भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात रखने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है, जिसे नाम दिया गया है “ऑपरेशन सिंदूर”। यह अभियान पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की आवाज़ को वैश्विक स्तर पर मज़बूती से रखने की रणनीति है।
इस अभियान का उद्देश्य सिर्फ़ आतंकवाद को उजागर करना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि भारत को आतंकवाद से जोड़ा न जाए। बीते वर्षों में भारत ने आतंकवाद के अनेक घाव झेले हैं, लेकिन अब समय है दुनिया को सच्चाई से अवगत कराने का।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
‘सिंदूर’ भारतीय परंपरा में शांति, पवित्रता और शक्ति का प्रतीक है। इस नाम के जरिए भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र की छवि को विश्व मंच पर स्थापित करना चाहता है।
इस अभियान की शुरुआत विदेश मंत्रालय के नेतृत्व में की गई है, जहां भारत के बहु-पक्षीय राजनीतिक प्रतिनिधि—चाहे वो सत्ताधारी दल से हों या विपक्ष से—मिलकर काम कर रहे हैं।
ऑपरेशन सिंदूर का मूल उद्देश्य है:
- पाकिस्तान के झूठे नैरेटिव को तोड़ना
- भारत को आतंक से नहीं, शांति से जोड़ना
- वैश्विक मंचों पर एक सकारात्मक छवि बनाना
#OperationSindoor || Govt to send 7 multi-party delegations to key partner countries to present India’s stand against Pakistan-sponsored terrorism
List of the members carrying India’s shared message of zero tolerance against terrorism: pic.twitter.com/bdW668Po27
— All India Radio News (@airnewsalerts) May 17, 2025
🟢 बहु-पक्षीय प्रतिनिधिमंडल की रणनीति
ऑपरेशन सिंदूर की सबसे अहम बात यह है कि इसमें राजनीतिक एकजुटता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। इस वैश्विक आउटरीच में शामिल हैं:
- बीजेपी
- कांग्रेस
- CPI(M)
- अन्य प्रमुख दलों के सांसद
इन सभी सांसदों को विदेश मंत्रालय ने एक विशेष ब्रीफिंग दी है, जिसमें उन्हें पाकिस्तान के आतंकी समर्थन से जुड़े तथ्यों, दस्तावेजों और भारत की स्थिति से अवगत कराया गया।
राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने इस पर साफ़ कहा:
“यह ज़रूरी है कि भारत को पाकिस्तान के साथ जोड़ने की पुरानी अंतरराष्ट्रीय सोच बदले। हम आतंकवाद के खिलाफ हैं, न कि उसके समान।”
🟢 अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रियता
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत निम्नलिखित मंचों पर अपनी बात रखने जा रहा है:
- संयुक्त राष्ट्र (UN)
- यूरोपीय संघ (EU)
- आसियान (ASEAN)
- अफ्रीकी यूनियन
- G20 और अन्य वैश्विक फोरम्स
इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पाकिस्तान की आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों को वैश्विक स्तर पर उजागर किया जाए, और भारत की शांतिपूर्ण नीति को पहचान मिले।
🟢 भारत-पाकिस्तान तुलना पर आपत्ति: ‘Hyphenation’ की नीति पर चोट
भारत लम्बे समय से इस बात से परेशान रहा है कि कुछ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसे पाकिस्तान के साथ जोड़ा जाता रहा है, जैसे कि दोनों देशों के मुद्दे आपस में एक जैसे हैं।
जॉन ब्रिटास जैसे नेताओं ने साफ़ तौर पर कहा है:
“भारत को पाकिस्तान से जोड़ना बंद किया जाए। हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं, जो आतंकवाद से लड़ रहा है – न कि उसे बढ़ावा दे रहा है।”
इस प्रतिनिधिमंडल का मुख्य प्रयास यही है कि यह गलत समानता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समाप्त हो।
🟢 सिंधु जल संधि पर भारत का पक्ष
पाकिस्तान अक्सर सिंधु जल संधि का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाता रहा है और भारत पर उल्लंघन के आरोप लगाता है। ऑपरेशन सिंदूर में इस पर भी साफ़ स्थिति रखी गई है:
- भारत ने सिंधु जल संधि का हमेशा पालन किया है
- पाकिस्तान इस संधि का दुरुपयोग कर रहा है
- भारत किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं कर रहा
वास्तव में, सिंधु जल संधि को लेकर भारत में भी समय-समय पर राजनीतिक बहस होती रही है। हाल ही में शिवराज सिंह चौहान ने एक बयान में कहा कि “नेहरू ने पाकिस्तान को सिर्फ पानी नहीं, पैसा भी दिया था” — जिससे यह विवाद और गहरा गया। आप यह पूरा बयान और संदर्भ यहाँ पढ़ सकते हैं।
भारत का यह स्पष्ट स्टैंड है कि जल संधियों का राजनीतिक हथियार के रूप में दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
🟢 पिछले अनुभव और इस बार की रणनीति में फर्क
भारत ने इससे पहले भी पुलवामा, उरी और 26/11 जैसे हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जागरूक करने की कोशिशें की थीं, लेकिन वो प्रयास इतने समन्वित नहीं थे।
इस बार की रणनीति अलग है:
- केवल सरकार नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक वर्ग की भागीदारी
- सभी सांसदों को ठोस डेटा और दस्तावेज़ सौंपे गए
- डिप्लोमैटिक भाषा का प्रयोग कर गंभीरता से प्रस्तुति
यह पहल भारत के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बीच की खाई को पाटती है।
🟢 भारत की वैश्विक छवि: एक नई दिशा
ऑपरेशन सिंदूर भारत की छवि को पुनः परिभाषित करने का प्रयास है – एक ऐसा राष्ट्र जो:
- लोकतंत्र में विश्वास करता है
- आतंकवाद के खिलाफ सख्त है
- वैश्विक सहयोग और शांति का पक्षधर है
पिछले वर्षों में भारत ने अपने इंटेलिजेंस और डिप्लोमैटिक नेटवर्क को मज़बूत किया है। इस बार ऑपरेशन सिंदूर के जरिए उसी ताक़त को वैश्विक रूप में प्रकट किया जा रहा है।
🟢 क्या यह प्रयास सफल होगा?
भारत का यह प्रयास न सिर्फ़ समय की मांग है बल्कि वैश्विक कूटनीति में एक नई परिभाषा भी है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि हर राजनीतिक दल एक साथ आकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर एकजुट स्वर में बोल रहे हैं।
पाठकों से सवाल:
क्या आपको लगता है ऑपरेशन सिंदूर भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर मज़बूत करेगा?
क्या पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए नैरेटिव को इससे झटका लगेगा?