जम्मू-कश्मीर के बीजेपी नेता जहानजैब सिरवाल ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान पर कड़ा विरोध जताते हुए पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी दी है। यह विवाद ‘I Love Muhammad’ नारे को लेकर शुरू हुई एक राजनीतिक और सामाजिक बहस का हिस्सा है, जिसने तमाम प्रदेशों में चर्चाओं और तनाव को जन्म दिया है। इस लेख में इस पूरे विवाद की व्यापक समीक्षा की गई है।
विवाद की पृष्ठभूमि और ‘I Love Muhammad’ नारे का उद्भव
पिछले कुछ हफ्तों में उत्तर प्रदेश में ‘I Love Muhammad’ नारे ने बड़ी राजनीतिक और सामाजिक हलचल मचाई है। यह नारा जबरदस्त संवेदनशीलता का विषय बन गया, खासकर जब इसे सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टरों और बैनरों के रूप में देखा गया। इस विवाद की पहली चिंगारी कानपुर से लगी, जहां इस नारे को लेकर भारी तनाव की स्थिति पैदा हो गई। यह विवाद इस तथ्य के कारण भी और तीव्र हो गया क्योंकि इस नारे के विरोध और समर्थन करने वालों के बीच भिड़ंत हुई, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा और गिरफ्तारी की घटनाएं सामने आईं।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक भावनाएं किस हद तक भड़काऊ राजनीति में हस्तक्षेप कर सकती हैं और किस प्रकार एक भावनात्मक मामला सामाजिक तनाव और राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। इस पर पूरे देश में राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी टिप्पणियां शुरू कर दीं, जिससे विवाद और गहरा हो गया।
जम्मू-कश्मीर के भाजपा नेता जहानजैब सिरवाल की कड़ी प्रतिक्रिया
जम्मू-कश्मीर के बीजेपी नेता जहानजैब सिरवाल ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस मामले में दिए गए बयान को ‘अस्वीकार्य’ बताया। उन्होंने सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर स्पष्ट किया कि वे इस प्रकार के विवादास्पद और समाज को बांटने वाले बयानों का किसी भी स्थिति में समर्थन नहीं करते। उन्होंने कहा कि यदि पार्टी इस तरह की राजनीति करती रही तो उनके लिए पार्टी में रहना संभव नहीं रहेगा और उन्होंने इस्तीफा देने की भी धमकी दी।
सिरवाल ने कहा कि इस विवाद और यूपी सीएम की टिप्पणियां भाजपा के राष्ट्रीय नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ वाक्य के खिलाफ हैं। उनका यह भी कहना था कि यह स्थिति देश में धार्मिक मतभेदों को भड़काने वाली है, जो किसी भी आधुनिक लोकतंत्र के लिए लाभदायक नहीं हो सकती।
#WATCH | Delhi: On ‘I love Muhammad’ protest and stone pelting yesterday, Congress leader Shama Mohamed says, “…There is no problem in writing ‘I love Muhammad’, ‘I love Ganesh Ji’, ‘I love Lord Ram’. However, we are realising one thing: elections are coming up in UP in 2017,… pic.twitter.com/iaAmtnNONk
— ANI (@ANI) September 27, 2025
यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान और प्रभाव
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस विवाद में बेहद सख्ती दिखाई। उन्होंने इस नारे को लेकर गंभीर चिंता जताई और कहा कि कोई भी धार्मिक भावना या हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक या भड़काऊ व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। योगी ने उपद्रवियों को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि कानून का पूरा पालन होगा।
योगी ने कुछ मौकों पर ‘गजवा-ए-हिंद’ जैसे विवादित शब्दों का इस्तेमाल किया, जो विवाद को और तीखा बना गया। वह हिंदुत्व के सशक्त समर्थक के रूप में जाने जाते हैं और नवरात्रि जैसे पावन अवसरों पर इन बयानों ने जनता के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं प्राप्त कीं।
पुलिस ने इस विवाद को लेकर सख्त कारवाई करते हुए कई लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें स्थानीय मौलाना तौकीर रजा भी शामिल थे। पुलिस की कार्रवाई का उद्देश्य पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखना था, लेकिन इससे मुस्लिम समुदाय में असंतोष और विरोध भी बढ़ा।
सामाजिक और कानूनी असर
‘I Love Muhammad’ विवाद ने समाज के कई वर्गों के बीच अप्रत्याशित तनाव पैदा किया है। मुस्लिम समुदाय में इस विवाद को लेकर चिंता और निराशा देखी गई, खासकर पुलिस की कार्रवाई के बाद। कई लोग इसे समुदाय विशेष के खिलाफ अन्यायपूर्ण कार्रवाई मान रहे हैं।
इसके विपरीत, कुछ हिंदू समूह इसे धार्मिक गौरव की रक्षा के पक्ष में ले रहे हैं। इस विवाद का कानूनी पक्ष भी काफी सक्रिय रहा है, जिसमें पुलिस का कहना है कि कानून के अनुसार वे उचित कार्रवाई कर रहे हैं, जबकि मानवाधिकार संगठन और आम जनता पुलिस की सख्ती पर सवाल उठा रही है।
हिंसा और तनाव प्रभावित इलाकों में पुलिस और प्रशासन द्वारा हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। इस संदर्भ में बरेली जैसे शहर में शुक्रवार की नमाज से पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। (आप इस बारे में अधिक जानकारी यहाँ पढ़ सकते हैं।)
राजनीतिक परिदृश्य और विभिन्न दलों की प्रतिक्रियाएं
इस विवाद ने राजनीतिक दलों के बीच नई हलचल मचा दी है। भाजपा के अलग-अलग नेताओं के बीच मतभेद सामने आए हैं, जहां एक ओर जहांजैब सिरवाल जैसे नेता विरोध में हैं, वहीं पार्टी नेतृत्व सख्त रुख अपनाए हुए है।
समाजवादी पार्टी ने इस विषय को भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल करने का प्रयास किया है और इसे धार्मिक अहिंसा की रक्षा के रूप में दिखाया। अन्य विपक्षी दल भी इस विवाद का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं, जो आगामी चुनाव रणनीतियों में परिलक्षित होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत को इस विवाद के बीच एक बार फिर परखना पड़ा है, क्योंकि देश की सामाजिक एकता और सांप्रदायिक सद्भाव का मामला यहीं पर सटीकता से परखा जाता है।
सामंजस्य और संवेदनशीलता की जरूरत
यह विवाद एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि किस प्रकार धार्मिक भावनाओं को बिना समझे या असंवेदनशील बयानों के कारण सामाजिक सद्भाव बिगाड़ा जा सकता है। धार्मिक और सांप्रदायिक धरातल पर ऐसे मुद्दों पर संयम और समझदारी से काम लेना आवश्यक है।
सरकारों को चाहिए कि वे सभी समुदायों की भावनाओं का सम्मान करें और ऐसी परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए संवाद और सहमति की नीति अपनाएं। धार्मिक ध्रुवीकरण से बचते हुए, सामाजिक शांति बनाए रखना ही हमारे देश की सच्ची ताकत होगी।