राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर हलचल तेज़ हो गई जब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा अपने पति रॉबर्ट वाड्रा को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के ऑफिस पर छोड़ने पहुंचीं। मंगलवार को रॉबर्ट वाड्रा से हरियाणा ज़मीन घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में लगातार दूसरे दिन पूछताछ की गई। प्रियंका गांधी की मौन मौजूदगी और वाड्रा का आत्मविश्वास एक मजबूत राजनीतिक संदेश देता है।
#WATCH | Delhi: Accompanied by his wife and Congress MP Priyanka Gandhi Vadra, businessman Robert Vadra arrives at ED office for the second consecutive day in the Gurugram land case.
The two share a hug as Robert Vadra enters the office. pic.twitter.com/jRRvwpBPqa
— ANI (@ANI) April 16, 2025
यह मामला कोई नया नहीं है। इससे पहले जब वाड्रा को ईडी ने समन भेजा था, तब उन्होंने इसे राजनीतिक साज़िश करार दिया था। उन्होंने इस बारे में क्या कहा था, आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
🧾 2008 की ज़मीन डील से उठे सवाल
यह मामला साल 2008 से जुड़ा है जब वाड्रा की कंपनी Skylight Hospitality Pvt Ltd ने हरियाणा के गुरुग्राम स्थित शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ ज़मीन ₹7.5 करोड़ में खरीदी थी। चार साल बाद, कंपनी ने यही ज़मीन रियल एस्टेट कंपनी DLF को ₹58 करोड़ में बेच दी।
हालाँकि डील के बाद विवाद तब शुरू हुआ जब IAS अधिकारी अशोक खेमका ने ज़मीन म्यूटेशन को रद्द कर दिया और इसे नियमों का उल्लंघन बताया। यह मामला राजनीतिक बहस का विषय बन गया और विपक्ष ने इसे कांग्रेस शासन में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का प्रतीक बताया।
🔍 ईडी की पूछताछ – दूसरा दिन
मंगलवार को रॉबर्ट वाड्रा फिर से ईडी के सामने पेश हुए। सुबह करीब 10:45 बजे, वे अपने समर्थकों के साथ सेंट्रल दिल्ली के सुजान सिंह पार्क से पैदल चलकर ईडी ऑफिस पहुंचे। पूछताछ करीब 6 घंटे तक चली और उनसे मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत सवाल-जवाब किए गए।
ईडी सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान कुछ नए दस्तावेज़ और इनपुट सामने आए हैं, जिन पर वाड्रा से जवाब मांगे जा रहे हैं। इसी वजह से मंगलवार को फिर से समन जारी किया गया।
🗣️ वाड्रा का बयान: “हम डरते नहीं हैं”
पूछताछ से पहले मीडिया से बात करते हुए वाड्रा ने कहा:
“हम किसी से डरते नहीं हैं। हम टारगेट इसलिए हैं क्योंकि हम प्रासंगिक हैं। लेकिन हम हार्ड टारगेट हैं।”
उन्होंने कहा कि यह केस लगभग 20 साल पुराना है और वे अब तक 15 बार पूछताछ झेल चुके हैं, 23,000 दस्तावेज़ जमा कर चुके हैं, फिर भी वही दस्तावेज़ बार-बार मांगे जा रहे हैं।
“जब मैंने पिछली बार जांच में सहयोग किया था, तब भी यह साबित हुआ था कि कुछ गलत नहीं था। फिर अब सात साल बाद फिर से वही सवाल क्यों?”
प्रियंका गांधी की मौन एकजुटता
प्रियंका गांधी की उपस्थिति केवल पारिवारिक समर्थन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रतीक भी बन चुकी है। जब वह वाड्रा को छोड़ने ईडी ऑफिस आईं और उन्हें गले लगाया, तो यह दृश्य कई मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो गया।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कांग्रेस द्वारा “सरकार की कार्रवाई के खिलाफ एक शांत विरोध” का इशारा था।
🏛️ कांग्रेस बनाम भाजपा – बयानबाज़ी तेज़
इस घटना के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी और तेज़ हो गई। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा:
“जब भी सरकार जनता के मुद्दों पर घिरती है, वह विपक्ष को डराने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करती है।”
वहीं भाजपा नेताओं का कहना है:
“अगर वाड्रा निर्दोष हैं, तो जांच से क्यों घबरा रहे हैं? देश में कानून सबके लिए बराबर है।”
📱 सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर #RobertVadra, #PriyankaGandhi और #EDInquiry जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कांग्रेस समर्थकों ने प्रियंका गांधी की मौजूदगी को “साहस और साथ” का प्रतीक बताया, जबकि भाजपा समर्थकों ने इसे “भावनात्मक ड्रामा” कहा।
एक यूज़र ने ट्वीट किया:
“ED जब-जब एक्शन में आती है, कांग्रेस को राजनीतिक साजिश क्यों दिखती है?”
दूसरी तरफ एक कांग्रेस समर्थक ने लिखा:
“15 बार पूछताछ, 23,000 दस्तावेज़, फिर भी ‘शक’? ये साज़िश नहीं तो क्या है?”
🔗 पिछली कार्यवाही से अब तक
जब ईडी ने पहली बार वाड्रा को समन भेजा था, तब उन्होंने साफ कहा था कि यह सिर्फ विपक्षी नेताओं को डराने की कोशिश है। उस समय की रिपोर्ट में यह बताया गया था कि कैसे वाड्रा ने पूरी जांच को “Political Vendetta” करार दिया था और सभी दस्तावेज़ उपलब्ध करवाने की बात कही थी।
👀 आगे क्या?
ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा को बुधवार को फिर से पेश होने का निर्देश दिया है। सूत्रों के अनुसार, एजेंसी कुछ दस्तावेज़ों की फिर से पुष्टि चाहती है। अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन जांच पूरी होने में समय लग सकता है।
🧠 निष्कर्ष – राजनीतिक प्रतिशोध या न्याय की प्रक्रिया?
रॉबर्ट वाड्रा का मामला उन दुर्लभ केसों में से एक है जो दो दशकों से चर्चा में बना हुआ है। इस दौरान सत्ता बदली, नीतियाँ बदलीं, लेकिन मामला अब भी खुला है।
विपक्ष का आरोप है कि यह केस केवल राजनीतिक बदला लेने का एक माध्यम है, जबकि सत्ता पक्ष इसे कानून का पालन मानता है। जो भी हो, यह स्पष्ट है कि इस केस के ज़रिए कांग्रेस और भाजपा के बीच सामाजिक और राजनीतिक टकराव और गहरा हो रहा है।
💬 आपकी राय ज़रूरी है
क्या आपको लगता है कि रॉबर्ट वाड्रा को राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है?
या आप मानते हैं कि जांच एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से काम करने देना चाहिए, चाहे आरोपी कोई भी हो?
👇 नीचे कमेंट करें और अपनी राय हमारे साथ साझा करें।