पंचकूला के सेक्टर 5 में शनिवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब एक बंद कार में सात लोगों के शव पाए गए। कार पार्किंग एरिया में खड़ी थी, और जब आसपास के लोगों को शक हुआ कि काफी देर से कोई हलचल नहीं हुई, तो पुलिस को सूचना दी गई।
मौके पर पहुंची पुलिस ने जैसे ही कार खोली, सामने जो नज़ारा था, उसने सभी को सन्न कर दिया। कार के अंदर चार महिलाएं, दो पुरुष और एक बच्चा मृत अवस्था में पाए गए। सभी के मुंह से झाग निकल रहा था, जिससे साफ़ संकेत मिला कि उन्होंने कोई जहरीला पदार्थ खाया है।
“पुलिस को कार से एक चार पन्नों का सुसाइड नोट मिला, जिसमें आत्महत्या की वजहों का उल्लेख किया गया था।”
कौन थे मृतक? देहरादून से पंचकूला पहुंचे थे इलाज के बहाने
मृतक एक ही परिवार के सदस्य थे, जो उत्तराखंड के देहरादून से पंचकूला पहुंचे थे। शुरुआत में उन्होंने अपने रिश्तेदारों से कहा था कि वे किसी इलाज के सिलसिले में पंचकूला आ रहे हैं। लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज़्यादा भयावह थी।
परिवार में बुज़ुर्ग माता-पिता, उनका बेटा-बहू, बेटी-दामाद और एक 8 साल का बच्चा शामिल था। सभी लोग आपस में खून के रिश्ते में जुड़े थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, परिवार के मुखिया ने इस आत्मघाती योजना को पहले से ही सोच रखा था।
“देहरादून से पंचकूला की यात्रा एक इलाज के बहाने की गई थी, जबकि असली मकसद सामूहिक आत्महत्या था।”
Tragic news from Panchkula: 7 members of a family from Dehradun died by suicide after reportedly consuming poison inside a parked vehicle in Sector 27. Financial distress suspected. Police have recovered a suicide note. Investigation underway.#Panchkula #Haryana #Dehradun pic.twitter.com/Lt3HHF33R9
— Sushil Manav (@sushilmanav) May 27, 2025
सुसाइड नोट में क्या लिखा था? वित्तीय तंगी और सामाजिक शर्मिंदगी का खुलासा
मौके से मिले चार पन्नों के सुसाइड नोट ने इस पूरे मामले की गहराई को सामने ला दिया। नोट में परिवार ने लिखा था कि वे पिछले कई महीनों से भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे थे। उनके पास न नौकरी थी, न कोई आय का स्रोत बचा था। कर्ज़ बढ़ता गया और उन्हें समाज में अपमान का सामना करना पड़ा।
सुसाइड नोट में भावुक शब्दों में लिखा था –
“अब हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा है। हम थक चुके हैं… अब और नहीं सह सकते। समाज को मुंह दिखाने लायक नहीं बचे हैं।”
बच्चे के माता-पिता ने लिखा कि वे अपने बच्चे को गरीबी में नहीं पाल सकते, इसलिए वे उसे भी अपने साथ ले जा रहे हैं। यह बात पढ़कर किसी का भी दिल दहल सकता है।
“सुसाइड नोट में कोई बाहरी दबाव या हिंसा का ज़िक्र नहीं था – यह स्वैच्छिक आत्महत्या थी।”
घटना से जुड़ी चौंकाने वाली समानताएं: क्या यह एक और बुराड़ी कांड है?
