हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे बॉलीवुड और कानूनी जगत का ध्यान खींचा है। दिग्गज अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिनेता अभिषेक बच्चन ने अदालत में याचिका दायर करते हुए अपने व्यक्तित्व अधिकारों (Personality Rights) की सुरक्षा की मांग की है।
ऐश्वर्या राय ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी तस्वीरों और नाम का इस्तेमाल बिना अनुमति के किया जा रहा है। कुछ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर उनके नाम और चेहरे का उपयोग कर अश्लील और भ्रामक कंटेंट फैलाया जा रहा है। वहीं अभिषेक बच्चन ने दावा किया कि उनकी पहचान का इस्तेमाल ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर प्रोडक्ट्स बेचने और नकली कंटेंट बनाने में किया जा रहा है।
यह मामला सिर्फ़ इन दोनों सितारों की निजी प्रतिष्ठा से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह पूरे फिल्म उद्योग और आम नागरिकों के लिए भी अहम है। डिजिटल युग में पहचान का दुरुपयोग एक गंभीर चुनौती बन चुका है।
पर्सनैलिटी राइट्स क्या होते हैं?
पर्सनैलिटी राइट्स का मतलब है कि किसी व्यक्ति की पहचान, नाम, तस्वीर, आवाज़ या किसी भी प्रकार की विशिष्ट विशेषता का इस्तेमाल उसकी अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता।
ये अधिकार दो हिस्सों में बंटे माने जाते हैं:
- राइट टू पब्लिसिटी – किसी व्यक्ति के नाम या छवि का वाणिज्यिक उपयोग केवल उसकी मंजूरी से हो।
- राइट टू प्राइवेसी – निजी जीवन में दखलअंदाजी न हो और पहचान का गलत इस्तेमाल रोका जाए।
भारत में पर्सनैलिटी राइट्स के लिए कोई अलग से कानून मौजूद नहीं है। लेकिन अदालतों ने समय-समय पर इन्हें मान्यता दी है। संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) और निजता के अधिकार की व्याख्या के तहत इनकी सुरक्षा होती है।
फिल्म जगत के कई सितारे पहले भी इस दिशा में कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा चुके हैं। अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ जैसे नामी कलाकारों ने भी अपनी छवि और पहचान की रक्षा के लिए न्यायालय का सहारा लिया है।
Bollywood actress #AishwaryaRaiBachchan moved the Delhi HC to restrain various entities from using her image, likeness and persona, thereby infringing her ‘personality rights’.
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— Live Law (@LiveLawIndia) September 9, 2025
दिल्ली HC में ऐश्वर्या और अभिषेक का केस
ऐश्वर्या राय बच्चन ने अदालत से अपील की कि उनकी तस्वीरें और नाम का इस्तेमाल फर्जी विज्ञापनों, AI जनरेटेड कंटेंट और भ्रामक वेबसाइटों पर तुरंत रोका जाए। उन्होंने तर्क दिया कि यह न सिर्फ उनकी छवि को नुकसान पहुँचाता है बल्कि आम जनता को भी भ्रमित करता है।
इसके तुरंत बाद अभिषेक बच्चन ने भी याचिका दाखिल की। उनका कहना था कि ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर कुछ कंपनियाँ उनकी पहचान का इस्तेमाल टी-शर्ट, मग और अन्य प्रोडक्ट बेचने में कर रही हैं। इसके अलावा, AI तकनीक से बनाए गए नकली वीडियो और फोटो उनके नाम से फैलाए जा रहे हैं।
दोनों ने अदालत से आग्रह किया कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को आदेश दिया जाए कि ऐसे कंटेंट को तुरंत हटाया जाए और आगे इसके प्रसार पर रोक लगाई जाए।
न्यायालय ने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान कहा कि यदि याचिकाकर्ता संदिग्ध URL की सूची उपलब्ध कराएँ तो उन पर तत्काल कार्रवाई की जा सकती है। अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी गई है, जिससे उम्मीद है कि इस मामले में ठोस कदम उठेंगे।
सेलेब्रिटीज़ और पर्सनैलिटी राइट्स: क्यों ज़रूरी?
