उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में बीते दिनों एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। जिले के पुरवा कस्बे के इमाम चौक क्षेत्र में अचानक से ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का एक बड़ा पोस्टर दिखाई दिया। यह पोस्टर मुख्य रूप से एक दीवार पर लगाया गया था और उस पर फारसी भाषा में कुछ धार्मिक बातें लिखी थीं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह पोस्टर मंगलवार की सुबह सबसे पहले देखा गया और कुछ ही घंटों में यह चर्चा का विषय बन गया। पोस्टर के नीचे एक स्थानीय संगठन का नाम भी अंकित था, जिससे मामला और भी संवेदनशील बन गया।
लोगों में यह आशंका उत्पन्न हो गई कि यह किसी प्रकार की राजनीतिक या धार्मिक रणनीति हो सकती है। चूंकि अयातुल्ला खामेनेई एक विदेशी नेता हैं, और भारत में धार्मिक भावनाएं काफी संवेदनशील होती हैं, ऐसे में इस पोस्टर की उपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और आधिकारिक बयान
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंच गई। SHO समेत वरिष्ठ अधिकारी इमाम चौक इलाके में पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। प्रशासन की ओर से किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए पोस्टर को तत्काल प्रभाव से हटवा दिया गया।
पुलिस का कहना है कि यह मामला स्थानीय स्तर पर अज्ञानता या गलतफहमी का परिणाम हो सकता है, लेकिन किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक अशांति की संभावना को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की गई।
पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को बताया कि,
“हमने तुरंत कार्रवाई करते हुए पोस्टर को हटा दिया है और यह जांच शुरू कर दी है कि इसे किसने लगाया था और इसके पीछे की मंशा क्या थी।”
फिलहाल पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है और CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि जिम्मेदार व्यक्ति की पहचान हो सके।
उन्नाव पुलिस ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह सय्यद अली खामेनेई के पोस्टर को हटवाया। pic.twitter.com/AkPEcsRz7m
— UP POLICE NEWS (@UPPOLICE_NEWS5) June 28, 2025
स्थानीय प्रतिक्रिया: लोगों में चिंता, लेकिन शांति बनाए रखने की अपील
पोस्टर हटाए जाने के बाद भी इलाके में कुछ समय तक तनाव का माहौल बना रहा। स्थानीय लोग इस बात को लेकर असमंजस में थे कि आखिर उन्नाव जैसे शहर में खामेनेई का पोस्टर क्यों लगाया गया।
हालांकि, धार्मिक संगठनों और समुदाय के बुजुर्गों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। किसी भी तरह की अफवाह या हिंसा से बचने के लिए मस्जिदों और मंदिरों से भी शांति बनाए रखने का संदेश प्रसारित किया गया।
स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि यह इलाका सामान्यतः शांत रहता है और इससे पहले कभी ऐसी घटना नहीं हुई।
“हम यहां सभी धर्मों के लोगों के साथ मिलजुलकर रहते हैं। ऐसे किसी पोस्टर का यहां कोई मतलब नहीं बनता,” – एक दुकानदार ने कहा।
प्रशासन और राजनीतिक पक्षों की सतर्कता
घटना के बाद जिला प्रशासन तुरंत सक्रिय हुआ। जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने संयुक्त रूप से इलाके का निरीक्षण किया और लोगों से बातचीत की।
प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि यदि इस घटना के पीछे कोई आपराधिक या सांप्रदायिक उद्देश्य पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक दलों की ओर से भी संयमित प्रतिक्रिया देखने को मिली। किसी भी पार्टी ने मामले को राजनीतिक रंग देने से बचते हुए प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की सराहना की। यह स्थिति दिखाती है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में राजनीतिक परिपक्वता कितनी जरूरी है।
सोशल मीडिया पर चर्चा और अफवाहों की बाढ़
घटना के कुछ ही घंटों के भीतर सोशल मीडिया पर इस मामले की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो गए। ट्विटर और फेसबुक पर लोगों ने अपनी-अपनी राय रखनी शुरू कर दी।
कुछ लोगों ने इसे विदेशी हस्तक्षेप बताया तो कुछ ने इसे भारत की धार्मिक सहिष्णुता पर सवाल उठाने की कोशिश की।
हालांकि, पुलिस ने तुरंत सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों को लेकर चेतावनी जारी की और लोगों से अपील की कि वे किसी भी अपुष्ट खबर पर विश्वास न करें।
“सोशल मीडिया पर फैली कोई भी अफवाह अगर सांप्रदायिक माहौल खराब करती है तो उस पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी,” – पुलिस की ओर से स्पष्ट किया गया।
क्या पहले भी ऐसे पोस्टर विवाद हुए हैं?
यह पहली बार नहीं है जब भारत में विदेशी नेताओं के पोस्टर लगाने से विवाद उत्पन्न हुआ हो। इससे पहले भी कई बार ईरान, इराक या अन्य मुस्लिम देशों के धार्मिक नेताओं के पोस्टर देखने को मिले हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में वे विशेष धार्मिक अवसरों तक सीमित रहते हैं।
उन्नाव की घटना को विशेष इसलिए माना जा रहा है क्योंकि यह पोस्टर किसी धार्मिक आयोजन के बिना ही अचानक सार्वजनिक स्थान पर लगाया गया था।
ऐसे मामलों में प्रशासन की सतर्कता और लोगों की समझदारी ही माहौल को शांत बनाए रख सकती है।
क्या सीखा जा सकता है इस घटना से?
इस घटना ने यह सिखाया कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर किसी विवादास्पद या असामान्य सामग्री का प्रदर्शन तुरंत विवाद को जन्म दे सकता है।
पुलिस और प्रशासन ने जिस तरह से त्वरित कार्रवाई कर स्थिति को नियंत्रित किया, वह प्रशंसनीय है। साथ ही, स्थानीय लोगों की परिपक्वता भी दिखी जिन्होंने बिना किसी उकसावे के शांति बनाए रखी।
जैसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय फाइटर जेट्स के नुकसान की असल वजहों पर खुलासा हुआ था, वैसे ही इस घटना के पीछे के मकसद को समझना भी जरूरी है — ताकि भविष्य में कोई ऐसी स्थिति दोबारा न बने।