प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में हरियाणा के हिसार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए वक्फ (संशोधन) कानून को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल गरीब मुसलमानों और वंचित वर्गों के हित में नहीं हुआ, बल्कि इसका फायदा तथाकथित “भूमि माफियाओं” ने उठाया। PM मोदी का यह बयान उस समय आया जब वह हिसार हवाई अड्डे का उद्घाटन और अयोध्या के लिए पहली उड़ान को हरी झंडी दिखा रहे थे।
मोदी के अनुसार, लाखों हेक्टेयर वक्फ ज़मीन ऐसी थी जिसे जरूरतमंदों की सहायता में लाना चाहिए था, लेकिन वास्तविकता में इन जमीनों पर अवैध कब्जे और राजनीतिक तुष्टिकरण का बोलबाला रहा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड, आरक्षण और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर राजनीतिक तापमान उफान पर है।
🔹 PM मोदी का बयान: ‘वोटबैंक का वायरस’ और ‘भूमि माफिया’ का मुद्दा
PM मोदी ने कांग्रेस पर “वोटबैंक का वायरस” फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वक्फ कानून को इस प्रकार से संशोधित किया कि वह कुछ मौलवियों और मुस्लिम कट्टरपंथियों के हित में चला गया, जबकि गरीब मुसलमान, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग इससे वंचित रह गए।
उन्होंने कहा, “लाखों हेक्टेयर ज़मीन वक्फ के नाम पर रखी गई थी। अगर इन ज़मीनों का सही इस्तेमाल होता, तो गरीब मुस्लिम युवक साइकिल पंचर बनाकर जीविका नहीं चला रहे होते। लेकिन कांग्रेस की वोटबैंक नीति ने केवल भूमि माफियाओं को फायदा पहुँचाया।”
PM मोदी ने वादा किया कि नए वक्फ कानून में अब आदिवासी भूमि को वक्फ बोर्ड द्वारा छूआ भी नहीं जा सकेगा। “यह असली सामाजिक न्याय है — गरीब और पसमांदा मुसलमानों को उनके हक दिलाना,” उन्होंने जोड़ा।
PM Modi Speech: मुस्लिम अध्यक्ष बनाए कांग्रेस, Haryana में Waqf Bill पर बोले मोदी | Modi on Muslim
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🔹 क्या है वक्फ कानून में बदलाव?
वक्फ कानून का मूल उद्देश्य मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और परोपकारी संपत्तियों का संरक्षण और प्रबंधन था। लेकिन वक्त के साथ, इसमें कुछ ऐसे संशोधन किए गए जिससे कई ज़मीनें बिना पर्याप्त दस्तावेज़ी प्रक्रिया के वक्फ संपत्ति घोषित कर दी गईं।
नए वक्फ (संशोधन) कानून में कुछ प्रमुख प्रावधान जोड़े गए हैं:
- आदिवासी भूमि अब वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र से बाहर होगी।
- किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले उचित जांच और सार्वजनिक सूचना अनिवार्य होगी।
- वक्फ बोर्ड के निर्णयों की न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया को मजबूत किया गया है।
इन संशोधनों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और वास्तविक जरूरतमंद लाभान्वित हों।
🔹 कांग्रेस पर निशाना: बाबासाहेब को ‘अपमानित’ करने का आरोप
PM मोदी ने अपनी भाषण में डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम कई बार लिया और कांग्रेस पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बाबासाहेब के जीवनकाल में उन्हें दो बार चुनाव हरवाया और उनकी स्मृति को मिटाने की कोशिश की।
“जो लोग आज संविधान की दुहाई दे रहे हैं, उन्होंने ही आपातकाल के समय संविधान को कुचल दिया था,” मोदी ने कहा। “बाबासाहेब ने कभी धार्मिक आधार पर आरक्षण का समर्थन नहीं किया। लेकिन कांग्रेस ने मुसलमानों को खुश करने के लिए वक्फ कानून में बदलाव किए जो संविधान की आत्मा के खिलाफ हैं।”
🔹 गरीबों, आदिवासियों और पसमांदा मुसलमानों का जिक्र
PM मोदी का पूरा भाषण इस बात पर केंद्रित रहा कि कैसे कांग्रेस ने वंचित वर्गों के साथ अन्याय किया। उन्होंने दावा किया कि उनके शासनकाल में SC, ST और OBC वर्गों को अधिकतम लाभ मिला है — फिर चाहे वो जन धन खाते हों, उज्ज्वला योजना हो या स्वच्छ जल की उपलब्धता।
उन्होंने कहा, “हमारे देश के गरीब मुसलमानों और पसमांदा वर्गों को उनकी जमीनें वापस मिलेंगी। यह केवल कानून में बदलाव नहीं, बल्कि सोच में बदलाव है।”
यह बयान सामाजिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पहली बार है जब किसी प्रधानमंत्री ने पसमांदा मुस्लिमों का नाम लेकर उनके अधिकारों की बात की है।
🔹 कांग्रेस का पलटवार: खड़गे का जवाब और शिक्षा पर जोर
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने PM मोदी के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, “ये लोग (BJP) आज बाबासाहेब अंबेडकर की बात कर रहे हैं, लेकिन उनके विचारों को कभी अपनाया नहीं। जब बाबासाहेब ने बौद्ध धर्म अपनाया, तो इन्हीं लोगों ने उन्हें अछूत कहा।”
खड़गे ने आगे कहा कि कांग्रेस ने ही महिला आरक्षण विधेयक में SC, ST और OBC महिलाओं के लिए कोटा की मांग की थी। “हमने हमेशा शिक्षा और समान अवसर पर जोर दिया है, जबकि BJP केवल बयानबाजी करती है,” उन्होंने जोड़ा।
🔹 डॉ. अंबेडकर की विचारधारा का संदर्भ और वर्तमान राजनीति में उपयोग
डॉ. अंबेडकर की विचारधारा — समानता, न्याय और शिक्षा — आज की राजनीति में एक प्रमुख मुद्दा बन चुकी है। PM मोदी ने अंबेडकर को केंद्र में रखकर अपनी नीतियों को वैधता देने की कोशिश की, जबकि कांग्रेस इसे राजनीतिक स्टंट बता रही है।
यह सच है कि बाबासाहेब धार्मिक आरक्षण के खिलाफ थे, लेकिन साथ ही वह यह भी मानते थे कि सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर किए बिना संविधान की आत्मा अधूरी रहेगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नए वक्फ कानून वास्तव में गरीबों, खासकर पसमांदा मुसलमानों को लाभ पहुंचा पाएंगे।
🔹 निष्कर्ष
वक्फ कानून में संशोधन और उससे जुड़ा राजनीतिक संग्राम केवल मुसलमानों की ज़मीन या आरक्षण की बात नहीं है, बल्कि यह भारत की समकालीन राजनीति के वोटबैंक बनाम सामाजिक न्याय की बहस को भी दर्शाता है।
PM मोदी का यह दावा कि “अब ज़मीन की लूट रुकेगी” और “गरीब मुसलमानों को हक मिलेगा” बहुत बड़ा है। क्या ये केवल चुनावी बयान हैं या वास्तव में नीति बदलाव का संकेत?