मणिपुर में एक साल से अधिक समय से चल रही जातीय हिंसा के कारण जनजीवन अस्थिर हो चुका है। राज्य में शांति बहाल करने के तमाम प्रयासों के बावजूद धरातल पर असंतोष स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसी असंतोष की एक झलक हाल ही में देखने को मिली जब राज्यपाल अनुसुइया उइके को इंफाल एयरपोर्ट से सिर्फ 7 किमी दूर स्थित राजभवन तक पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर का सहारा लेना पड़ा।
इस घटना ने ना सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर सवाल खड़े किए, बल्कि राज्य की जमीनी हकीकत को भी उजागर कर दिया।
🛑 क्या हुआ 26 मई को?
26 मई को मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके जब इंफाल एयरपोर्ट पर पहुंचीं, तो उन्हें राजभवन तक सड़क मार्ग से जाना था। लेकिन जैसे ही उनके आगमन की जानकारी फैली, Cocomi (Coordination Committee on Manipur Integrity) और कई अन्य संगठनों ने वहां विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
- प्रदर्शनकारियों ने एयरपोर्ट से बाहर निकलने वाले सभी रास्तों को घेर लिया।
- “Governor Go Back” जैसे नारों की गूंज चारों ओर सुनाई दी।
- हालात को बिगड़ने से रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया।
हालात को देखते हुए प्रशासन ने राज्यपाल को सड़क मार्ग से न भेजकर एयरपोर्ट परिसर से ही हेलिकॉप्टर द्वारा राजभवन पहुंचाने का निर्णय लिया।
🚁 सिर्फ 7 किमी की हेलिकॉप्टर यात्रा क्यों जरूरी हो गई?
सवाल उठता है कि इतनी छोटी दूरी के लिए हेलिकॉप्टर की जरूरत क्यों पड़ी?
प्रमुख कारण:
- सड़क मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध था।
- प्रदर्शनकारियों की संख्या और आक्रोश लगातार बढ़ रहा था।
- राज्यपाल की सुरक्षा को खतरा बताया गया।
- प्रशासन ने निर्णय लिया कि टकराव की बजाय वैकल्पिक मार्ग अपनाना ही बेहतर होगा।
इस वजह से राज्यपाल को मात्र 7 किमी की दूरी के लिए हेलिकॉप्टर से उड़ान भरनी पड़ी, जो कि अपने आप में असाधारण स्थिति को दर्शाता है।
Imphal Airport to Raj Bhavan is a mere 6.1 Km by road (from Google map). The hon’ble @RajBhavManipur sir is not safe.
How can the Kukis be safe there? #ManipurViolence isn’t just a violence. It’s a blatant attempt to secede from India by creating chaos.#Waist#SummerRelief https://t.co/1WJbO9l4MZ pic.twitter.com/9ATPexixoI— David 𝐊𝐮𝐤𝐢 (@KipsKuki) May 27, 2025
🔍 Cocomi और मैतेई समुदाय का विरोध क्यों?
Cocomi मणिपुर के मैतेई समुदाय की एक प्रमुख सामाजिक संस्था है। उनका आरोप है कि राज्यपाल ने अब तक जातीय हिंसा के मुद्दे को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक ठीक से नहीं पहुँचाया है।
प्रमुख मांगें और नाराज़गी:
- Cocomi चाहता है कि राज्यपाल खुले रूप से मैतेई समुदाय के पक्ष में बयान दें।
- प्रदर्शनकारी दावा कर रहे हैं कि “राज्यपाल सिर्फ दिखावे के दौरे कर रही हैं”
- उनका कहना है कि केंद्रीय सरकार तक मणिपुर की सच्चाई नहीं पहुँच रही।
❝Cocomi का कहना है कि जब तक राज्यपाल सक्रिय भूमिका नहीं निभाएंगी, तब तक विरोध जारी रहेगा।❞
🗳️ राजनीतिक प्रतिक्रिया और प्रशासन का पक्ष
इस पूरी घटना पर सरकार और विपक्ष दोनों की ओर से प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
- राज्य सरकार ने इसे “प्रशासनिक निर्णय” बताया और कहा कि इससे कोई राजनीतिक संदेश नहीं जुड़ा है।
- विपक्षी दलों ने कहा कि “जब एक राज्यपाल खुद सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की क्या गारंटी है?”
