चीन की ऐतिहासिक परेड: शक्ति और संदेश का मंच
बीजिंग में आयोजित भव्य सैन्य परेड ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह आयोजन चीन के इतिहास में इसलिए खास माना गया क्योंकि इस बार पहली बार देश ने अपने सबसे आधुनिक हथियारों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया। राजधानी की सड़कों पर सैनिकों की अनुशासित टुकड़ियाँ, चमचमाते टैंक, मिसाइलें और लड़ाकू विमान ताक़त का एहसास करवा रहे थे।
इस परेड का उद्देश्य केवल सैन्य शक्ति दिखाना नहीं था, बल्कि यह चीन का एक रणनीतिक संदेश भी था कि वह वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को और मजबूत करने के लिए तैयार है।
पहली बार दिखाए गए आधुनिक हथियार
इस परेड में चीन ने अपनी नवीनतम मिसाइल तकनीक, ड्रोन और आधुनिक फाइटर जेट्स का प्रदर्शन किया।
- लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों ने यह संकेत दिया कि चीन अपनी रक्षात्मक क्षमता को और व्यापक बना चुका है।
- अत्याधुनिक ड्रोन और साइबर युद्धक तकनीकों ने यह दर्शाया कि चीन केवल पारंपरिक हथियारों तक सीमित नहीं है।
- फाइटर जेट्स के फ्लाई-पास्ट ने परेड को रोमांचक और भव्य बना दिया।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रदर्शन केवल ताक़त दिखाने का नहीं बल्कि दुनिया को यह जताने का प्रयास था कि चीन अब तकनीकी रूप से किसी भी महाशक्ति से पीछे नहीं है।
At the parade, China unveiled the DF-5C nuclear intercontinental ballistic missile, which has a destructive radius covering the entire planet, for the first time.
Other presentations included:
Strategic forces on land, at sea, and in the air – the nuclear triad.
The People’s… pic.twitter.com/WYTlnsoCBu
— Jürgen Nauditt 🇩🇪🇺🇦 (@jurgen_nauditt) September 3, 2025
विश्व नेताओं की मौजूदगी और उसका महत्व
इस परेड की खासियत यह रही कि इसमें कई देशों के शीर्ष नेता शामिल हुए। उनकी मौजूदगी ने आयोजन को और भी ज्यादा वैश्विक महत्व प्रदान किया। यह केवल एक सैन्य प्रदर्शन नहीं बल्कि कूटनीतिक संकेत भी था कि चीन अपने सहयोगी देशों को अपने साथ खड़ा दिखाना चाहता है।
इस मंच ने यह भी स्पष्ट किया कि बीजिंग क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहता है। इसी तरह हाल ही में हुए एससीओ समिट 2025 में पीएम मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की मुलाकात ने भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई दिशा दिखाई थी।
रणनीतिक संदेश और वैश्विक शक्ति संतुलन
चीन की इस परेड का संदेश साफ था—बीजिंग अपनी सैन्य ताक़त को लेकर किसी भी तरह का संकोच नहीं दिखाना चाहता।
- यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक सीधा संदेश है।
- पड़ोसी देशों को यह संकेत दिया गया कि चीन अपने हितों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
- पश्चिमी देशों और विशेषकर अमेरिका को भी यह अप्रत्यक्ष चेतावनी है कि एशिया में शक्ति संतुलन तेजी से बदल रहा है।
🇨🇳🎖️Beijing held the largest military parade in China’s history. The main guests were Putin and Kim Jong Un
According to Bloomberg, nearly the entire center of Beijing was closed for the parade, and some residents were ordered to leave their homes🚫
✨Among the new weapons… pic.twitter.com/1c48Yz9k9k
— NEXTA (@nexta_tv) September 3, 2025
भारत और एशिया पर असर
भारत और चीन के रिश्ते लंबे समय से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। इस परेड को भारतीय परिप्रेक्ष्य से देखें तो यह कई सवाल खड़े करती है:
- सीमा सुरक्षा और रक्षा रणनीति को लेकर भारत को और सतर्क रहना होगा।
- दक्षिण एशिया में छोटे देशों पर चीन का प्रभाव और बढ़ सकता है।
- आर्थिक साझेदारियों और क्षेत्रीय कूटनीति में भारत को अपने कदम और मजबूत करने होंगे।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की तस्वीर
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह परेड केवल ताक़त दिखाने का प्रतीक नहीं थी, बल्कि भविष्य की दिशा भी तय करती है।
- हथियारों की यह दौड़ एशिया में नए तनाव ला सकती है।
- कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चीन अपने सहयोगियों को भरोसा दिलाना चाहता है कि वह वैश्विक शक्ति संतुलन में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
- वहीं, शांति समर्थक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की परेड दुनिया को और असुरक्षित भी बना सकती है।
बीजिंग परेड का सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व
चीन में इस परेड को केवल सैन्य दृष्टि से नहीं देखा गया।
- इसमें ऐतिहासिक परंपराओं और राष्ट्रीय गर्व का भी अहसास कराया गया।
- नागरिकों और मीडिया की प्रतिक्रिया बेहद उत्साही रही।
- बीजिंग ने इस मौके को एक राष्ट्रवादी उत्सव की तरह पेश किया, ताकि जनता का मनोबल और राष्ट्रीय एकता मजबूत हो।
चीन का भविष्य और पाठकों के सवाल
यह परेड केवल बीजिंग की सड़कों पर निकला एक सैन्य जुलूस नहीं थी, बल्कि यह एक वैश्विक संदेश था। चीन ने दिखा दिया कि वह न सिर्फ अपनी सीमाओं की सुरक्षा में सक्षम है बल्कि दुनिया की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने का भी इच्छुक है।
अब सवाल यह है कि क्या यह परेड केवल शक्ति प्रदर्शन था या फिर यह चीन की सांस्कृतिक पहचान और वैश्विक महत्वाकांक्षा का हिस्सा?
👉 पाठकों से सवाल: आपको क्या लगता है कि चीन की यह परेड दुनिया के लिए सुरक्षा का संकेत है या तनाव का? अपनी राय कमेंट में ज़रूर बताइए।




















