मेरठ के शास्त्रीनगर इलाके में कुछ दिन पहले एक नीले ड्रम से बदबू आने पर लोगों ने पुलिस को सूचना दी थी। जब ड्रम खोला गया तो अंदर एक युवक की अधजली लाश मिली।
पुलिस जांच में पता चला कि मृतक युवक का नाम हर्षित था। उसके शव को जलाने की कोशिश की गई थी।
सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड और मोबाइल लोकेशन की मदद से पुलिस को इस मामले में सुराग मिले। जांच आगे बढ़ी तो नाम सामने आया मुस्कान रस्तोगी का।
कौन है मुस्कान रस्तोगी?
मुस्कान रस्तोगी एक पूर्व मर्चेंट नेवी अफसर की पत्नी है। पति से अलगाव की बात चल रही थी।
पुलिस के अनुसार, मुस्कान का अपने एक जानकार साहिल से करीबी रिश्ता था। आरोप है कि हर्षित की हत्या मुस्कान और साहिल ने मिलकर की।
पुलिस जांच में सामने आया कि हत्या की इस साजिश के पीछे केवल रंजिश नहीं, बल्कि पर्सनल रिलेशनशिप से जुड़ी जटिलताएं भी थीं। इसी बीच केस से जुड़ा एक और पहलू सामने आया, जिसमें यह सवाल उठने लगा कि अगर बच्चा सौरभ का है, तो क्या मुस्कान उसे अपना कर पालेगी?
मेरठ ब्लू ड्रम केस: अगर बच्चा सौरभ का है, तो उसे अपनाकर पालेंगे? — इस रिपोर्ट में इस पूरे मामले का एक संवेदनशील और सामाजिक एंगल भी सामने आया है।
हत्या के बाद शव को जलाकर ड्रम में भरकर फेंका गया था।
अब जेल से पढ़ेगी कानून
जेल में बंद मुस्कान रस्तोगी ने अब लॉ की पढ़ाई करने की इच्छा जताई है। इसके लिए उसने जेल प्रशासन को आवेदन भी दे दिया है।
सूत्रों की मानें तो मुस्कान चाहती है कि वो पत्राचार माध्यम से किसी यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ले। जेल मैनुअल के मुताबिक, विचाराधीन कैदी पढ़ाई कर सकते हैं।
मुस्कान ने कहा है कि वह पढ़ाई का खर्च खुद उठाएगी।
वकील बनना चाहती है मुस्कान, जेल में मांगा LLB का सिलेबस#MuskanRastogi #LLB #ATDigital pic.twitter.com/MmRESCKrGp
— AajTak (@aajtak) May 30, 2025
क्या है प्रशासन का रुख?
जेल अधिकारियों ने उसका आवेदन उच्च स्तर पर भेज दिया है।
अगर अनुमति मिलती है, तो मुस्कान जेल से ही कानून की पढ़ाई शुरू कर सकती है। फिलहाल उसे किताबें उपलब्ध कराने और समय तय करने की प्रक्रिया पर विचार चल रहा है।
कानून क्या कहता है?
कानून के जानकारों के अनुसार, जेल में बंद किसी भी आरोपी को पढ़ाई का अधिकार होता है।
पहले भी कई मामलों में कैदियों ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया है।
हालांकि, ये भी कहा जा रहा है कि यह कदम मुस्कान की तरफ से सहानुभूति पाने या केस में फायदा उठाने की कोशिश भी हो सकता है।
सोशल मीडिया पर बंटे हैं लोग
मुस्कान के इस कदम पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है।
कुछ लोगों ने इसे “सुधार की शुरुआत” बताया तो कुछ ने लिखा, “अब क्या हर हत्यारा कानून पढ़कर बचने की कोशिश करेगा?”
लोगों की राय इस मामले में दो हिस्सों में बंटी नजर आई।
कहीं ये केस की रणनीति तो नहीं?
कुछ वकीलों का कहना है कि अगर कोई आरोपी खुद को कानून के हिसाब से तैयार करता है तो यह गलत नहीं है।
लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह वाकई सीखने की इच्छा है या अदालत में राहत पाने की तैयारी?
जवाब वक्त देगा।
क्या शिक्षा वाकई सुधार का रास्ता है?
कई सामाजिक संगठनों ने मुस्कान के फैसले का समर्थन किया है। उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति अपराध के बाद कुछ अच्छा करना चाहता है, तो उसे रोका नहीं जाना चाहिए।
लेकिन ध्यान इस बात का भी रखना होगा कि यह फैसला असली हो, न कि दिखावा।
नया मोड़ या नई चाल?
मुस्कान रस्तोगी के लॉ पढ़ने के फैसले ने केस में एक नया मोड़ ला दिया है।
कानून पढ़ना उसका अधिकार है, लेकिन उसके इरादों पर नजर रखनी जरूरी है।
अब देखना होगा कि अदालत और समाज इस कदम को किस नजर से देखते हैं – सुधार के तौर पर या रणनीति के तौर पर।