शिक्षा क्षेत्र में तकनीकी क्रांति का स्वागत
भारत सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए CBSE के स्कूलों में 2026-27 से कक्षा तीन से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भाषा पढ़ाने का निर्णय लिया है। यह कदम छात्रों को आधुनिक डिजिटल युग के लिए तैयार करने के लिए किया गया है। तकनीक के इस युग में AI का ज्ञान छात्रों के लिए अनिवार्य होता जा रहा है, इसलिए इसे शुरुआती स्तर से ही शिक्षा में शामिल किया जा रहा है।
AI क्यों आवश्यक है?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज हर क्षेत्र में अपनी जगह बना चुका है। यह किसी भी उद्योग या सेवा में दक्षता बढ़ाने में मदद करता है। भारत के युवा जब इस तकनीक से परिचित होंगे, तो वे भविष्य की तकनीकी दुनिया में बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। इस वजह से बच्चों को छोटे स्तर से ही AI की भाषा, उपकरण और उपयोग सिखाना जरूरी हो गया है।
CBSE के AI पाठ्यक्रम की रूपरेखा
CBSE ने AI पढ़ाने के लिए एक व्यापक पाठ्यक्रम तैयार किया है जो कक्षा 3 से लेकर कक्षा 12 तक लागू होगा। शुरूआती कक्षाओं में छात्रों को AI की बुनियादी अवधारणाएं जैसे मशीन सीखना, डेटा क्या है, और छोटे-छोटे प्रोजेक्टों के द्वारा समझाई जाएंगी। जैसे-जैसे कक्षाएं बढ़ेंगी, छात्रों को अधिक जटिल विषय पढ़ाए जाएंगे जैसे अल्गोरिद्म, कंप्यूटर विज़न और AI के नैतिक पहलू। यह पाठ्यक्रम बच्चों की सोच को विकसित करने और समाधान निकालने की क्षमता को बढ़ावा देगा।
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शिक्षकों का प्रशिक्षण
CBSE यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि शिक्षकों को AI के विषय में गहरी जानकारी और प्रशिक्षित किया जाए। देश भर में शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि वे बच्चों को सर्वोत्तम तरीके से AI पढ़ा सकें। साथ ही, कई स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के जरिए शिक्षण सामग्री और शिक्षण पद्धति का परीक्षण भी किया जाएगा।
AI शिक्षा का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
AI पढ़ाई विद्यार्थियों को भविष्य के करियर के लिए नई दिशा देगी। इसे सीखकर बच्चे भविष्य में बेहतर रोजगार पा सकेंगे और देश की तकनीकी प्रगति में योगदान दे सकेंगे। AI से जुड़ी तकनीकों से नई नौकरियां पैदा होंगी, जबकि कुछ पारंपरिक नौकरियां कम हो सकती हैं। इसलिए नई कौशल विकसित करना आवश्यक होगा ताकि युवा बदलते समय के अनुरूप तैयार रहें।
भारत का वैश्विक परिदृश्य में स्थान
जैसे-जैसे दुनिया के अन्य देश AI शिक्षा को अपनी स्कूल प्रणाली में जोड़ रहे हैं, भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता। तीसरी कक्षा से शुरू होने वाली यह शिक्षा भारत के छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में मदद करेगी। साथ ही, इससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
चुनौतियाँ और समाधान
इस योजना को सफल बनाने के लिए कई चुनौतियां हैं। जैसे शिक्षकों का प्रशिक्षण, डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच, और AI के नैतिक पहलुओं पर ध्यान देना। सरकार इन चुनौतियों का सामना प्रशिक्षण, तकनीकी संसाधन वितरण और नीतिगत सुधारों के माध्यम से कर रही है।
निष्कर्ष
कक्षा तीन से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ाने की शुरुआत भारत की शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह कदम बच्चों को हाईटेक भविष्य के लिए तैयार करता है और तकनीकी विकास में देश की भागीदारी बढ़ाता है। सही दिशा निर्देशन और संसाधनों की उपलब्धता से यह पहल सफल होगी।
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