इस घटना की जानकारी मिलते ही कई लोगों को 2018 के दिल्ली के बुराड़ी कांड की याद आ गई, जिसमें एक ही परिवार के 11 लोगों ने आत्महत्या की थी।
हालांकि पंचकूला का मामला बुराड़ी की तरह तांत्रिक या धार्मिक नहीं था, लेकिन मानसिक दबाव, आर्थिक तंगी और सामूहिक आत्मघात जैसी समानताएं ज़रूर दिखीं।
“NewsX और अन्य मीडिया पोर्टल्स ने इस केस को ‘Another Burari Case’ करार दिया है।”
इसी तरह की एक और दिल दहला देने वाली खबर हरियाणा के करनाल से सामने आई थी, जहां कक्षा 10 की परीक्षा में फेल होने पर एक छात्र ने आत्महत्या कर ली। यह घटनाएं बताती हैं कि मानसिक दबाव का सामना करने के लिए हमारे समाज को अभी लंबा रास्ता तय करना है।
तस्वीर में दिख रहे ये व्यक्ति परिवार के मुखिया थे।
कर्ज के बोझ से टूटकर इन्होंने परिवार के सात सदस्यों संग जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
यह घटना आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव की दर्दनाक सच्चाई बयां करती है।#panchkula#panchkulanews#suside pic.twitter.com/mmvOuP0AO7
— Ashish Paswan (@ashishpaswan0) May 27, 2025
पुलिस की जांच में क्या खुलासा हुआ? अब तक की सबसे अहम जानकारियां
पंचकूला पुलिस ने शुरुआती जांच में कहा है कि घटना के पीछे हत्या की कोई आशंका नहीं है।
CCTV फुटेज से साफ है कि परिवार खुद होटल से बाहर निकला और कार में बैठा। किसी तीसरे व्यक्ति की मौजूदगी नहीं देखी गई। कॉल रिकॉर्ड्स और होटल बुकिंग से भी यही पता चलता है कि यह आत्महत्या थी।
फॉरेंसिक टीम ने कार और शरीरों से लिए गए नमूनों को लैब भेजा है, जिनकी रिपोर्ट्स का इंतज़ार है।
“पुलिस अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल यह एक साफ आत्महत्या का मामला लग रहा है, लेकिन हर पहलू से जांच जारी है।”
सामाजिक और मानसिक दबाव: क्यों लोग सामूहिक आत्महत्या की ओर बढ़ रहे हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य अब भी एक अनदेखा और अनकहा विषय बना हुआ है।
जब कोई परिवार आर्थिक या सामाजिक संकट में होता है, तो अक्सर मदद मांगने में शर्मिंदगी महसूस करता है।
साथ ही, आसपास से कोई सकारात्मक सहयोग नहीं मिलता, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है।
“अगर समय रहते बातचीत और सहानुभूति मिले, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।”
आगे क्या? समाज के लिए सबक और समाधान
यह घटना सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि एक सामाजिक संकेत है कि हमें अब बदलाव की ज़रूरत है।
- लोगों को खुले मन से मानसिक तनाव पर बात करने का माहौल देना होगा
- सरकार और NGOs को सस्ती और सुलभ काउंसलिंग सेवाएं शुरू करनी होंगी
- समाज को आर्थिक असफलता को अपराध जैसा देखना बंद करना होगा
“यदि आप या आपके जानने वाले किसी भी प्रकार के मानसिक तनाव या अवसाद से जूझ रहे हैं, तो कृपया नीचे दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें:”
📞 मानसिक स्वास्थ्य सहायता हेल्पलाइन: 1800-599-0019 (24×7 उपलब्ध)
चुप्पी में छिपा दर्द, जो सात जिंदगियां ले गया
पंचकूला की यह घटना एक चुभने वाला सवाल छोड़ती है –
“क्या हम अपने समाज में किसी की चुप्पी को समझ पाने में असफल हो रहे हैं?”
वित्तीय समस्याएं, सामाजिक दबाव और मानसिक पीड़ा – ये सब इतने खतरनाक बन सकते हैं कि एक पूरा परिवार जीवन से हार मान ले।
अब ज़रूरत है सुनने की, समझने की और मदद करने की।
✅ आपका क्या मानना है इस बारे में? नीचे कमेंट करके ज़रूर बताएं।
🕊️ ईश्वर मृत आत्माओं को शांति दे।