हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान देकर हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि “Apple को भारत में iPhones का निर्माण बंद कर देना चाहिए और अमेरिका में ही ये काम होना चाहिए।” यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई जब Apple भारत में अपने निर्माण और निर्यात का विस्तार कर रहा है।
उनकी यह टिप्पणी व्यापारिक और राजनीतिक विश्लेषकों के लिए बहस का विषय बन गई। लेकिन इसी बीच Apple ने इस पर तेजी से प्रतिक्रिया दी और भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दोहराया।
✦ Apple का बयान: भारत में हमारी योजनाएं बरकरार रहेंगी
Apple ने इस पूरे मामले पर संक्षिप्त लेकिन स्पष्ट बयान जारी किया। कंपनी ने कहा:
“हम भारत को एक दीर्घकालिक और रणनीतिक साझेदार के रूप में देखते हैं। हमारी निर्माण और निवेश योजनाओं में कोई बदलाव नहीं होगा।”
Apple के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि कंपनी भारत में अपने मौजूदा निर्माण इकाइयों को और भी मजबूत बना रही है, खासकर iPhone 17 सीरीज़ के लॉन्च से पहले। यह बयान न केवल भारत के लिए एक भरोसे का संकेत था बल्कि अमेरिकी बाजार को भी यह संदेश दे गया कि Apple अपने व्यावसायिक निर्णय राजनीतिक बयानों से प्रभावित नहीं करेगा।
BREAKING: Despite Trump’s claim, Apple reaffirms commitment to making India a key manufacturing hub. pic.twitter.com/yNUt1dSgtC
— Mountain Rats (@mountain_rats) May 15, 2025
✦ भारत में Apple का अब तक का सफर: निवेश और निर्माण की कहानी
Apple ने भारत में उत्पादन की शुरुआत iPhone SE से की थी। फिर धीरे-धीरे इसने iPhone 11, 12, 13, और अब 15 सीरीज़ तक का निर्माण भारत में Foxconn, Wistron और Pegatron जैसी साझेदार कंपनियों के माध्यम से किया।
🔹 महत्वपूर्ण आँकड़ा:
2024-25 तक Apple का लक्ष्य है कि वह भारत में निर्मित iPhones का 50% तक हिस्सा वैश्विक बाजारों में निर्यात करे।
Apple ने कर्नाटक और तमिलनाडु में नई निर्माण इकाइयों के लिए भूमि अधिग्रहण और कर्मचारियों की नियुक्ति भी तेज़ी से शुरू कर दी है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत, Apple की उत्पादन रणनीति का एक मजबूत स्तंभ बन चुका है।
✦ ट्रंप का बयान: राजनीति, राष्ट्रवाद या व्यापारिक चिंता?
डोनाल्ड ट्रंप ने यह बयान अपने Truth Social प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया था, जो अमेरिका में आगामी चुनावों के मद्देनज़र “America First” नीति के दोहराव का प्रतीक है। उन्होंने लिखा कि Apple को अमेरिका में iPhones बनाना चाहिए ताकि अमेरिकी नौकरियों की रक्षा हो सके।
दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप ने पहले भी सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि उन्होंने Apple के CEO Tim Cook से भारत में iPhone उत्पादन न बढ़ाने की अपील की थी, जो कि इस विस्तृत रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है। यह बयान न केवल आर्थिक दबाव को दर्शाता है, बल्कि आगामी अमेरिकी चुनावों में राजनीतिक रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
✦ Tim Cook और ट्रंप: पुरानी खटास और रणनीतिक दूरी
Apple के CEO Tim Cook और डोनाल्ड ट्रंप के बीच संबंध हमेशा से औपचारिक रहे हैं। जब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तब भी उन्होंने कई बार Apple को अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने की सलाह दी थी। उस समय Tim Cook ने ट्रंप से मुलाकात की और टैरिफ जैसी नीतियों से कंपनी को छूट दिलाने में भी सफलता पाई थी।
हालांकि, Tim Cook ने हमेशा एक वैश्विक रणनीतिक सोच अपनाई है, जिसमें भारत, वियतनाम और अन्य देशों में निर्माण को विस्तार देना शामिल है।
🔹 स्पष्ट अंतर:
जहाँ ट्रंप राष्ट्रवादी नीति पर चलते हैं, वहीं Tim Cook का दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय संतुलन और बाज़ार विविधता पर आधारित है।
BIG BREAKING NEWS 🚨
Apple stands firm on India plans, Trump’s pressure fails!Trump told Tim Cook– “Don’t build in India… India can take care of themselves.”
But Apple isn’t backing down — manufacturing in India is full steam ahead!
As an Indian, I see this as a proud… pic.twitter.com/bru5CIsw4u— Shilpa Sahu (@shilpasahu432) May 15, 2025
✦ Apple के लिए भारत क्यों है खास?
भारत सिर्फ एक उत्पादन केंद्र नहीं, बल्कि अब Apple के लिए एक रणनीतिक लॉन्ग टर्म हब बनता जा रहा है। इसके कई कारण हैं:
- जनसंख्या और प्रतिभा की उपलब्धता
- चीन पर निर्भरता कम करने की वैश्विक नीति
- स्थानीय मांग में तेज़ी से वृद्धि
- सरल लॉजिस्टिक नेटवर्क और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर
Apple को यह अच्छी तरह पता है कि भविष्य की वृद्धि एशिया से होगी, और भारत उसका केंद्र बिंदु होगा।
✦ सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया: जनता ने दी अपनी राय
डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। ट्विटर पर हैशटैग #iPhoneInIndia और #AppleIndia ट्रेंड करने लगे।
कई भारतीय उपयोगकर्ताओं ने कहा:
“अगर Apple भारत छोड़ता है, तो हम iPhone नहीं खरीदेंगे!”
वहीं टेक एक्सपर्ट्स ने टिप्पणी की:
“राजनीति को टेक्नोलॉजी और व्यापार के फैसलों से दूर रखना चाहिए।”
कुछ अमेरिकी यूज़र्स ने भी तर्क दिया कि कम लागत वाले निर्माण से अमेरिका को भी सस्ते डिवाइस मिलते हैं, इसलिए ऐसी टिप्पणियों का समर्थन नहीं किया जाना चाहिए।
✦ निष्कर्ष
इस पूरे विवाद में सबसे ज़रूरी बात यह है कि Apple ने बिना किसी विवाद में पड़े, बेहद पेशेवर और रणनीतिक अंदाज़ में अपना पक्ष रखा। उन्होंने न ट्रंप का विरोध किया, न समर्थन – बल्कि केवल इतना कहा कि:
“हम अपने व्यावसायिक फैसलों को स्थिर, वैश्विक रणनीति के आधार पर लेते हैं।”
भारत के साथ Apple का रिश्ता सिर्फ निर्माण का नहीं बल्कि भविष्य की संभावनाओं का भी है।
क्या आपको लगता है कि राजनीतिक बयान टेक्नोलॉजी कंपनियों के निर्णयों पर असर डालने चाहिए?
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