देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बड़ा मामला सामने आया है। एक गुप्त निगरानी अभियान के दौरान दो ऐसे व्यक्तियों की पहचान की गई, जो संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाए गए।
इनकी हरकतें सामान्य नागरिकों जैसी प्रतीत हो रही थीं, लेकिन डिजिटल गतिविधियों और कॉल व्यवहार ने इनका सच उजागर किया। सुरक्षा एजेंसियों को जैसे ही पुख्ता सुराग मिले, इनपर गहरी निगरानी शुरू की गई।
गुप्त अभियान की शुरुआत और रणनीति
तीन महीने पहले शुरू हुए एक गुप्त अभियान में देश की खुफिया एजेंसियों और दिल्ली पुलिस ने मिलकर काम किया।
इस दौरान प्रयोग में लाई गई प्रमुख रणनीतियाँ:
- लोकेशन ट्रैकिंग और कॉल मॉनिटरिंग
- सोशल मीडिया एक्टिविटी की निगरानी
- ग्राउंड लेवल फील्ड वर्क
ऑपरेशन को इस तरह से अंजाम दिया गया कि संदिग्धों को ज़रा भी भनक नहीं लगी, और जैसे ही सभी प्रमाण इकट्ठा हुए, एक तेज कार्रवाई के तहत दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
NIA arrested ISIS handlers and 6 others including Siraj and Sameer, who continuously met for 3 days to assemble bombs.
Huge quantity of explosive materials seized from Siraj. Further investigation including Chat messages, phone calls etc are going on to arrest others involved in… pic.twitter.com/gpKiTnJz8w
— KV Iyyer – BHARAT 🇮🇳🇮🇱 (@BanCheneProduct) May 20, 2025
संदिग्धों की पहचान और रहन-सहन
गिरफ्तार किए गए दोनों व्यक्ति 30 से 35 वर्ष की आयु के हैं।
इनकी पहचान अभी गोपनीय रखी गई है लेकिन सामने आया है कि:
- एक व्यक्ति स्थानीय बाजार में दुकानदार के रूप में कार्यरत था
- दूसरा व्यक्ति फील्ड वर्क के नाम पर जगह बदलता रहता था
इनके फोन में स्पेशल एनक्रिप्टेड एप्स पाए गए जो आसानी से डिलीट हो जाते थे।
रात के समय संदिग्ध ऐप्स के जरिए सीमापार संपर्क की पुष्टि हुई है।
इनकी यात्रा गतिविधियों और बार-बार सिम बदलने से भी एजेंसियों को शक हुआ।
🚨Zakaria, Mofijul, Saddik, Aqeek, Arshad, Arif, Sajid arrested for espionage @assampolice busted gang supplying India SIM cards to Pakistanis
948 SIM cards recovered pic.twitter.com/zIy8SAjy7g
— Kreately.in (@KreatelyMedia) May 20, 2025
जासूसी नेटवर्क का खुलासा
जांच के दौरान पाया गया कि ये लोग:
- सैन्य ठिकानों और सरकारी इमारतों की जानकारी जुटा रहे थे
- तस्वीरें और दस्तावेज़ सीमापार भेजे जा रहे थे
- एन्क्रिप्टेड चैनल्स और सुरक्षित मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल हो रहा था
दिलचस्प रूप से, यह घटना हाल ही में सामने आई ज्योति मल्होत्रा की पाकिस्तान यात्रा की रिपोर्ट से भी मेल खाती है, जिसमें भारत-पाकिस्तान संबंधों पर नई चर्चाएं छिड़ी थीं। दोनों घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि सीमापार एजेंडा लगातार सक्रिय है।
संभावित आतंकी साजिश और उसका दायरा
पूछताछ में सामने आया कि इनका मकसद महत्वपूर्ण राष्ट्रीय आयोजनों और राजनयिक दौरों के दौरान हमला करने की योजना थी।
इनकी गतिविधियाँ बताती हैं कि:
- दिल्ली में खास जगहों को टारगेट करने की तैयारी थी
- इन्हें सीमापार से आर्थिक सहायता दी जा रही थी
- गंभीर आतंकी वारदातों को अंजाम देने की योजना थी
यदि समय रहते यह कार्रवाई न होती, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था।
एजेंसियों की तत्परता और तकनीकी निगरानी
इस ऑपरेशन में टेक्नोलॉजी की भूमिका अहम रही:
- फेशियल रिकग्निशन कैमरा डेटा
- मोबाइल पैटर्न ट्रैकिंग और डिवाइस मिररिंग
- साइबर इंटेलिजेंस मॉड्यूल का प्रयोग
राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सुरक्षा एजेंसियों ने मिलकर यह सफलता पाई।
इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की खुफिया तंत्र अब आधुनिक तकनीकों से लैस है।
दिल्ली की सुरक्षा को लेकर नया दृष्टिकोण
यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि:
- राजधानी जैसे क्षेत्रों में भी खतरा संभव है
- जनता की जागरूकता अब जरूरी हो चुकी है
- छोटी-सी संदिग्ध गतिविधि को नज़रअंदाज न करें
सरकार ने सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त निर्देश जारी किए हैं, और CCTV नेटवर्क, साइबर मॉनिटरिंग और गश्त को मजबूत किया जा रहा है।
यह ऑपरेशन क्यों था महत्वपूर्ण
यह ऑपरेशन सिर्फ दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश को समय रहते नाकाम करने का प्रमाण है।
यह घटना बताती है कि:
- देशविरोधी ताकतें कितनी योजनाबद्ध तरीके से काम करती हैं
- हमारी सुरक्षा एजेंसियां कितनी सजग और तकनीकी रूप से सक्षम हैं
आम नागरिकों की भागीदारी, सतर्कता और सूचनाओं को साझा करने की जिम्मेदारी अब पहले से ज्यादा अहम हो गई है।
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