कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मंगलवार सुबह वह दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ED) कार्यालय पैदल मार्च करते हुए पहुंचे। उनके साथ बड़ी संख्या में कांग्रेस समर्थक भी मौजूद थे, जो मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। वाड्रा को हरियाणा में एक जमीन सौदे से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए समन भेजा गया था।
#WATCH | Delhi: Businessman Robert Vadra marches from his residence to the ED office after being summoned in connection with a Gurugram land case, alleges ‘political vendetta’.
He says, “Whenever I will speak up for people and make them heard, they will try to suppress me… I… pic.twitter.com/mRrRZedq6l
— ANI (@ANI) April 15, 2025
वाड्रा ने मीडिया से बातचीत में इस कार्रवाई को “राजनीतिक साजिश” करार दिया और कहा,
“जब-जब मैं जनता की आवाज़ उठाता हूँ, तब-तब मुझे दबाने की कोशिश होती है। मुझे डर नहीं है, मैंने कुछ गलत नहीं किया है।”
हरियाणा जमीन डील: जांच की जड़ें कहाँ तक जाती हैं?
वाड्रा की कंपनी Skylight Hospitality ने 2008 में हरियाणा के एक इलाके में ₹7.5 करोड़ की ज़मीन खरीदी थी। बाद में कांग्रेस सरकार द्वारा उस ज़मीन को हाउसिंग सोसाइटी के लिए अनुमति दी गई और कुछ समय बाद वाड्रा ने वह ज़मीन DLF जैसी रियल एस्टेट कंपनी को ₹58 करोड़ में बेच दी। उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा थे।
बीजेपी लगातार यह आरोप लगाती रही है कि यह सौदा किसानों से ज़मीन हड़प कर वाड्रा को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था। हालांकि, भूपिंदर सिंह हुड्डा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए यहां तक कह दिया, “अगर बीजेपी साबित कर दे कि वाड्रा को एक इंच भी सरकारी ज़मीन दी गई है, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।”
वाड्रा का पलटवार: “डराने की कोशिश नाकाम होगी”
रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि वह जांच एजेंसियों की शक्ति से नहीं डरते और अगर उनसे कोई भी सवाल पूछा जाएगा, तो वह उसका जवाब देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार हर बार चुनाव से पहले विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश करती है।
उनका यह भी कहना था कि ED जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है और यह सिर्फ “witch hunt” यानी राजनीतिक प्रतिशोध है।
उन्होंने कहा, “हर बार चुनाव आता है, मेरा नाम सामने आ जाता है। जब कोई मुद्दा होता है और सरकार उससे ध्यान हटाना चाहती है, तो मेरा नाम घसीटा जाता है।”
BJP knows if I enter politics, it’s over for them.
They keep targeting me with fake cases.
I’ve handed over 23,000 pages to ED, faced 15 summons, sat for 10-hour interrogations.
Still, they have nothing.
—Robert Vadra destroyed BJP like boss👍 pic.twitter.com/nFeVBjd2Ek
— Amock (@Politicx2029) April 15, 2025
क्या राजनीति में एंट्री लेंगे रॉबर्ट वाड्रा?
ANI को दिए इंटरव्यू में वाड्रा ने संकेत दिया कि यदि कांग्रेस पार्टी उन्हें राजनीति में आने को कहेगी, तो वह उस दिशा में कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा, “मैं गांधी परिवार का हिस्सा हूं, इसलिए राजनीति से जुड़ाव रहा है। लेकिन मैंने अब तक कभी राजनीति में कदम नहीं रखा। अगर पार्टी चाहेगी और परिवार का आशीर्वाद मिलेगा, तो मैं तैयार हूं।”
वाड्रा ने अमेठी से चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर भी बात की और कहा कि देश को धर्मनिरपेक्ष बनाए रखने के लिए नई आवाज़ों की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि वह जमीन से जुड़े मुद्दों की समझ रखते हैं और बदलाव लाने की क्षमता भी रखते हैं।
कांग्रेस का जवाबी हमला: विपक्ष को दबाने की साजिश?
सिर्फ रॉबर्ट वाड्रा ही नहीं, हाल के वर्षों में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी ED द्वारा पूछताछ का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार विपक्ष को डराने और उनकी छवि खराब करने के लिए जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “ED को सोनिया गांधी के घर जाकर सवाल पूछने चाहिए थे। यह सब सिर्फ उन्हें परेशान करने के लिए किया जा रहा है।”
13 विपक्षी दलों ने संसद भवन में बैठक कर एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें मोदी सरकार पर “राजनीतिक प्रतिशोध के अभियान” का आरोप लगाया गया।
मेहुल चोकसी पर वाड्रा की टिप्पणी
ANI से बातचीत में वाड्रा ने बेल्जियम में गिरफ्तार हुए भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी के मुद्दे पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
“गिरफ्तारी तो ठीक है, लेकिन असली काम है जनता का पैसा वापस लाना। सरकार को सिर्फ प्रचार नहीं करना चाहिए, बल्कि लोगों के नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।”
उन्होंने नीरव मोदी और अन्य भगोड़ों को भी भारत लाकर जनता का नुकसान पूरा करने की मांग की।
निष्कर्ष
रॉबर्ट वाड्रा का मामला केवल एक जांच नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक विमर्श बन चुका है। क्या वाकई यह राजनीतिक साजिश है? या फिर जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं?
इस सवाल का जवाब समय देगा, लेकिन इतना तो तय है कि वाड्रा की सक्रियता और उनकी संभावित राजनीतिक एंट्री आने वाले चुनावों में चर्चा का विषय बनी रहेगी।