बॉलीवुड के दिग्गज एक्शन डायरेक्टर शम कौशल की जिंदगी में ऐसा दौर आया जब उन्होंने हार मानने की सोच ली थी। एक समय था जब उनका शरीर कैंसर की चपेट में था, और मन आत्मसमर्पण की ओर झुक रहा था। लेकिन यही वो पल भी था जब उन्होंने ज़िंदगी से लड़ने की ठानी।
तीसरी मंज़िल से कूदने का विचार और दर्दनाक हकीकत
साल 2003। अस्पताल की तीसरी मंज़िल पर इलाज के दौरान जब डॉक्टरों ने बताया कि बचने की कोई संभावना नहीं है, तो उन्होंने खुदकुशी करने का विचार किया। शरीर पूरी तरह जकड़ा हुआ था, सर्जरी के बाद उठना तक मुमकिन नहीं था। लेकिन दर्द के उस अंधेरे में भी उम्मीद की एक हल्की किरण बाकी थी।
जब परिवार बना ताकत की सबसे बड़ी वजह
उस समय शम कौशल के बेटे विक्की कौशल इंडस्ट्री में स्ट्रगल कर रहे थे। पत्नी हर वक्त उनके पास थीं। शम कौशल ने खुद स्वीकारा कि यदि परिवार का साथ न होता, तो शायद वो ये लड़ाई हार जाते। इसी सपोर्ट ने उन्हें अंदर से तोड़ने नहीं दिया।
विक्की कौंशल के पिता और बॉलीवुड के जाने-माने एक्शन डायरेक्टर शम कौंशल ने 2003 में कैंसर से जूझते हुए अस्पताल की तीसरी मंज़िल से कूदने तक का विचार किया था।https://t.co/IwTfc36y1K#ShamKaushal #CancerSurvivor #Inspiration #Bollywood #LifeAfterCancer #SuicidePrevention pic.twitter.com/EAQeRI0dky
— Zeehulchul (@Zeehulchulnews) July 21, 2025
सर्जरी के बाद का संघर्ष: जब दर्द से बढ़ी हिम्मत
ऑपरेशन के बाद शम कौशल को चलने में भी दिक्कत थी। शरीर में इतना दर्द था कि वे हिल भी नहीं सकते थे। पर उन्होंने खुद से वादा किया—”मुझे मरना नहीं है, मुझे वापस जाना है।” यही सोच थी जिसने उन्हें हर रोज़ थोड़ा और मजबूत बनाया।
बॉलीवुड में दोबारा वापसी और नई पहचान
कुछ महीनों में शम कौशल ने फिर से काम शुरू किया। आज वो न केवल कैंसर सर्वाइवर हैं बल्कि इंडस्ट्री में अपनी जगह और भी मजबूत कर चुके हैं। उनकी कहानी अब दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई है।
आज के दौर में ज़रूरी है बात करना
शम कौशल की कहानी बताती है कि शारीरिक बीमारियों से ज्यादा खतरनाक मानसिक अकेलापन हो सकता है। अगर समय पर बातचीत की जाए, तो बहुत सी जानें बचाई जा सकती हैं। हाल ही में टीवी अभिनेत्री दीपिका कक्कड़ ने भी अपनी कैंसर सर्जरी के बाद भावुक होकर बताया कि अब वह बेहतर महसूस कर रही हैं। उनकी पूरी कहानी आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
ये घटनाएं बताती हैं कि चाहे सेलिब्रिटी हों या आम इंसान—बीमारी और संघर्ष किसी को नहीं छोड़ते, लेकिन हिम्मत, समय पर इलाज और परिवार का साथ हर दर्द को मात दे सकता है।
सोशल मीडिया पर भावुक प्रतिक्रियाएं
उनके इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें ‘Real Fighter’ कहना शुरू कर दिया। खासकर फादर्स डे जैसे मौकों पर उनकी ये कहानी तेजी से वायरल हुई। बहुत से लोगों ने इसे अपनी निजी लड़ाई से जोड़ा और इंस्पिरेशन के रूप में देखा।
हार के बाद जीत की मिसाल
शम कौशल की कहानी हमें यह सिखाती है कि मुश्किलें चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हों, इंसान की इच्छाशक्ति उनसे कहीं ज्यादा मजबूत हो सकती है। ज़िंदगी तब तक खत्म नहीं होती जब तक आप उसे खत्म न मान लें।
🟡 निष्कर्ष
शम कौशल ने ज़िंदगी को हारने नहीं दिया। उन्होंने खुद को उस अंधेरे से बाहर निकाला जहाँ से लौटना आसान नहीं होता। उनकी कहानी आज की पीढ़ी के लिए एक सबक है—कि कभी भी उम्मीद मत छोड़ो।