Darjeeling की पहाड़ियों में तबाही का मंजर
पश्चिम बंगाल के Darjeeling जिले में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। पहाड़ी इलाकों में हुए भूस्खलन (landslides) ने सैकड़ों परिवारों को प्रभावित किया है। अब तक 28 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं। मौसम विभाग का कहना है कि अगले 48 घंटे में भी बारिश जारी रहने की संभावना है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
Darjeeling, Mirik, और Kalimpong जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कई जगहों पर सड़कें और पुल बह गए हैं, जिससे राहत दलों के लिए पहुंचना मुश्किल हो गया है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे ऊँचाई वाले इलाकों से दूर रहें और मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करें।
भूस्खलन से तबाही का पैमाना बढ़ता जा रहा है
Darjeeling के कई गाँव मलबे में दब गए हैं। स्थानीय प्रशासन और NDRF की टीमें लगातार राहत कार्य में लगी हैं, लेकिन लगातार बारिश और फिसलन की वजह से बचाव कार्य में बाधा आ रही है। Mirik क्षेत्र में कई घर पूरी तरह ढह गए हैं। बिजली और मोबाइल नेटवर्क बाधित होने से कई इलाकों का संपर्क टूट चुका है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, रातभर पानी और मलबे का बहाव इतना तेज था कि लोग घरों से निकल नहीं पाए। कई परिवारों ने ऊँचे इलाकों में शरण ली है। 28 मृतकों में से ज्यादातर महिलाएँ और बच्चे बताए जा रहे हैं। प्रशासन ने आपातकालीन आश्रय स्थल तैयार किए हैं, जहाँ लगभग 700 लोगों को शिफ्ट किया गया है।
Darjeeling, Kurseong & Kalimpong hit by landslides; Jalpaiguri, Alipurduar submerged as Teesta overflows. Many lives lost. Administration is on the ground, doing their job efficiently.
I’m deeply anguished. My thoughts and prayers are with everyone affected. If anyone needs… pic.twitter.com/UAYbc8niSN
— Tanmoy Ghosh (@Tanmoy_Fetsu) October 5, 2025
बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान
इस आपदा में केवल जान-माल की हानि नहीं हुई, बल्कि Darjeeling का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मुख्य सड़कों पर भूस्खलन के कारण मलबा भर गया है, जिससे कई इलाकों का संपर्क टूट गया है। Mirik, Sukhia Pokhri और Kalimpong के कुछ इलाकों में पुल पूरी तरह बह गए हैं।
बिजली आपूर्ति और संचार नेटवर्क ठप हैं। जलापूर्ति बाधित होने से पीने के पानी की किल्लत भी शुरू हो गई है। स्कूली भवन और सरकारी दफ्तरों को अस्थायी राहत शिविरों में बदला गया है। प्रशासन ने कहा है कि बहाल करने में कई दिन लग सकते हैं, क्योंकि लगातार बारिश से सड़कें फिर से टूट रही हैं।
भूटान का Tala Dam बना नई चिंता का कारण
इस संकट के बीच भूटान से आई खबरों ने बंगाल प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। Tala Hydropower Dam में गेट ओवरफ्लो होने की वजह से नदी का पानी नियंत्रण से बाहर हो गया है। भूटान सरकार ने पश्चिम बंगाल को आधिकारिक तौर पर चेताया है कि निचले इलाकों में बाढ़ की संभावना बनी हुई है।
भूटान के जल विभाग के अनुसार, बांध का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे इसका असर सीधे बंगाल के निचले हिस्सों, खासकर Dooars और Alipurduar जिलों पर पड़ सकता है। स्थिति को देखते हुए भारत में NDRF और SDRF की टीमों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। स्थानीय प्रशासन ने नदी किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।
बचाव और राहत कार्य जोरों पर
Darjeeling प्रशासन ने आपात स्थिति घोषित कर दी है। NDRF, सेना और स्थानीय पुलिस के जवान लगातार बचाव कार्य में लगे हैं। ऊँचे इलाकों में हेलीकॉप्टर और ड्रोन के ज़रिए मलबे में फंसे लोगों की खोजबीन की जा रही है।
राहत शिविरों में लोगों के लिए खाद्य सामग्री, दवाइयाँ और कंबल पहुंचाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी सक्रिय हैं ताकि घायलों को तुरंत चिकित्सा मिल सके। जिला अधिकारी ने बताया कि करीब 2,000 से अधिक लोग अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं।
हालांकि, लगातार बारिश बचाव कार्य को प्रभावित कर रही है। कई बार मलबा हटाने के बाद भी रास्ते फिर से बंद हो रहे हैं। इसके बावजूद राहत दल दिन-रात जुटे हुए हैं ताकि किसी भी लापता व्यक्ति को ढूंढा जा सके।
स्थिति और खराब हो सकती है अगर बारिश जारी रही
मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दो दिनों में भी भारी बारिश की संभावना बनी हुई है। अगर ऐसा होता है तो नए भूस्खलन की घटनाएँ हो सकती हैं। ऊँचाई वाले इलाकों में मिट्टी की परत कमजोर होने के कारण पहाड़ी ढलान गिर सकते हैं, जिससे नई त्रासदी की संभावना है।
निचले इलाकों में फ्लैश फ्लड (अचानक आई बाढ़) का खतरा बढ़ गया है, खासकर जहां Tala Dam से पानी छोड़ा जा रहा है। नदी किनारे के गाँव जैसे Totopara और Hasimara पहले ही पानी के निशान के करीब पहुँच चुके हैं। प्रशासन ने कहा है कि सभी जिलों में 24×7 निगरानी प्रणाली शुरू की गई है।
प्रशासनिक कार्रवाई और राहत योजनाएँ
मुख्यमंत्री ने आपात बैठक बुलाकर स्थिति की समीक्षा की है। केंद्र सरकार ने भी बंगाल सरकार को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय से अधिकारियों को स्थिति की जानकारी दी गई है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया है कि बाढ़ संभावित इलाकों में पहले से ही राहत शिविर और हेल्थ कैंप बनाए जा चुके हैं। बिजली विभाग ने 300 से ज्यादा तकनीशियनों की टीम भेजी है ताकि सप्लाई बहाल की जा सके।
यह भी देखा गया है कि बचाव दल के साथ-साथ स्थानीय युवा संगठन और स्वयंसेवी समूह भी राहत में आगे आए हैं। कई एनजीओ पानी, भोजन और दवाइयों की आपूर्ति कर रहे हैं। यह सामुदायिक एकता की मिसाल है।
जनता से अपील और सुरक्षा सुझाव
इस समय प्रशासन ने लोगों से आग्रह किया है कि वे सतर्क रहें और अफवाहों पर विश्वास न करें। पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करने से बचें और नदी किनारे या कमजोर ढलानों पर न जाएँ।
यदि कोई व्यक्ति फंसा हो या मदद की ज़रूरत हो, तो स्थानीय आपदा हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें।
स्वास्थ्य विभाग ने यह भी सलाह दी है कि दूषित पानी या खुले भोजन का सेवन न करें, ताकि बीमारियों का खतरा कम हो।
इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं के दौरान स्वयं सुरक्षा और सामूहिक सहयोग सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। जनता को सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए बचाव कार्य में सहयोग देना चाहिए।
संबंधित जानकारी: स्वास्थ्य सुरक्षा पर प्रशासन का ध्यान
भूस्खलन और बाढ़ के बाद अक्सर पानी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। प्रशासन ने पीने के पानी की जांच शुरू कर दी है ताकि किसी तरह की मिलावट या संक्रमण न हो।
इसी संदर्भ में याद दिलाना ज़रूरी है कि हाल ही में सरकार ने यह स्पष्ट किया था कि देश में कफ सिरप्स में कोई संदूषण नहीं पाया गया, और जांच में पारदर्शिता रखी गई। इस रिपोर्ट को आप यहाँ पढ़ सकते हैं:
👉 Cough Syrups Not Contaminated – Centre, TN Test Detects Adulteration
यह दिखाता है कि सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर सतर्क है और समय-समय पर जांच प्रक्रिया को मजबूत बना रही है।
आगे की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश का पैटर्न बदल रहा है, जिससे इस तरह की आपदाओं की आवृत्ति बढ़ रही है।
Darjeeling जैसे इलाके जहां पर्यटन और खेती दोनों मुख्य आधार हैं, वहाँ ऐसे हादसे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करते हैं।
कृषि भूमि को नुकसान, सड़क बंद होने से व्यापार ठप और पर्यटकों की कमी — ये सब आने वाले महीनों में आर्थिक बोझ बन सकते हैं।
सरकार को अब सिर्फ राहत पर नहीं, बल्कि लॉन्ग-टर्म प्लानिंग पर ध्यान देना होगा — जैसे कि slope stabilization, वन क्षेत्र का विस्तार और सुरक्षित निर्माण नियम।
प्रकृति से सबक लेने का समय
Darjeeling की इस त्रासदी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने तैयारी ही सबसे बड़ा हथियार है।
28 लोगों की मौत, सैकड़ों लापता और हजारों प्रभावित परिवार — यह केवल आँकड़े नहीं, बल्कि संवेदनाओं की कहानी है।
जरूरत है कि प्रशासन, विशेषज्ञ और आम जनता मिलकर भविष्य के लिए ऐसी योजनाएँ बनाएं जो आपदा आने से पहले ही नुकसान कम कर सकें।
पर्यावरण संरक्षण, सतर्क नागरिकता, और सरकारी तत्परता — यही वो तीन स्तंभ हैं जो आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रख सकते हैं।
अगर आप इस स्थिति या किसी स्थानीय अनुभव को साझा करना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट में लिखें — आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है।




















