मान का बड़ा आरोप
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने “अघोषित राष्ट्रपति शासन” लागू कर दिया है। उनके मुताबिक़ जनता द्वारा चुनी गई सरकार को दरकिनार करना लोकतांत्रिक ढांचे के खिलाफ़ है। मान ने दावा किया कि केंद्र की नीतियाँ इस तरह लागू की जा रही हैं जैसे राज्य अब स्वतंत्र निर्णय नहीं ले पा रहा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान की अहम बातें
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कई बिंदुओं पर जोर दिया:
- केंद्र सरकार की नीतियों ने राज्य सरकार की भूमिका सीमित कर दी है।
- कई फैसले सीधे केंद्र द्वारा लिए जा रहे हैं, जिससे राज्य सरकार कमजोर हो रही है।
- संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ़ इस तरह का हस्तक्षेप लोकतंत्र के लिए खतरा है।
- उन्होंने “Rangla Punjab” फंड को लेकर कहा कि इसका हर पैसा बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए ही इस्तेमाल किया जाएगा।
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री मान ने जनता को आश्वस्त किया कि फंड से जुड़े सभी खर्च पारदर्शिता के साथ सामने लाए जाएंगे। आप यहाँ देख सकते हैं कि Every Penny of Rangla Punjab कैसे बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए इस्तेमाल होगा।
केंद्र बनाम पंजाब – हालिया टकराव
- बाढ़ राहत और वित्तीय सहायता को लेकर असहमति।
- केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता और राज्य सरकार से बिना सलाह लिए निर्णय।
- राजनीतिक स्तर पर पक्षपात और विरोधी राज्य सरकारों पर दबाव डालने के आरोप।
#WATCH | Chandigarh: Punjab Chief Minister Bhagwant Mann says, “…In Bihar, where elections are being held, they gave nearly 7,000 crore rupees to women. Here too, women are drowning. They’re living in tents, their homes are flooded. They don’t care about the sisters and mothers… pic.twitter.com/gAtsMPPJc3
— ANI (@ANI) September 29, 2025
अघोषित राष्ट्रपति शासन – संवैधानिक पहलू
संविधान में राष्ट्रपति शासन लागू करने की स्पष्ट प्रक्रिया है, लेकिन मान का कहना है कि बिना औपचारिक घोषणा के केंद्र राज्य पर नियंत्रण कर रहा है।
- अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन आधिकारिक रूप से लगाया जाता है।
- अघोषित राष्ट्रपति शासन का मतलब है — बिना घोषणा के, लेकिन व्यवहार में उसी तरह का नियंत्रण।
- इससे लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर सवाल उठते हैं।
विधानसभा और विपक्ष की प्रतिक्रिया
- मान के आरोपों पर विधानसभा में तीखी बहस हुई।
- विपक्षी नेताओं ने इस बयान को राजनीतिक स्टंट बताया।
- कुछ ने “Rangla Punjab” सोसाइटी पर सवाल उठाए।
- सत्तारूढ़ दल ने विपक्षी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जनता की भलाई के लिए हर कदम पारदर्शी है।
जनता की सोच और सोशल मीडिया पर बहस
- जनता की नज़र में मुख्य मुद्दा राहत और पुनर्वास है।
- बाढ़ प्रभावित लोग चाहते हैं कि राजनीतिक लड़ाई से ज़्यादा ध्यान मदद पर हो।
- सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे लेकर तरह-तरह की राय दी — कुछ ने मान का समर्थन किया तो कुछ ने इसे राजनीति बताया।
- जनता का सवाल है: “क्या यह विवाद राहत कार्यों को धीमा करेगा?”
इतिहास की झलक
पंजाब में अतीत में कई बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है। तब यह औपचारिक रूप से लागू किया गया था। मौजूदा हालात अलग हैं क्योंकि मान का आरोप है कि यह सब बिना घोषणा के हो रहा है।
आगे की राह और राजनीतिक असर
विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले समय में और गहरा सकता है। यदि मामला अदालतों तक पहुँचा, तो संघीय ढांचे पर बड़ी बहस होगी।
राजनीतिक स्तर पर विपक्ष इसे मुद्दा बनाएगा, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी जनता के सामने केंद्र को घेरने का प्रयास करेगी। बाढ़ राहत और वित्तीय मामलों में देरी राजनीतिक टकराव को और बढ़ा सकती है।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री मान का यह आरोप पंजाब और केंद्र संबंधों में नई बहस को जन्म दे रहा है। लोकतंत्र और संघीय ढांचे की मजबूती अब जनता और अदालत की नज़रों में है।
पाठकों के लिए सवाल यही है — क्या वास्तव में केंद्र ने राज्य की चुनी हुई सरकार को दरकिनार किया है, या यह सिर्फ़ राजनीति का हिस्सा है? अपनी राय आप नीचे कमेंट में साझा कर सकते हैं।