मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में बीते दिनों अचानक बच्चों की तबीयत बिगड़ने और मौत की खबरों ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। जांच में पाया गया कि जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें से कई को एक ही कंपनी की खांसी की सिरप दी गई थी।
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने सिरप के सैंपल जब्त किए और लैब जांच के लिए भेजे। प्रारंभिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि सिरप में खतरनाक स्तर का डायथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) पाया गया, जो शरीर के लिए बेहद जहरीला होता है।
जांच के बाद खुलासा: दवा की आपूर्ति Sresan Pharma से हुई थी
मध्य प्रदेश सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जांच कमेटी बनाई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि Coldrif नाम की खांसी की सिरप की सप्लाई Sresan Pharma नामक कंपनी द्वारा की गई थी।
कंपनी का मुख्यालय चेन्नई में है, और वहीं से यह सिरप मध्य प्रदेश के वितरकों को भेजा गया था। इस खुलासे के बाद राज्य और केंद्र दोनों स्तर पर स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हो गया।
चेन्नई में कार्रवाई: कंपनी के मालिक की गिरफ्तारी
जांच में ठोस सबूत मिलने के बाद चेन्नई पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने बुधवार को छापा मारा।
इस कार्रवाई के दौरान Sresan Pharma के मालिक को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के अनुसार, कंपनी ने दवा बनाने में प्रयोग किए गए रसायनों की गुणवत्ता की जांच नहीं करवाई थी, जिससे यह त्रासदी हुई।
अधिकारियों ने बताया कि कंपनी ने GMP (Good Manufacturing Practices) के कई मानकों का उल्लंघन किया था। इसके अलावा, फैक्ट्री में लाइसेंस से अधिक उत्पादन और रिकॉर्ड में हेराफेरी के सबूत भी मिले हैं।
#WATCH | Tamil Nadu: Visuals outside Sresan Pharma in Kancheepuram district. Madhya Pradesh’s Chhindwara Police have arrested Sresan Pharma owner S Ranganathan in connection with children’s death linked to cough syrup. He will be produced before Chennai court and brought to… pic.twitter.com/9CjZvaVlIa
— ANI (@ANI) October 9, 2025
बच्चों की मौतों की संख्या बढ़कर 22 हुई
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के ताजा अपडेट के अनुसार, अब तक 22 बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
इनमें से अधिकांश बच्चे तीन से सात साल की उम्र के थे।
डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों में सिरप पीने के बाद किडनी फेलियर, उल्टियां और बेहोशी जैसी गंभीर लक्षण दिखे।
कई बच्चों को तुरंत अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन कुछ की हालत इतनी नाजुक थी कि उन्हें बचाया नहीं जा सका।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी हरकत में
मामला बढ़ने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस घटना पर संज्ञान लिया और DGCI (Drug Controller General of India) को जांच के आदेश दिए।
DGCI की टीम ने Sresan Pharma के चेन्नई स्थित प्लांट से कई सैंपल सील कर लिए हैं और उन्हें दिल्ली स्थित सेंट्रल ड्रग्स लैब में भेज दिया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जांच पूरी होने तक कंपनी का उत्पादन अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
यदि लैब रिपोर्ट में गंभीर लापरवाही साबित होती है, तो कंपनी का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द किया जा सकता है।
कंपनी का दावा: “हम निर्दोष हैं”
गिरफ्तारी के बाद Sresan Pharma के प्रवक्ता ने दावा किया कि कंपनी किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार करती है।
उनका कहना है कि दवा की आपूर्ति वैध दस्तावेजों के साथ की गई थी और निर्माण में प्रयोग किए गए रसायन प्रमाणित विक्रेताओं से खरीदे गए थे।
हालांकि, पुलिस का कहना है कि कंपनी ने जिन बैचों की सप्लाई की थी, उनमें कई गुणवत्ता प्रमाणपत्र अधूरे या फर्जी पाए गए हैं।
मृत बच्चों के परिवारों में आक्रोश
जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया है, वे गहरे सदमे और गुस्से में हैं।
कई परिवारों ने सरकार से मांग की है कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं।
स्थानीय प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है, लेकिन लोगों का कहना है कि असली न्याय तभी होगा जब जिम्मेदारों को सजा मिलेगी।
अंतरराष्ट्रीय ध्यान: भारत की दवा सुरक्षा पर सवाल
यह घटना केवल भारत तक सीमित नहीं रही।
कई अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों ने इस घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
हाल के वर्षों में भारत से दवाओं के निर्यात को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं, और अब यह मामला देश की दवा उद्योग की साख पर असर डाल सकता है।
सरकार ने कहा है कि वह दवा उत्पादन से जुड़े सभी मानकों की पुनः समीक्षा करेगी ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विपक्ष का सवाल
घटना के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
वहीं सरकार ने कहा है कि वह किसी भी स्तर की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगी और जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है।
यूके पीएम का भारत दौरा भी सुर्खियों में
इस बीच अंतरराष्ट्रीय खबरों में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा भी चर्चा में है।
इस पर आप हमारी वेबसाइट की रिपोर्ट “यूके पीएम कीर स्टारमर भारत पहुंचे, मुंबई से की यात्रा की शुरुआत” भी पढ़ सकते हैं।
दोनों घटनाएं यह दिखाती हैं कि भारत अभी वैश्विक नजरों में केंद्र में है—चाहे स्वास्थ्य क्षेत्र हो या कूटनीति।
आगे की जांच और कार्रवाई
जांच एजेंसियों ने कहा है कि मामले में और गिरफ्तारियां संभव हैं।
कंपनी के अन्य निदेशकों और डिस्ट्रीब्यूटरों से भी पूछताछ जारी है।
साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने इलाकों में खांसी की सिरप के सैंपल की जांच करें।
केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि किसी भी संदिग्ध दवा को जल्द से जल्द बाजार से हटाया जा सके।
सख्त निगरानी की जरूरत
यह घटना फिर से याद दिलाती है कि दवाओं के उत्पादन और वितरण में मानव जीवन से बड़ी कोई चीज नहीं।
यदि कंपनियां सिर्फ मुनाफे के लिए मानकों से समझौता करती हैं, तो परिणाम बेहद भयावह हो सकते हैं।
सरकार, कंपनियों और जनता—तीनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी त्रासदी दोबारा न दोहराई जाए।