नशे के जाल में फंसे पंजाब को अब शिक्षा के ज़रिए एक नई दिशा देने की तैयारी की जा रही है। 1 अगस्त 2025 से पंजाब के सरकारी स्कूलों में भारत का पहला एविडेंस-बेस्ड एंटी-ड्रग करिकुलम लागू किया जाएगा। यह पहल न केवल राज्य के युवाओं को नशे से दूर रखने का प्रयास है, बल्कि देशभर में एक मॉडल स्थापित कर सकती है।
क्यों ज़रूरी है स्कूलों में ड्रग्स के खिलाफ पढ़ाई
पंजाब लंबे समय से नशे की समस्या से जूझ रहा है। राज्य में बड़ी संख्या में युवा नशे की गिरफ्त में हैं, जिससे समाज, परिवार और भविष्य — सभी प्रभावित हो रहे हैं। सरकारी रिपोर्टों और स्वास्थ्य विभाग के सर्वे बताते हैं कि:
- लगभग 16–18% युवा किसी न किसी नशे के संपर्क में हैं।
- हर तीसरे गांव में नशे से जुड़ा कोई मामला सामने आता है।
- स्कूल और कॉलेज स्टूडेंट्स सबसे संवेदनशील वर्ग हैं।
इन आंकड़ों को देखते हुए यह करिकुलम एक समयोचित और क्रांतिकारी कदम है।
घोषणा: 1 अगस्त से करिकुलम लॉन्च – क्या होगा खास
यह करिकुलम 1 अगस्त 2025 से कक्षा 6 से लेकर कक्षा 12 तक के छात्रों के लिए लागू किया जाएगा। इसे विशेष रूप से बच्चों की उम्र, मानसिकता और व्यवहारिक ज़रूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
इस पाठ्यक्रम में निम्नलिखित बातें सिखाई जाएंगी:
- नशे के प्रकार और उनके शरीर पर प्रभाव
- मानसिक स्वास्थ्य और नशा
- सामाजिक दबाव से कैसे निपटें
- नशे से कैसे इनकार करें (Refusal Skills)
- परिवार और समुदाय की भूमिका
इस पाठ्यक्रम को पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड, AIIMS, और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से विकसित किया गया है।
From FOMO to ROMO — 8 lakh students, one mission: A drug-free Punjab.
Punjab becomes the first state in India to launch a well-researched, tested anti-drug curriculum across all schools.
Not just awareness — but empowerment through education.
This is #YudhNasheVirudh in… pic.twitter.com/HtMkESnnpv
— Harjot Singh Bains (@harjotbains) July 29, 2025
पहल करने वाले: भगवंत मान और केजरीवाल की भूमिका
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस पहल के लॉन्च इवेंट में शामिल होंगे। भगवंत मान पहले ही “हर नागरिक बने नशा मुक्त पंजाब मिशन का हिस्सा” अभियान की शुरुआत कर चुके हैं।
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हर नागरिक बनेगा नशा मुक्त पंजाब मिशन का हिस्सा – भगवंत मान
इस करिकुलम को मुख्यमंत्री की जन स्वास्थ्य प्राथमिकता और शिक्षा में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
करिकुलम की संरचना: वैज्ञानिक दृष्टिकोण और व्यवहारिक सिखावन
यह करिकुलम “एविडेंस-बेस्ड” है — अर्थात इसे वैज्ञानिक अध्ययनों और व्यवहारिक शोधों के आधार पर डिजाइन किया गया है।
- इसमें प्रभावशाली कहानियों, इंटरएक्टिव एक्टिविटीज़, और वास्तविक केस स्टडीज़ का प्रयोग किया जाएगा।
- छात्रों को यह भी सिखाया जाएगा कि नशे की आदत कैसे बनती है और इससे कैसे उबरा जा सकता है।
- व्यवहारिक सीख जैसे — “न” कहना, दबाव का सामना करना, और विकल्प चुनना — केंद्र में होंगे।
छात्रों और शिक्षकों की भूमिका: कैसे स्कूल बनेगा परिवर्तन का केंद्र
इस करिकुलम को सफल बनाने में शिक्षकों की भूमिका बेहद अहम होगी। सभी संबंधित शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें:
- नशा-विरोधी शिक्षा की तकनीक
- छात्रों के मानसिक व्यवहार को समझना
- संवाद-केंद्रित शिक्षण
- अभिभावकों से समन्वय
छात्रों को ग्रुप एक्टिविटीज़, क्विज़, पोस्टर मेकिंग और रियल-लाइफ रोल प्ले के ज़रिए इसमें शामिल किया जाएगा।
विशेषज्ञों की राय: शिक्षा और स्वास्थ्य विशेषज्ञ क्या कहते हैं
AIIMS, PGI चंडीगढ़ और कई मनोवैज्ञानिक संस्थानों ने इस करिकुलम को “आवश्यक और असरदार” बताया है।
“नशा रोकथाम के लिए यह पहल भारत के शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम है।”
— डॉ. रितु अग्रवाल, शिक्षा मनोवैज्ञानिक
“सिर्फ कानून से नहीं, समाज और स्कूल मिलकर ही इस समस्या से निपट सकते हैं।”
— डॉ. अभय जैन, AIIMS नशा मुक्ति विशेषज्ञ
भविष्य की दिशा: क्या अन्य राज्य भी अपनाएंगे ये मॉडल?
पंजाब की यह पहल बाकी राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सकती है। हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली पहले ही इस मॉडल में रुचि दिखा चुके हैं।
केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने भी इस मॉडल की सराहना की है और कहा है कि यदि यह प्रभावी साबित होता है, तो इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा सकता है।
इस पाठ्यक्रम की घोषणा CM भगवंत मान द्वारा शुरू किए गए नशा मुक्त पंजाब मिशन का ही हिस्सा है, जो समाज के हर वर्ग को जोड़ने की रणनीति पर आधारित है।
निष्कर्ष
पंजाब में नशे की समस्या वर्षों से जड़ें जमाए हुए है। लेकिन यह करिकुलम दिखाता है कि सरकार अब समस्या के मूल में जाकर समाधान करना चाहती है। शिक्षा के ज़रिए जागरूकता, व्यवहारिक बदलाव और बच्चों को सक्षम बनाना ही सबसे स्थायी हल है।
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