पंजाब के बठिंडा की रहने वाली कमल कौर सोशल मीडिया पर एक जानी-मानी हस्ती थीं। उनके इंस्टाग्राम और फेसबुक पर हजारों फॉलोअर्स थे। वो अपने वीडियो और पोस्ट के ज़रिए मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर भी राय रखती थीं। उनकी डिजिटल मौजूदगी खासकर युवाओं के बीच मजबूत थी।
हालांकि, कुछ धार्मिक समूहों को उनके कुछ वीडियो में प्रयुक्त भाषा और अंदाज आपत्तिजनक लग रहा था, जिसे लेकर कई बार सोशल मीडिया पर विवाद भी हुआ।
घटना का पूरा विवरण: दिन-दहाड़े की गई हत्या
12 जून की शाम, जब कमल कौर बठिंडा के बिअड़ांवाली गांव के पास अपनी कार से जा रही थीं, तभी मोटरसाइकिल पर सवार दो लोगों ने अचानक उन पर हमला कर दिया। हमला इतना अचानक था कि बचाव का कोई मौका ही नहीं मिला।
घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। कुछ ही घंटों में पुलिस को पास के CCTV फुटेज में बाइक सवार हमलावर दिखे।
दो आरोपी गिरफ्तार, दोनों निहंग समुदाय से
पुलिस जांच में सामने आया कि इस वारदात के पीछे निहंग समुदाय से जुड़े दो युवक – हरजीत सिंह और गुरविंदर सिंह – शामिल थे। दोनों को पुलिस ने बठिंडा के नजदीकी इलाकों से गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के वक्त दोनों के पास से तेजधार हथियार भी बरामद किए गए हैं। पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपियों ने पूछताछ में माना कि उन्हें कमल कौर के सोशल मीडिया पोस्ट्स आपत्तिजनक लगे थे और वे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने की बात कह रहे थे।
A woman was murdered for posting videos.
Kanchan Kumari (Kamal Kaur Bhabhi) was strangled after ignoring threats from a radical preacher.
From Punjab to Pakistan, digital boldness = death sentence.
When will society stop defending killers in the name of “culture”?… pic.twitter.com/7XiL56d4B7
— Arup Ghosh (@ArupSG) June 13, 2025
मास्टरमाइंड अब भी फरार
इस केस का तीसरा आरोपी, जिसने हत्या की पूरी योजना बनाई थी, अभी भी फरार है। पुलिस का कहना है कि उसने सोशल मीडिया पर कमल कौर के खिलाफ पहले से अभियान चला रखा था और दोनों गिरफ्तार आरोपियों को उकसाया भी था।
माना जा रहा है कि उसने भड़काऊ वीडियो और पोस्ट के ज़रिए नफरत को हवा दी, जिसका नतीजा यह दर्दनाक घटना बनी।
क्या था ‘अश्लील कंटेंट’ का मामला?
कमल कौर के सोशल मीडिया कंटेंट को लेकर कुछ संगठनों ने पहले भी नाराज़गी जताई थी। हालांकि, उनके किसी भी पोस्ट को लेकर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई थी।
आरोपियों ने यह दावा किया है कि उन्होंने महिला को इसलिए मारा क्योंकि उसका कंटेंट “धार्मिक मर्यादाओं के खिलाफ” था।
लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि किसी की ऑनलाइन उपस्थिति या राय से असहमत होना हत्या का कारण नहीं हो सकता।
She is Kamal Kaur. A social media influencer who has been murdered in Punjab for posting obscene content on Instagram. Few days ago a Hindu businessman was threatened as well.
Talibanisation of Punjab in full swing… pic.twitter.com/7Qb9FFalCT
— Monica Verma (@TrulyMonica) June 13, 2025
पुलिस जांच: क्या सामने आया?
बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने प्रेस को बताया कि:
“हत्या की साजिश सोशल मीडिया पर ही रची गई थी। आरोपियों ने कमल कौर की गतिविधियों पर नज़र रखी और एक मौका मिलते ही हमला कर दिया।”
पंजाब पुलिस हाल ही में कई हाई-प्रोफाइल मामलों की तह तक पहुंची है, जिनमें ड्रग्स से जुड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ भी शामिल है। हाल ही में पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग रैकेट का पर्दाफाश करते हुए 85 किलो हेरोइन जब्त की थी, जिससे राज्य की सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता साफ झलकती है।
अब कमल कौर हत्याकांड में भी उम्मीद की जा रही है कि फरार आरोपी को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
घटना के बाद सोशल मीडिया पर न्याय की मांग तेज़ हो गई है। कई यूज़र्स ने इस हत्या को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। वहीं कुछ धार्मिक समूहों ने आरोपियों के समर्थन में बयान दिए हैं, जिससे ऑनलाइन तनाव और बढ़ा है।
महिला सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने मिलकर एक डिजिटल अभियान भी शुरू किया है जिसमें वो डिजिटल स्पेस को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने की मांग कर रही हैं।
क्या डिजिटल स्पेस अब सुरक्षित नहीं?
इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है — क्या अब सोशल मीडिया पर खुलकर राय रखने की आज़ादी खत्म हो रही है?
क्या धार्मिक असहमति अब सीधा हिंसा में बदलने लगी है?
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में तेजी से बढ़ती डिजिटल आबादी के बीच ऐसी घटनाएं असहिष्णुता की खतरनाक मिसाल हैं।
पाठकों से सवाल: आपकी क्या राय है?
क्या सोशल मीडिया पर किसी के कंटेंट से असहमति को हिंसा में बदल देना न्यायसंगत है?
क्या यह एक तरह की डिजिटल भीड़तंत्र की शुरुआत है?
👇 नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर बताएं।
अब आगे क्या?
कमल कौर की हत्या ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं के बीच की रेखा कहाँ खींची जाए।
पुलिस की कार्रवाई जारी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही तीसरा आरोपी भी गिरफ़्त में होगा।
लेकिन असली बदलाव तभी आएगा जब समाज ऑनलाइन असहमति को स्वीकार करने की संस्कृति अपनाएगा और हिंसा को पूरी तरह नकारेगा।