विष्वकर्मा पूजा का महत्व क्यों बढ़ता जा रहा है
भारत में हर साल विष्वकर्मा पूजा बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। भगवान विष्वकर्मा को विश्व का प्रथम शिल्पकार, वास्तुकार और इंजीनियर माना जाता है। माना जाता है कि उन्होंने ही स्वर्गलोक, महलों और दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की रचना की थी। यही कारण है कि उद्योग, कारखानों और कार्यस्थलों पर विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है। तकनीकी युग में भी लोग मानते हैं कि विष्वकर्मा पूजा से कार्यक्षेत्र में उन्नति और सफलता मिलती है।
विष्वकर्मा पूजा 2025 कब है? तिथि और दिनांक
विष्वकर्मा जयंती 2025 का आयोजन इस वर्ष 17 सितंबर 2025, बुधवार को किया जाएगा। यह दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर पड़ रहा है। कुछ परंपराओं के अनुसार इसे आश्विन मास की सप्तमी को भी मनाया जाता है, लेकिन प्रचलित तिथि सितंबर में पड़ने वाली षष्ठी को ही मानी जाती है।
इस दिन कारखानों, कार्यालयों और विभिन्न संस्थानों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। लोग अपने औजारों, मशीनों और साधनों को साफ करके उनका पूजन करते हैं और भगवान विष्वकर्मा से सफलता की कामना करते हैं।
विष्वकर्मा पूजा 2025: शुभ मुहूर्त और योग
पूजा का महत्व तभी बढ़ जाता है जब यह सही मुहूर्त में की जाए। इस वर्ष विष्वकर्मा पूजा के लिए शुभ योग इस प्रकार हैं:
- षष्ठी तिथि प्रारंभ – 16 सितंबर 2025, शाम 07:45 बजे
- षष्ठी तिथि समाप्त – 17 सितंबर 2025, शाम 05:18 बजे
- पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त – 17 सितंबर को प्रातः 07:30 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक
इस समय में पूजा करने से विशेष फल मिलता है। साथ ही, इस दिन शुभ योग और सरस्वती योग का भी संयोग रहेगा, जो इसे और अधिक पावन बनाता है।
भगवान विष्वकर्मा कौन हैं? क्यों कहलाते हैं विश्व के प्रथम इंजीनियर
हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान विष्वकर्मा को सृजन और निर्माण का देवता माना गया है। उन्हें दिव्य वास्तुशास्त्र का जनक भी कहा जाता है। मान्यता है कि उन्होंने स्वर्गलोक, पुष्पक विमान, इंद्रपुरी, द्वारका और पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगरी की रचना की थी।
उनके बिना किसी भी निर्माण कार्य की कल्पना अधूरी मानी जाती है। इसलिए उन्हें विश्व का प्रथम इंजीनियर कहा जाता है। मजदूर, तकनीकी विशेषज्ञ, इंजीनियर, कारीगर और कलाकार विशेष रूप से इस दिन उनकी पूजा करते हैं।
विष्वकर्मा पूजा की विधि और आवश्यक सामग्रियां
विष्वकर्मा पूजा का आयोजन घर और कार्यस्थल दोनों जगह किया जाता है। पूजा की विधि इस प्रकार है:
- सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- कार्यस्थल या पूजा स्थल को साफ करें और भगवान विष्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पूजन सामग्री में रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीपक, फल, नारियल, पान-सुपारी, कलश, गंगाजल और औजार शामिल करें।
- औजारों और मशीनों को गंगाजल से शुद्ध करके उन पर हल्दी-कुमकुम और पुष्प अर्पित करें।
- भगवान विष्वकर्मा की आरती करें और प्रसाद बांटें।
विशेष ध्यान रखें कि इस दिन कार्यस्थल पर औजारों और मशीनों को उपयोग में न लेकर केवल पूजा की जाए।
कारखानों और कार्यालयों में पूजा का महत्व
विष्वकर्मा पूजा सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि इसका व्यावहारिक महत्व भी है। उद्योगों, फैक्ट्रियों और दफ्तरों में इस दिन सभी कर्मचारी मिलकर मशीनों और उपकरणों की पूजा करते हैं। इससे कर्मचारियों में एकजुटता, सकारात्मक ऊर्जा और कार्य के प्रति समर्पण की भावना जागृत होती है।
कई जगह इस अवसर पर कर्मचारियों के लिए सामूहिक भोज और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। यह परंपरा कार्यस्थल पर टीमवर्क और अनुशासन को भी बढ़ावा देती है।
राज्यवार परंपराएं: कैसे मनाई जाती है विष्वकर्मा जयंती
भारत के अलग-अलग राज्यों में विष्वकर्मा पूजा का स्वरूप थोड़ा भिन्न होता है:
- पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड – यहां इसे बड़े उत्सव की तरह मनाया जाता है। आसमान में रंग-बिरंगे पतंग उड़ाना इस दिन की खास परंपरा है।
- उत्तर प्रदेश और बिहार – कारखानों और औद्योगिक क्षेत्रों में विशेष हवन और पूजा का आयोजन होता है।
- दक्षिण भारत – यहां भी तकनीकी पेशेवर और कारीगर भगवान विष्वकर्मा की आराधना करते हैं।
- दिल्ली और महानगर – कार्यालयों, बाजारों और कंपनियों में कर्मचारियों के साथ मिलकर पूजा की जाती है।
इन परंपराओं से यह स्पष्ट है कि विष्वकर्मा पूजा केवल धार्मिक मान्यता नहीं बल्कि समाजिक एकता का प्रतीक भी है।
आधुनिक समय में विष्वकर्मा पूजा की प्रासंगिकता
तकनीकी युग में भी विष्वकर्मा पूजा का महत्व कम नहीं हुआ है। आज भी लोग मानते हैं कि भगवान विष्वकर्मा की आराधना से कार्य में प्रगति और सफलता मिलती है।
आईटी कंपनियों से लेकर ऑटोमोबाइल और इंडस्ट्रियल सेक्टर तक, हर जगह इस दिन विशेष पूजा का आयोजन होता है। यह दिन लोगों को याद दिलाता है कि मेहनत, नवाचार और श्रम ही प्रगति का मूल मंत्र हैं।
🌸✨ Wishing you all a Happy Vishwakarma Jayanthi! 17th Sep ✨🌸 May Lord Vishwakarma bless your work with skill, success, and prosperity. 🙏 pic.twitter.com/Q1Tfz8RM44
— Devarajan S Star Health (@licdevarajan) September 16, 2025
श्रम और सृजन के प्रतीक भगवान विष्वकर्मा
विष्वकर्मा पूजा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है बल्कि श्रम, सृजन और तकनीकी विकास का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि हर छोटा-बड़ा काम भगवान विष्वकर्मा की कृपा और हमारे परिश्रम का परिणाम है।
2025 में यह पूजा 17 सितंबर को बड़े उल्लास से मनाई जाएगी। ऐसे अवसर पर हर किसी को अपने कार्यक्षेत्र और कौशल का सम्मान करना चाहिए और एकजुट होकर प्रगति की ओर बढ़ना चाहिए।