🌸 शुरुआत वहां से जहां कहानियाँ जन्म लेती हैं
हर साल 26 जनवरी को भारत की मिट्टी से निकले हुए कुछ ऐसे रत्नों को देश सलाम करता है, जो न तो सुर्ख़ियों में रहते हैं, न मंचों पर चमकते हैं — लेकिन उनकी मेहनत, सेवा और समर्पण किसी पर्व से कम नहीं होता। उन्हें ही मिलता है देश का गर्व, यानि पद्म पुरस्कार।
2025 में जब इन नामों की घोषणा हुई, तो कई आंखें नम हुईं, कई चेहरे मुस्कराए। कोई गांव का लोक कलाकार था, कोई वैज्ञानिक जिसने जीवन भर प्रयोगशालाओं में काम किया। इस साल कुल 139 लोगों को ये पुरस्कार मिले — जिनमें से कुछ शहरों में रहते हैं, तो कुछ ऐसे गांवों में जहां पक्की सड़कें भी नहीं हैं।
📣 इस बार की सबसे खास बात क्या रही?
हर साल की तरह इस बार भी तीन श्रेणियों में पुरस्कार दिए गए:
- पद्म विभूषण – 7 लोगों को
- पद्म भूषण – 19 को
- पद्म श्री – 113 को
अब अगर आप सोच रहे हैं कि इनमें कौन-कौन हैं — तो यकीन मानिए, ये सूची आपको भावुक कर देगी। इनमें कोई डॉक्टर हैं जिन्होंने आखिरी सांस तक गांव के मरीजों का इलाज किया, तो कोई लेखक हैं जो फुटपाथ पर बैठकर किताबें बेचते हैं। किसी ने शिक्षा के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, तो कोई दशकों से पर्यावरण को बचाने में जुटा है।
I’m Sure MOST must not have heard about Their Names of Padam Awardee. this is Possible only in MODIJI Govt. Earlier All Awards Were Sold with Price.👏🏼🇮🇳🚩🛕🪷💓
Bharatmata KI Jai Ho.👏🏼 pic.twitter.com/Zh99Ul9ZmF— jagdish sista (@JagdishSista1) May 2, 2025
सबसे अच्छी बात ये रही कि इस बार महिलाओं, आदिवासी समुदायों और उत्तर-पूर्वी राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोगों को चुना गया। यह दिखाता है कि भारत अब वाकई सबकी हिस्सेदारी में यकीन रखता है।
👑 पद्म विभूषण पाने वाले कुछ प्रेरक चेहरे
क्रम संख्या | पुरस्कार प्राप्तकर्ता का नाम | क्षेत्र | राज्य / देश |
1 | डुव्वुर नागेश्वर रेड्डी | चिकित्सा | तेलंगाना |
2 | न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री जगदीश सिंह खेहर | लोक प्रशासन | चंडीगढ़ |
3 | श्रीमती कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया | कला | गुजरात |
4 | लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम | कला | कर्नाटक |
5 | एम. टी. वासुदेवन नायर (मरणोपरांत) | साहित्य और शिक्षा | केरल |
6 | ओसामु सुजुकी (मरणोपरांत) | व्यापार और उद्योग | जापान |
7 | शारदा सिन्हा (मरणोपरांत) | कला (बिहार कोकिला) | बिहार |
इस साल के पद्म पुरस्कारों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान देने वालों को भी जगह दी गई है। जैसे खगोल विज्ञान में प्रो. जयंत नार्लीकर और अंतरिक्ष अनुसंधान में डॉ. ए.एस. किरण कुमार को पद्म विभूषण मिला। यह दर्शाता है कि भारत न केवल सामाजिक सेवा बल्कि cutting-edge टेक्नोलॉजी को भी उतना ही महत्व दे रहा है। दरअसल, भारत इन दिनों अपने रक्षा और वैज्ञानिक प्रोजेक्ट्स को भी तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है — हाल ही में देश ने 5वीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर प्रोजेक्ट को तेज़ करने के लिए इंडस्ट्री पार्टनरशिप मॉडल लॉन्च किया है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और बड़ा कदम है।
💫 पद्म भूषण: जीवन की दिशा बदलने वाले लोग
इन पुरस्कारों में कुछ नाम बहुत निजी से लगते हैं। जैसे रणदीप हुड्डा, जो फिल्मों में तो दिखते हैं लेकिन उनका अभिनय हमेशा कुछ कहता है — समाज से जुड़ने की, सोचने की, बदलाव लाने की। उन्हें पद्म भूषण मिलना इस बात का संकेत है कि कला को अब सिर्फ ग्लैमर से नहीं, सोच से भी आंका जा रहा है।
डॉ. नरेश त्रेहन जैसे नाम को देखकर मन गर्व से भर जाता है — उन्होंने हृदय रोगों के इलाज को आम लोगों तक पहुँचाया। उनके अस्पताल सिर्फ ईंट और सीमेंट नहीं, विश्वास से बने हैं।
नीलिमा सिंह – एक साधारण महिला जिन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ी। छोटे शहर से आकर उन्होंने हजारों लड़कियों को खड़ा किया।
- यह रही आपकी दी गई पद्म पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की दूसरी सूची हिंदी में सुंदर तरीके से तैयार की गई है:
क्रम संख्या |
पुरस्कार प्राप्तकर्ता का नाम | क्षेत्र | राज्य / देश |
