कभी आपने सोचा है कि जब एक महिला अपने नाम से ज़मीन या घर खरीदती है, तो उसे क्या फायदा मिल सकता है?
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस सवाल का जवाब देते हुए महिलाओं को एक बड़ी सौगात दी है। अब अगर कोई महिला 1 करोड़ रुपये तक की प्रॉपर्टी खरीदती है, तो उसे 1% स्टांप ड्यूटी में सीधी छूट मिलेगी।
सरल भाषा में कहें तो, अगर पहले 7% ड्यूटी लगती थी, तो अब महिला खरीदार को केवल 6% ही देनी होगी। ये कोई छोटी राहत नहीं — एक करोड़ पर ये सीधा 1 लाख रुपये की बचत बनती है।
क्या है ये नया नियम?
अब नियम बड़ा सीधा है:
अगर कोई महिला अपने नाम पर ज़मीन, मकान या फ्लैट खरीदती है, और उसकी वैल्यू 1 करोड़ रुपये से कम या बराबर है, तो उसे 1% की स्टांप ड्यूटी छूट मिलेगी।
👩💼 ये छूट सिर्फ तभी मिलेगी जब रजिस्ट्री महिला के नाम पर होगी।
📜 संयुक्त स्वामित्व में भी, अगर महिला का नाम शामिल है, तो वह पात्र हो सकती है।
पहले और अब: फर्क क्या पड़ा?
पहले महिलाओं और पुरुषों के लिए रजिस्ट्री प्रक्रिया लगभग एक जैसी थी।
ड्यूटी सबको बराबर देनी होती थी — चाहे महिला हो या पुरुष।
लेकिन अब सरकार ने माना है कि महिलाओं को ज़मीन की मालकिन बनाना समाज को सशक्त बनाने का ज़रिया है।
इसी सोच के चलते ये बदलाव आया है।
अब उत्तर प्रदेश में महिलाएं भी बनेंगीं घर की मालकिन.. ये है नया उत्तर प्रदेश, यहां हर कदम पर नारी शक्ति को सम्मान और अधिकार मिल रहा है… उत्तर प्रदेश में महिलाओं के नाम पर रजिस्ट्री कराने पर स्टांप ड्यूटी में 1% की छूट मिलेगी…@narendramodi @PMOIndia @BJP4UP @myogiadityanath pic.twitter.com/83UCXIpRSY
— Neelima Katiyar (@BjpNeelima) July 23, 2025
किसे मिलेगा सबसे ज़्यादा फायदा?
ये छूट सबसे ज़्यादा उन महिलाओं के लिए मददगार होगी:
- जो पहली बार घर खरीद रही हैं
- एकल महिलाएं या विधवा हैं
- नौकरीपेशा महिलाएं जो EMI पर घर लेना चाहती हैं
- गांवों में ज़मीन खरीदने वाली महिलाएं, जिनके पास सीमित पूंजी है
इसी के साथ-साथ, कुछ परिवार अब अपनी प्रॉपर्टी महिलाओं के नाम पर रजिस्टर्ड कराने को प्रोत्साहित होंगे, ताकि टैक्स या रजिस्ट्रेशन में राहत मिले।
सरकार की मंशा क्या है?
यह सिर्फ एक आर्थिक फैसला नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी सामाजिक सोच है।
👉 महिलाओं को संपत्ति में हक देना सिर्फ कानून की बात नहीं, समाज में बराबरी का भी सवाल है।
👉 अगर महिला के पास अपने नाम की संपत्ति होती है, तो उसका घर में, समाज में और रिश्तों में प्रभाव बढ़ता है।
👉 इससे महिला का आत्मविश्वास बढ़ता है — और कहीं न कहीं वह एक निर्णय लेने वाली इकाई बनती है, सिर्फ पालन करने वाली नहीं।
कुछ ऐसा ही भरोसे का संदेश प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बिहार को लेकर भी दिया, जहां उन्होंने नई NDA सरकार में विश्वास और विकास के वादे दोहराए। पूरी खबर यहां पढ़ें।
समाज और रियल एस्टेट पर असर
आप सोच रहे होंगे कि ये फैसला सिर्फ महिलाओं के लिए है।
लेकिन असल में, पूरा रियल एस्टेट सेक्टर इससे प्रभावित होगा।
🏘 अब डेवेलपर्स महिलाओं के लिए खास ऑफर ला सकते हैं।
🏦 बैंक भी महिला-बायर्स को लो-इंटरेस्ट लोन दे सकते हैं।
📈 शहरों में महिला बायर्स की संख्या बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
और सबसे बड़ी बात — समाज में यह संदेश जाएगा कि अब संपत्ति की मालकिन भी महिलाएं हो सकती हैं।
लेकिन क्या सब कुछ इतना आसान होगा?
यहाँ थोड़ी सच्चाई समझनी ज़रूरी है।
🚫 बहुत सी महिलाएं, खासकर ग्रामीण इलाकों में, इस फैसले के बारे में जानती ही नहीं होंगी।
📋 प्रक्रिया अब भी उतनी आसान नहीं है — कई बार दस्तावेज़ी बाधाएं, बिचौलिए, और पितृसत्तात्मक सोच रास्ता रोकते हैं।
👨👩👧👦 कुछ परिवारों में प्रॉपर्टी महिला के नाम तो होती है, लेकिन फैसले लेने का हक नहीं दिया जाता।
तो ये ज़रूरी है कि सरकार सिर्फ घोषणा न करे, बल्कि इसे ज़मीन पर लागू कराने की कोशिश भी करे।
आगे का रास्ता: क्या और किया जा सकता है?
अब जब ये शुरुआत हो चुकी है, तो कुछ और सुझाव भी उभरते हैं:
- 🗣 ग्राम पंचायतों से लेकर शहरों तक जागरूकता अभियान चलें
- 🖥 रजिस्ट्री की प्रक्रिया को डिजिटल और आसान बनाया जाए
- 🏦 महिला-बायर्स को स्पेशल होम लोन स्कीम्स से जोड़ा जाए
- 📊 संपत्ति में महिला स्वामित्व के आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं — ताकि प्रगति नापी जा सके
एक अच्छी शुरुआत, लेकिन सफर अभी बाकी है
इसमें कोई दो राय नहीं कि यह फैसला महिलाओं के हक में है और एक सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करता है।
लेकिन असली असर तभी होगा जब ये फैसला फाइलों से निकलकर परिवारों तक पहुंचे।
महिलाएं जब अपने नाम से घर खरीदेंगी, तो वो सिर्फ एक छत नहीं होगी —
वो होगी उनकी पहचान, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक।
📣 अब आपकी बारी!
क्या आप या आपके परिवार में किसी महिला ने हाल ही में प्रॉपर्टी खरीदी है?
क्या ये फैसला सही दिशा में कदम है या और कुछ किया जाना चाहिए?
👇 नीचे कमेंट में ज़रूर लिखें — आपकी राय काफ़ी मायने रखती है।