- राज्यपाल की ओर से कोई प्रत्यक्ष बयान नहीं आया, लेकिन राजभवन सूत्रों ने बताया कि यह निर्णय पूरी तरह सुरक्षा कारणों से लिया गया था।
🌐 सोशल मीडिया पर बंटा जनमत
इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी चर्चा को जन्म दिया। कई यूज़र्स ने राज्यपाल की उड़ान पर तंज कसा, वहीं कुछ लोगों ने इसे प्रशासनिक विवशता माना।
- कुछ लोगों ने कहा – “7 किमी हेलिकॉप्टर से जाना दिखाता है कि स्थिति कितनी विस्फोटक है।”
- जबकि कुछ ने सरकार पर निशाना साधा – “जनता की आवाज सुनने की बजाय उससे डरकर उड़ रहे हैं नेता।”
- ट्विटर पर #ManipurProtests और #GovernorInChopper ट्रेंड करने लगे।
🧭 क्या कहती है यह घटना मणिपुर की स्थिति के बारे में?
यह घटना केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि मणिपुर की मौजूदा अस्थिरता का प्रतीक बन गई है। यह दिखाता है कि जन और प्रशासन के बीच भरोसे की खाई कितनी गहरी हो चुकी है।
- संवाद और पारदर्शिता की कमी ने हालात को बिगाड़ा है।
- हर प्रशासनिक कदम जनता को भरोसे में लेकर उठाया जाना चाहिए।
- हिंसा और असंतोष का समाधान हेलिकॉप्टर से नहीं, बातचीत से ही निकलेगा।
26 मई: एक दिन, दो तस्वीरें
26 मई को जहां मणिपुर में विरोध प्रदर्शन के चलते राज्यपाल को हेलिकॉप्टर से सफर करना पड़ा, वहीं देश के पश्चिमी हिस्से — अहमदाबाद — में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य रोड शो आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के चलते शहर में ट्रैफिक डायवर्जन और वैकल्पिक मार्गों की विशेष व्यवस्था की गई थी, लेकिन माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण और उत्सवपूर्ण बना रहा। PM मोदी का रोड शो अहमदाबाद में 26 मई को – ट्रैफिक रूट डायवर्जन और वैकल्पिक मार्ग
इससे यह स्पष्ट होता है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में हालात कितने भिन्न हो सकते हैं। एक ओर लोग प्रधानमंत्री के स्वागत में सड़कों पर खड़े थे, तो दूसरी ओर मणिपुर में ऐसी स्थिति थी कि राज्यपाल तक जनता के बीच नहीं जा सकीं।
🔚जनता का भरोसा लौटाना ही प्राथमिकता होनी चाहिए
मणिपुर एक संवेदनशील राज्य है, जहां सांप्रदायिक संतुलन और जनभावनाएं दोनों बेहद नाजुक हैं। ऐसी स्थिति में अगर राज्यपाल को मात्र 7 किमी के सफर के लिए हेलिकॉप्टर लेना पड़ता है, तो यह केवल एक खबर नहीं, बल्कि एक चेतावनी है।
अब वक्त है कि सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर संवाद की पहल करें, ताकि आने वाले दिनों में मणिपुर को फिर से स्थिरता की ओर ले जाया जा सके।
💬 आपकी राय क्या है?
क्या राज्यपाल का यह कदम सही था?
क्या Cocomi के आरोप वाजिब हैं या सिर्फ राजनीतिक दबाव है?
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