भारत और न्यूज़ीलैंड ने एक दशक के अंतराल के बाद मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर औपचारिक वार्ता आरंभ कर दी है। प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। 2010 में इस पर बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन कुछ विवादों के चलते यह रुक गई थी। अब दोनों देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने और व्यापारिक बाधाओं को दूर करने के लिए इसे पुनः शुरू किया है।
Christopher luxon in India with a large business delegation
pic.twitter.com/ers6AzW46j— Gbora (@gb_network9) March 17, 2025
वार्ता के मुख्य बिंदु
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के बीच नई दिल्ली में बैठक संपन्न हुई, जिसमें व्यापार संबंधों को मजबूत करने और सहयोग के नए अवसरों पर चर्चा हुई। न्यूज़ीलैंड सरकार ने इस वार्ता को एक ऐतिहासिक कदम बताया है, जिससे द्विपक्षीय आर्थिक संबंध और सशक्त होंगे।
— Parth Sane (@Parthadvance) March 17, 2025
इसके अतिरिक्त, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और न्यूज़ीलैंड के व्यापार मंत्री टॉड मैकक्ले ने भी औपचारिक रूप से FTA वार्ता की घोषणा की। इस समझौते का उद्देश्य व्यापारिक विस्तार, आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण और बाज़ार की पहुंच को सुदृढ़ करना है। यदि यह समझौता सफल होता है, तो दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बड़े स्तर पर लाभ होगा।
द्विपक्षीय व्यापार पर संभावित प्रभाव
वर्तमान में भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच व्यापार सीमित है, किंतु इसे और अधिक विस्तारित करने की संभावना है।
- अप्रैल 2024 – जनवरी 2025 के दौरान भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच व्यापार $1 बिलियन से अधिक हो गया।
- भारत का न्यूज़ीलैंड को निर्यात: $538 मिलियन (प्रमुख वस्तुएँ: औषधियाँ, मशीनरी, रत्न-आभूषण, वस्त्र उत्पाद)।
- न्यूज़ीलैंड से भारत का आयात: $335 मिलियन (प्रमुख वस्तुएँ: ऊन, लोहा-स्टील, फल, मेवे एवं डेयरी उत्पाद)।
FTA से दोनों देशों के व्यापार में नए अवसर उत्पन्न होने की संभावना है। न्यूज़ीलैंड की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा भाग कृषि और डेयरी उद्योग पर निर्भर है, और वह भारत के विशाल बाज़ार तक अधिक पहुंच चाहता है। भारत के लिए यह समझौता महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इससे भारतीय उत्पादों के लिए नए बाज़ार उपलब्ध होंगे।
Addressing the press meet with PM @chrisluxonmp of New Zealand. https://t.co/I3tR0rHpeI
— Narendra Modi (@narendramodi) March 17, 2025
मुख्य चुनौतियाँ
हालांकि व्यापार वार्ता की शुरुआत हो गई है, किंतु इसके सामने कुछ प्रमुख बाधाएँ भी हैं, जिन्हें हल किए बिना इस समझौते को अंतिम रूप देना मुश्किल होगा।
- डेयरी उद्योग से संबंधित मुद्दे: न्यूज़ीलैंड भारतीय डेयरी बाज़ार में अधिक पहुंच चाहता है, जबकि भारत अपने किसानों के हितों की सुरक्षा को लेकर सतर्क है। भारत का डेयरी उद्योग लाखों किसानों को रोजगार देता है, और विदेशी उत्पादों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा से घरेलू उत्पादकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाएँ: न्यूज़ीलैंड को भारतीय बाज़ार में विभिन्न टैरिफ और व्यापारिक नियमों का सामना करना पड़ता है, जिससे उसे अपनी उत्पादों की बिक्री में कठिनाई हो सकती है।
- वैश्विक व्यापारिक दबाव: अमेरिका और यूरोपीय संघ भी भारत पर कृषि और डेयरी क्षेत्र में अधिक उदारीकरण लागू करने का दबाव बना रहे हैं, जिससे यह वार्ता अधिक जटिल हो सकती है।
भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच रणनीतिक संबंध
FTA के अतिरिक्त, दोनों देशों के बीच अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग जारी है।
- व्यापार से परे सहयोग: खेल (विशेष रूप से क्रिकेट), शिक्षा और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है। न्यूज़ीलैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे द्विपक्षीय शैक्षणिक संबंध सशक्त हो रहे हैं।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहभागिता: भारत की ‘Act East’ नीति के तहत न्यूज़ीलैंड की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। दोनों देश क्षेत्रीय स्थिरता एवं समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिलकर कार्य कर सकते हैं।
- फाइव आइज़ इंटेलिजेंस एलायंस: न्यूज़ीलैंड इस समूह का सदस्य है, और भारत इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत कर रहा है। यह सहयोग सुरक्षा और रक्षा साझेदारी को और प्रगाढ़ कर सकता है।
The Indian community is the third-largest ethnic group in New Zealand, India is our largest source of skilled migrants, and our second largest source of international students.
In short, Indian-Kiwis make a massive contribution to New Zealand and I’m proud of what this… pic.twitter.com/Dnwf8gNUMw
— Christopher Luxon (@chrisluxonmp) March 17, 2025
भविष्य की संभावनाएँ और निष्कर्ष
- FTA वार्ता की संभावित समयरेखा: पहला चरण अगले माह शुरू होने की संभावना है, और 2025 के अंत तक समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
- FTA से जुड़े आगामी कदम: विभिन्न उद्योगों के साथ परामर्श, द्विपक्षीय समितियों का गठन, संभावित आर्थिक क्षेत्रों का विश्लेषण।
यदि यह समझौता सफल होता है, तो दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ेगा, जिससे उनकी अर्थव्यवस्थाओं को व्यापक लाभ मिलेगा। यह समझौता न केवल व्यापार वृद्धि को बढ़ावा देगा, बल्कि द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंधों को भी और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।