पानी भरने और बिजली कटौती से आपात सेवाओं को दिक्कत हो रही है।
- कई निजी क्लीनिकों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा है।
प्रशासनिक राहत कार्य
नगर निगम और पुलिस की टीमें 24 घंटे जलनिकासी और राहत कार्य में जुटी हैं।
- NDRF और आपदा प्रबंधन दल ने कई बाढ़ग्रस्त इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकाला।
- नगर निगम ने अस्थायी राहत शिविरों की स्थापना की है, जहां भोजन और दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं।
राज्य सरकार ने आपात बैठक कर अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने की घोषणा की है।
#Kolkata ‘s condition after overnight rainfall worsened
due to poorly maintained roads and drains, causing
electricity issues.Nine people died from electrocution.#KolkataFlood #KolkataRains #OGMovie #VikrantMassey pic.twitter.com/0ggTZ2JwxG
— Melawan (@melawanshwa) September 24, 2025
नागरिकों की जमीनी कहानियां
पानी में घुटनों तक डूबे कई इलाकों से नागरिकों की मार्मिक कहानियां सामने आई हैं।
- कई परिवारों को घर छोड़कर ऊँचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी।
- स्वयंसेवी संगठनों ने बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई।
स्थानीय युवाओं ने नावों और अस्थायी बेड़ों से जरूरतमंदों को खाना और पीने का पानी पहुँचाया।
अन्य राज्यों पर असर
पश्चिम बंगाल के आसपास के जिलों में भी भारी बारिश ने जीवन को प्रभावित किया है।
- पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र और तेलंगाना में भी भारी वर्षा और जलभराव की खबरें हैं।
- मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले दो दिनों में ये बारिश का तंत्र उत्तरी भारत की ओर बढ़ सकता है।
सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सुझाव
प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे:
- पीने के पानी को उबालकर इस्तेमाल करें।
- खुले में पड़े बिजली के तारों और खंभों से दूर रहें।
- बिना ज़रूरत घर से बाहर निकलने से बचें।
स्वच्छता बनाए रखना और मच्छरों से बचाव इस समय सबसे जरूरी बताया गया है।
जलवायु परिवर्तन और शहरी योजना पर सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि यह आपदा केवल प्राकृतिक नहीं है।
- अनियोजित शहरीकरण और निकासी तंत्र की कमजोरी ने स्थिति को और बिगाड़ा।
- लगातार बढ़ते तापमान और मौसम पैटर्न में बदलाव, जलवायु परिवर्तन के खतरों की ओर संकेत करते हैं।
शहर को भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचाने के लिए सुदृढ़ शहरी योजना और जल प्रबंधन को प्राथमिकता देने की मांग उठ रही है।
पुनर्निर्माण और आगे की राह
जैसे-जैसे बारिश कम होगी, प्रशासन के सामने सड़क मरम्मत, जलनिकासी और स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य करने की चुनौती रहेगी।
- नागरिकों से संयम और धैर्य रखने की अपील की गई है।
- स्थानीय संगठनों ने स्वैच्छिक सफाई और सहायता कार्यों में सक्रिय भागीदारी का संकल्प लिया है।
समान स्थिति उत्तराखंड में भी देखने को मिली, हाल ही में देहरादून रेड अलर्ट और भारी वर्षा ने भी लोगों को सतर्क किया है। यह उदाहरण बताता है कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में मौसम के पैटर्न कितने अस्थिर हो चुके हैं।
समापन
कोलकाता की यह आपदा केवल एक शहर की कहानी नहीं, बल्कि देशभर के शहरी क्षेत्रों के लिए चेतावनी है। यदि समय रहते बेहतर जल निकासी व्यवस्था, हरित क्षेत्र संरक्षण और जलवायु अनुकूल नीतियां नहीं अपनाई गईं, तो आने वाले वर्षों में ऐसी घटनाएं और भी गंभीर रूप ले सकती हैं।
पाठकों से निवेदन है कि अपने विचार और अनुभव नीचे कमेंट में साझा करें—क्या आपके शहर ने भी हाल के वर्षों में ऐसी आपदा झेली है? आपके सुझाव आने वाले समय में बेहतर शहरी योजना और सामूहिक तैयारी में सहायक हो सकते हैं।