---|---|---|---|
1 | ए. सूर्य प्रकाश | साहित्य और शिक्षा – पत्रकारिता | कर्नाटक |
2 | अनंत नाग | कला | कर्नाटक |
3 | विवेक देबब्रॉय (मरणोपरांत) | साहित्य और शिक्षा | एनसीटी दिल्ली |
4 | जतिन गोस्वामी | कला | असम |
5 | जोस चाको पेरियप्पुरम | चिकित्सा | केरल |
6 | कैलाश नाथ दीक्षित | अन्य – पुरातत्व | एनसीटी दिल्ली |
7 | मनोहर जोशी (मरणोपरांत) | लोक प्रशासन | महाराष्ट्र |
8 | नल्ली कुप्पुस्वामी चेट्टी | व्यापार और उद्योग | तमिलनाडु |
9 | नंदमूरी बालकृष्ण | कला (तेलुगु फिल्म अभिनेता) | आंध्र प्रदेश |
10 | पी. आर. श्रीजेश | खेल (हॉकी) | केरल |
11 | पंकज पटेल | व्यापार और उद्योग | गुजरात |
12 | पंकज उधास (मरणोपरांत) | कला (ग़ज़ल गायक) | महाराष्ट्र |
13 | रामबहादुर राय | साहित्य और शिक्षा – पत्रकारिता | उत्तर प्रदेश |
14 | साध्वी ऋतम्भरा | सामाजिक कार्य | उत्तर प्रदेश |
15 | एस. अजित कुमार | कला | तमिलनाडु |
16 | शेखर कपूर | कला (फिल्म निर्देशक) | महाराष्ट्र |
17 | शोभना चंद्रकुमार | कला | तमिलनाडु |
18 | सुशील कुमार मोदी (मरणोपरांत) | लोक प्रशासन | बिहार |
19 | विनोद धाम | विज्ञान और इंजीनियरिंग | अमेरिका (USA) |
इन नामों में शहरों की रफ्तार भी है, गांवों की सादगी भी, और एक संदेश — बदलाव किसी भी जगह से शुरू हो सकता है।
300 films. Malgudi Days. Ganeshana Maduve. Gowri Ganesha. 6 Filmfare awards. 5 State film awards. All from an actor who never dreamt of being an actor.
Today, he recieves Padma Bhushan for his decades of incredible work in the cinema industry. Anant Nag pic.twitter.com/hxzoYVoFwO
— Karthik Reddy (@bykarthikreddy) May 27, 2025
🌱 पद्म श्री: जड़ों से जुड़े, देश की आत्मा वाले लोग
आपने कभी सोचा है कि कोई लेखक फुटपाथ पर बैठकर किताबें बेचे, और उसके शब्द पाठकों के दिलों को छू जाएं? लक्ष्मण राव, दिल्ली के रहने वाले, वही शख्स हैं — जिनके लिए साहित्य ही जीवन है। उन्हें पद्म श्री मिला, और वो केवल उनका नहीं, हर छोटे लेखक का सम्मान है।
धनपाल सिंगाराम तमिलनाडु में रहते हैं और सालों से ऐसे वाद्ययंत्र बना रहे हैं जो अब लुप्त हो चुके हैं। संगीत के पारंपरिक स्वरूप को बचाने के लिए उनका यह योगदान अतुलनीय है।
शांता देवी, एक बुज़ुर्ग महिला हैं जिन्होंने ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता और शिक्षा के लिए खुद साइकिल चलाकर जागरूकता फैलाई।
भीमा नायक, एक आदिवासी कार्यकर्ता हैं जिन्होंने वर्षों से अपने समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठाई है।
फरहत खान, बिहार की शिक्षिका, जिन्होंने मदरसों और आधुनिक शिक्षा के बीच की खाई को पाटने का काम किया।
इन सभी लोगों ने अपने कार्यों से यह साबित किया कि बदलाव किसी मंत्री या महानगर से नहीं, एक शिक्षक, एक लेखक, एक किसान से भी शुरू हो सकता है।
📊 कुछ बातें जो सोचने पर मजबूर करती हैं
इस बार के पुरस्कारों में एक बहुत खास बात रही — समावेशिता।
- उत्तर-पूर्व से 15+ नाम
- आदिवासी और जनजातीय समुदाय से 40+ विजेता
- 30 से अधिक महिलाएं
इन आँकड़ों के पीछे कोई राजनीति नहीं, बल्कि एक सोच है — कि देश के हर कोने से कोई न कोई ऐसा काम हो रहा है जो सम्मान का हक़दार है।
भारत अब सचमुच बदल रहा है — और ये पुरस्कार उस बदलाव का आईना हैं।
🧐 चयन प्रक्रिया की झलक
अब आप सोच रहे होंगे कि इतने सारे लोगों को चुना कैसे जाता है?
तो जवाब है — नामांकन की प्रक्रिया अब ऑनलाइन और खुली है।
- कोई भी व्यक्ति, संस्था या आम नागरिक किसी को नामित कर सकता है।
- एक उच्चस्तरीय समिति नामों की जांच करती है।
- अंतिम सूची राष्ट्रपति की मंजूरी से घोषित होती है।
यानि अब ये सम्मान सिर्फ रसूख वालों का नहीं, हर उस व्यक्ति का है जो ईमानदारी से समाज के लिए कुछ करता है।
💬 अंत में बस यही कहूंगा…
पद्म पुरस्कार सिर्फ मेडल नहीं होते — ये कहानियाँ होते हैं। यह बताने का तरीका होते हैं कि इस देश की आत्मा अब भी जीवित है।
इन लोगों की कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते दिल भर आता है। क्या आप भी किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जो बिना किसी पहचान के समाज को रोशन कर रहा है?
👉 तो कमेंट में जरूर बताइए — आपको इस साल का सबसे प्रेरक विजेता कौन लगा?