शारदीय नवरात्रि 2025 हिन्दू पंचांग का वह अद्भुत पर्व है जो आस्था, शक्ति और भक्ति का संगम माना जाता है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का प्रतीक है और पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार नवरात्रि विशेष है क्योंकि यह 10 दिनों तक चलेगी, यानी भक्तों को देवी की साधना का अतिरिक्त अवसर मिलेगा।
शारदीय नवरात्रि 2025 की तिथियां व शुभ मुहूर्त
- आरंभ तिथि: 21 सितम्बर 2025 (रविवार)
- घटस्थापना/कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:15 से 8:30 बजे तक
- अष्टमी तिथि: 28 सितम्बर 2025 (रविवार)
- महानवमी: 29 सितम्बर 2025 (सोमवार)
- विजयादशमी (दशहरा): 30 सितम्बर 2025 (मंगलवार)
इस बार पंचांग गणना के अनुसार एक तिथि बढ़ने से नवरात्रि 10 दिन की होगी, जो अत्यंत शुभ मानी जाती है।
नौ देवियों के रूप और प्रतिदिन का महत्व
शारदीय नवरात्रि में प्रतिदिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है:
- शैलपुत्री – पर्वत पुत्री, शक्ति और दृढ़ता का प्रतीक।
- ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम की देवी।
- चंद्रघंटा – साहस और विजय का स्वरूप।
- कूष्मांडा – सृष्टि की आदिशक्ति।
- स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा की प्रतीक।
- कात्यायनी – न्याय और शक्ति का प्रतिनिधित्व।
- कालरात्रि – भय नाशक और रक्षक।
- महागौरी – शांति और ज्ञान की देवी।
- सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों की दात्री।
प्रत्येक दिन का विशेष रंग भी तय है, जिसे पहनना शुभ माना जाता है। उदाहरण के तौर पर पहले दिन पीला, दूसरे दिन हरा, और नौवें दिन बैंगनी रंग पहनने की परंपरा है।
Shardiya Navratri 2025 Schedule pic.twitter.com/XSy1Otx5hg
— Beauty Of India🇮🇳 (@BeautyofIndia9) September 5, 2025
पूजा विधि और व्रत नियम
- सुबह स्नान के बाद कलश स्थापना करें और मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- नवरात्रि व्रत रखने वाले पूरे दिन फलाहार या केवल एक समय भोजन ग्रहण करते हैं।
- पूजा में दुर्गा सप्तशती या देवी माहात्म्य का पाठ करने का विशेष महत्व है।
- कन्या पूजन आठवें या नौवें दिन किया जाता है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनका सम्मान किया जाता है।
“नवरात्रि के व्रत के साथ ही, सर्व पितृ अमावस्या का महत्व भी बहुत है, क्योंकि उस दिन पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व तर्पण की विशेष विधियाँ अपनायी जाती हैं; इस विषय पर पूरा विवरण हमारे लेख ‘सर्व पितृ अमावस्या 2025: तिथि, महत्व और श्राद्ध विधि’ में उपलब्ध है।”
देशभर के प्रमुख आयोजन
- पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा पंडाल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं।
- गुजरात का गरबा और डांडिया नवरात्रि की शान है।
- उत्तर भारत में जागरण और रामलीला की परंपरा सदियों से चल रही है।
- महाराष्ट्र में मंदिरों और घरों में सुंदर गोलू सजावट की जाती है।
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आधुनिक परिप्रेक्ष्य: पर्यावरण और सामाजिक पहल
आज के दौर में इको-फ्रेंडली मूर्तियों का चलन बढ़ रहा है। मिट्टी से बनी मूर्तियां और प्राकृतिक रंगों का उपयोग नदी-झीलों को प्रदूषण से बचाता है। कई शहरों में सामूहिक आयोजन के साथ महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम भी नवरात्रि का अहम हिस्सा बन रहे हैं।
यात्रा और पर्यटन
नवरात्रि के दौरान देशभर के शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं का मेला लगता है। वैष्णो देवी (जम्मू), कामाख्या (असम), ज्वाला जी (हिमाचल) जैसे मंदिरों में विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं। यात्रा करने वालों को सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए अपनी योजना बनानी चाहिए।
आस्था से जुड़ी सावधानियां
- बड़ी भीड़ में स्वास्थ्य व स्वच्छता का ध्यान रखें।
- पूजा स्थलों पर प्लास्टिक का उपयोग कम करें।
- सभी धर्मों और समुदायों के प्रति सौहार्द और सम्मान बनाए रखें।
निष्कर्ष
शारदीय नवरात्रि 2025 न केवल भक्ति और आध्यात्मिकता का पर्व है, बल्कि समाज में एकता और सद्भाव का संदेश भी देता है। इस पावन अवसर पर आप अपने अनुभव और तैयारियां टिप्पणी में साझा करें, ताकि यह आस्था का पर्व और भी प्रेरक बने।