बॉलीवुड और मनोरंजन जगत के कलाकार न केवल फिल्मी पर्दे पर बल्कि विज्ञापनों और ब्रांड प्रमोशन में भी पहचाने जाते हैं। उनकी छवि करोड़ों रुपये के सौदों से जुड़ी होती है। ऐसे में यदि उनकी पहचान का गलत इस्तेमाल होता है तो यह न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर बल्कि उनके व्यवसायिक हितों पर भी चोट करता है।
सोचिए, अगर किसी बड़े ब्रांड की नकली विज्ञापन सामग्री में किसी स्टार का चेहरा बिना अनुमति के लगाया जाए, तो ग्राहक गुमराह होंगे और उस कलाकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठेंगे।
इसीलिए पर्सनैलिटी राइट्स का मुद्दा सिर्फ एक कानूनी बहस नहीं बल्कि आर्थिक और नैतिक दोनों स्तर पर महत्वपूर्ण है।
साइबर क्राइम और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर खतरा
आज इंटरनेट और सोशल मीडिया ने सूचनाओं को पलक झपकते ही वायरल करने की ताकत दी है। इसी ताकत का दुरुपयोग सबसे ज्यादा सेलेब्रिटीज़ को झेलना पड़ रहा है।
AI और Deepfake तकनीक का इस्तेमाल कर नकली वीडियो बनाए जा रहे हैं, जिनमें सितारों के चेहरे या आवाज़ को जोड़कर भ्रामक कंटेंट बनाया जाता है। कई बार ये वीडियो अश्लील भी होते हैं, जो उनकी छवि को गहरी चोट पहुँचाते हैं।
इसी तरह कई वेबसाइट्स ऐसे प्रोडक्ट बेचती हैं जिन पर किसी सेलिब्रिटी की तस्वीर होती है। लेकिन उन कलाकारों से इसकी कभी अनुमति नहीं ली जाती। यह सीधा-सीधा पहचान की चोरी और व्यापारिक धोखाधड़ी का मामला है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में पर्सनैलिटी राइट्स की बहस अब निर्णायक मोड़ पर है। अदालतें इन मामलों में सक्रिय हस्तक्षेप कर रही हैं, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट और स्वतंत्र कानून मौजूद नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस मामले से यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में संसद या न्यायपालिका इस पर एक ठोस कानूनी ढाँचा तैयार करे। यदि ऐसा होता है तो यह न केवल फिल्म जगत के लिए बल्कि खेल, राजनीति और अन्य सार्वजनिक हस्तियों के लिए भी लाभकारी साबित होगा।
जनता और फैंस पर असर
यह मामला केवल सितारों तक सीमित नहीं है। फैंस और आम जनता भी इससे प्रभावित होती है। जब कोई गलत कंटेंट या नकली विज्ञापन सामने आता है तो लोग असली और नकली के बीच अंतर नहीं कर पाते।
यदि कोर्ट सख्त आदेश जारी करता है तो इससे उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा। उन्हें भरोसा होगा कि जो कंटेंट वे देख रहे हैं वह वास्तविक है और उसमें उनके चहेते कलाकार की सहमति है।
इसी संदर्भ में आपकी वेबसाइट पर पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें अभिनेत्री काजल अग्रवाल ने सड़क हादसे की अफवाहों पर सफाई दी थी। उस रिपोर्ट को यहाँ पढ़ सकते हैं – काजल अग्रवाल ने सड़क हादसे की अफवाहों पर तोड़ी चुप्पी। यह उदाहरण बताता है कि झूठी खबरें और अफवाहें किस तरह लोगों को गुमराह कर सकती हैं।
आगे का रास्ता
ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन की याचिका सिर्फ़ उनकी निजी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक मिसाल है। यह मामला इस बात को रेखांकित करता है कि डिजिटल युग में व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा अनिवार्य है।
अगर कोर्ट इस दिशा में कड़ा आदेश देता है तो यह न केवल भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने का मार्ग प्रशस्त करेगा बल्कि भारत में डिजिटल स्पेस को और सुरक्षित भी बनाएगा।