उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्थित Intellectual Institute of Management and Technology (IIMT) यूनिवर्सिटी में खुले में नमाज पढ़ने के आरोप में 22 वर्षीय छात्र खलील प्रधान को गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी तब हुई जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें 50 से अधिक छात्र यूनिवर्सिटी परिसर में नमाज अदा कर रहे थे। इस वीडियो के सामने आने के बाद हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया और कानूनी कार्रवाई की मांग की। प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छात्र को निलंबित कर दिया और तीन सुरक्षा कर्मियों पर भी कार्रवाई की गई।
घटना का पूरा विवरण
यह मामला 13 मार्च 2025 को सामने आया, जब होली से एक दिन पहले कुछ छात्रों ने यूनिवर्सिटी परिसर में नमाज पढ़ी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। वीडियो में दिख रहा था कि कई छात्र खुले में नमाज अदा कर रहे थे। वीडियो वायरल होने के बाद कुछ हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया और इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया। इसके बाद पुलिस ने इस मामले को संज्ञान में लिया और जांच शुरू की। स्थानीय पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।
📝 प्रशासन की प्रतिक्रिया: यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता सुनील शर्मा ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई गई थी। जांच में पता चला कि यह नमाज बिना किसी आधिकारिक अनुमति के पढ़ी गई थी। खलील प्रधान को मुख्य आरोपी माना गया क्योंकि वही व्यक्ति था जिसने वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था।
The #UPPolice have arrested a student for allegedly offering namaz in an open area of a private university in #UttarPradesh‘s #Meerut, officials said on Sunday.
Khalid Pradhan (Khalid Mewati) was arrested following protests by local #Hindutva groups over a purported video… pic.twitter.com/j2GB96CefC
— Hate Detector 🔍 (@HateDetectors) March 17, 2025
कानूनी पहलू और आरोप
- पुलिस ने Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS) की धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप) और IT Act के तहत मामला दर्ज किया।
- Ganga Nagar पुलिस थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) अनूप सिंह ने बताया कि यह मामला कुमार कार्तिक हिंदू नामक व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज किया गया है।
- यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आरोपी छात्र और सुरक्षा अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की।
हिंदू संगठनों और विरोध प्रदर्शनों का पक्ष
- विरोध कर रहे संगठनों का कहना है कि जब विश्वविद्यालय परिसर में अन्य धार्मिक गतिविधियों की अनुमति नहीं है, तो खुले में नमाज कैसे की गई?
- स्थानीय संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों ने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया।
- कुछ संगठनों ने यह भी मांग की कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
मुस्लिम पक्ष और समर्थन करने वालों की प्रतिक्रिया
- मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने इस गिरफ्तारी को धार्मिक स्वतंत्रता का हनन बताया।
- कुछ संगठनों का कहना था कि अगर सार्वजनिक जगहों पर नमाज अदा करना अपराध है, तो अन्य धार्मिक गतिविधियों पर भी समान कार्रवाई होनी चाहिए।
- सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने छात्र के पक्ष में आवाज़ उठाई और इसे राजनीति से प्रेरित मामला बताया।
विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका
- यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि यह घटना बिना अनुमति के हुई और इससे शैक्षणिक माहौल प्रभावित हुआ।
- खलील प्रधान को निलंबित कर दिया गया और सुरक्षा कर्मियों पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
- प्रशासन ने आगे से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नियमों को और सख्त करने का निर्णय लिया।
निष्कर्ष और भविष्य की संभावनाएं
- यह मामला अब कानूनी प्रक्रिया के अधीन है और आगे की जांच जारी है।
- यह घटना धार्मिक सहिष्णुता और सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक गतिविधियों के नियमों को लेकर नई बहस को जन्म दे सकती है।
- प्रशासन और समाज को यह तय करना होगा कि समान धार्मिक स्वतंत्रता का संतुलन कैसे बनाए रखा जाए।
📢 आपकी राय क्या है? क्या विश्वविद्यालय का फैसला सही था? क्या इस घटना को सांप्रदायिक नजरिए से देखा जाना चाहिए? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं।